दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) के पर्चे लीक एवं परीक्षा मे नकल होने के संदर्भ मे एक न्यायपूर्ण एवं पुनः परीक्षा की मांग हेतु प्रतिभाशाली युवाओं के भविष्य हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इसी विषय पर आगामी 3 जून को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. विगत कई सालों से देखा गया है समाज के अराजक वर्गो (कथित शिक्षा माफिया) ने मिलकर देश मे एक शिक्षा तकनीक चिकित्सा के क्षेत्र मे बेहद कुत्सित माहौल पैदा कर दिया है. हर जगह मुन्ना भाइयो का ज़ोर चल रहा है. शिक्षण संस्थानों में उभरती प्रतिभावों का हनन हो रह है. प्री सेटिंग के माध्यम से बिना मेरिट वालो अयोग्य लोगों को सेवा के क्षेत्रों में प्रवेश दिया जा रहा है. इस तरह की स्थिति समाज में किसी तरह के उत्पादन हनन का कारण बनेगा. सेवा क्षेत्र में अयोग्य लोगों का प्रवेश देश के स्वास्थ्य, शिक्षा को निम्न स्तर पर ले जाएगा.
उपरोक्त स्थिति को देखते हुए डीएमए ने देश के प्रबुद्ध बुद्धिजीवी, मीडिया एवं जनसाधारण से अपील किया है कि इस तरह के अराजक तत्वों के खुलाफ़ मुहिम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे. आईएमए सेक्रेटरी डॉ के.के. अग्रवाल का कहना है कि जो बच्चे मेडिकल क्षेत्र मे आना चाहते हैं, इसके लिए मेहनत करते हैं, अपना पूरा तन मन लगाते हैं, अगर ऐसी ही स्थिति रही तो उनके मानसिकता पर खराब असर पड़ेगा. डॉ आलोक भण्डारी (डीएमए, सचिव) ने कहा कि सरकार को चाहिए कि ऐसे अराजक मुन्ना भाइयों पर नकेल कसे जिससे मेधावी छात्रों के साथ पूर्ण न्याय हो और देश मे एक बेहतर शिक्षा स्वस्थ्य का माहौल बने. डीएमए प्रेसिडेंट डॉ अजय लेखी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस दिशा मे जल्द ही एक निगरानी समिति का गठन करे, जिससे ऐसे तत्वों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगे. डॉ लेखी का कहना है कि डीएमए ने इस मुहिम में अपने दायित्व को निभाते हुए इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है और इस आंदोलन को अंतिम स्तर तक पूरी निष्ठा से लड़ेगा.
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