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कामरेड अखिलेंद्र की मांग- राष्ट्रद्रोह की धारा 124 ‘ए’ को खत्म किया जाए

लखनऊ, 24 फरवरी। भाजपा का राष्ट्रवाद लोकतंत्र विरोधी है और देश की जनता के लिए विनाशकारी है। देशभक्ति की उसकी व्याख्या औपनिवेशिक है। उसकी राजनीतिक चाल से किसानों और आम नागरिकों को सावधान रहना चाहिए। मोदी सरकार से मोहभंग हो रही जनता को गुमराह करने के लिए भाजपा देशभक्ति की भावना का दुरुपयोग करने की कोशिश में लगी है। लेकिन आम जनता ने उसकी राजनीतिक साजिश को समझकर उसके अभियान को नकार दिया है। उसके राजनीतिक अवसरवाद का पर्दाफाश कश्मीर में पहले ही हो चुका है। यह वक्तव्य आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने आज प्रेस को जारी किया।

<p>लखनऊ, 24 फरवरी। भाजपा का राष्ट्रवाद लोकतंत्र विरोधी है और देश की जनता के लिए विनाशकारी है। देशभक्ति की उसकी व्याख्या औपनिवेशिक है। उसकी राजनीतिक चाल से किसानों और आम नागरिकों को सावधान रहना चाहिए। मोदी सरकार से मोहभंग हो रही जनता को गुमराह करने के लिए भाजपा देशभक्ति की भावना का दुरुपयोग करने की कोशिश में लगी है। लेकिन आम जनता ने उसकी राजनीतिक साजिश को समझकर उसके अभियान को नकार दिया है। उसके राजनीतिक अवसरवाद का पर्दाफाश कश्मीर में पहले ही हो चुका है। यह वक्तव्य आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने आज प्रेस को जारी किया।</p>

लखनऊ, 24 फरवरी। भाजपा का राष्ट्रवाद लोकतंत्र विरोधी है और देश की जनता के लिए विनाशकारी है। देशभक्ति की उसकी व्याख्या औपनिवेशिक है। उसकी राजनीतिक चाल से किसानों और आम नागरिकों को सावधान रहना चाहिए। मोदी सरकार से मोहभंग हो रही जनता को गुमराह करने के लिए भाजपा देशभक्ति की भावना का दुरुपयोग करने की कोशिश में लगी है। लेकिन आम जनता ने उसकी राजनीतिक साजिश को समझकर उसके अभियान को नकार दिया है। उसके राजनीतिक अवसरवाद का पर्दाफाश कश्मीर में पहले ही हो चुका है। यह वक्तव्य आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने आज प्रेस को जारी किया।

 

उन्होंने कहा कि 1860 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा में 124 ‘ए’ में यह स्पष्ट है कि सरकारभक्ति ही देशभक्ति है। अंग्रेजी हुकूमत उन सभी लोगों को देशद्रोही मानती थी, जो उनकी सरकार की आलोचना करते थे और अंग्रेजों से देश को आजाद कराना चाहते थे। औपनिवेशिक काल के बने इस कानून को अभी भी बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। फिर भी इसे बनाए रखा गया ताकि असहमति और सरकार में अविश्वास व्यक्त करने वाले लोगों का समय-समय पर निर्मम दमन किया जा सके। ऐसे कानून को तत्काल समाप्त करने की जरूरत है। ब्रिटेन जिसके जनतांत्रिक ढांचे से भारतीय जनतंत्र ने बहुत कुछ लिया है, वहां भी क्राउन के खिलाफ की जाने जाने वाली नारेबाजी देशद्रोह की श्रेणी में नहीं आती। उन्होंने आगे कहा कि वह सभी ताकतें जो भाजपा के जनविरोधी अभियान के खिलाफ लड़ रही हैं, उन्हें इस कानून को समाप्त करने की मांग करनी चाहिए। भाजपा खूंखार कारपोरेट पूंजी के हित में राष्ट्रवाद के नाम पर इस तरह का आक्रामक उन्मादी अभियान चला रही है। महंगाई, बेरोजगारी से लोगों की स्थिति और खराब हुयी है और जो कुछ हमारे देश की विवेकशील, सामाजिक, सांस्कृतिक धरोहर है उसे नष्ट करने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आमादा है।

Akhilendra Pratap Singh, National Convener All India Peoples Front(AIPF), while addressing party activists in Mughalsarai said that BJP`s nationalism is anti-democratic and disastrous for the masses. Farmers and common people must beware of BJP`s political tricks. For misleading the people disillusioned from Modi government, BJP is trying to misuse their patriotic sentiment. But the common masses fully aware of the political conspiracy, have rejected their sinister campaign. Its political opportunism is already exposed in Kashmir. It is clear that as per Article 124A of IPC framed by British rulers in 1860, loyalty to nation is synonymous with loyalty to the government.

British government obviously regarded all those anti-national who criticized their government and fought for freedom. Today, there can be no rationale for retaining such a law in the IPC. Still it is retained to suppress dissent and opposition to government. Such a law must be immediately scrapped from the Statute`s book. Even in Britain-from whose democratic structure, India has borrowed a lot- sloganeering against Crown is not regarded anti-national. He called upon the forces fighting against the anti-people campaign of BJP to demand for abrogation of this law. In fact, in order to serve the interest of dreaded corporate capital, BJP is conducting this aggressive bloody campaign in the name of nationalism. Price-rise and unemployment have further worsened the economic condition of the masses and made people more vulnerable, while RSS is hell bent on destroying all our progressive, rationalist social-cultural heritage.

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