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दुख-सुख

आवास देने का प्रलोभन देकर 75 प्रतिशत बैगाओं की कर दी गई नसबन्दी

मध्य प्रदेश सरकार ने बैगा जनजाति के विकास के लिए बैगा विकास प्राधिकरण का गठन किया है। मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले के बैहर एवं डिंडोरी, मण्डला, अनुपपुर, शहडोल मे बैगा परियोजना संचालित है। सरकार बैगा जनजाति के विकास एवं उत्थान के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपये स्वीकृत कर विलुप्त होती जन जाति को बचाने का प्रयास कर रही है। सरकार ने बैगा जन जाति को राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया हुआ है। पूरे देश मे बैगाओं की सबसे ज्यादा संख्या बालाघाट जिले के बैहर, बिरसा एवं परसवाडा तहसील में है। यहां इनकी कुल संख्या लगभग 21 हजार बताई गई है। किन्तु आज बैगाओं का वंश खतरे में पड़ गया है।

<p>मध्य प्रदेश सरकार ने बैगा जनजाति के विकास के लिए बैगा विकास प्राधिकरण का गठन किया है। मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले के बैहर एवं डिंडोरी, मण्डला, अनुपपुर, शहडोल मे बैगा परियोजना संचालित है। सरकार बैगा जनजाति के विकास एवं उत्थान के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपये स्वीकृत कर विलुप्त होती जन जाति को बचाने का प्रयास कर रही है। सरकार ने बैगा जन जाति को राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया हुआ है। पूरे देश मे बैगाओं की सबसे ज्यादा संख्या बालाघाट जिले के बैहर, बिरसा एवं परसवाडा तहसील में है। यहां इनकी कुल संख्या लगभग 21 हजार बताई गई है। किन्तु आज बैगाओं का वंश खतरे में पड़ गया है।</p>

मध्य प्रदेश सरकार ने बैगा जनजाति के विकास के लिए बैगा विकास प्राधिकरण का गठन किया है। मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले के बैहर एवं डिंडोरी, मण्डला, अनुपपुर, शहडोल मे बैगा परियोजना संचालित है। सरकार बैगा जनजाति के विकास एवं उत्थान के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपये स्वीकृत कर विलुप्त होती जन जाति को बचाने का प्रयास कर रही है। सरकार ने बैगा जन जाति को राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया हुआ है। पूरे देश मे बैगाओं की सबसे ज्यादा संख्या बालाघाट जिले के बैहर, बिरसा एवं परसवाडा तहसील में है। यहां इनकी कुल संख्या लगभग 21 हजार बताई गई है। किन्तु आज बैगाओं का वंश खतरे में पड़ गया है।

सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए लगभग 75 से 80 प्रतिशत बैगा जनजाति के महिला-पुरूषों को आवास दिलाने एवं अन्य प्रलोभन देकर नसबन्दी ऑपरेशन करवा दिया। इससे बैगा जनजाति के वंश की बढोत्तरी पर अंकुश लग गया है। इस तरह उनकी जाति को खत्म करने का कार्य किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1978 से 2006 तक पांच जिलों में बैगा जन-जाति के विकास के लिए 1 लाख 41 हजार परिवारों में 95 अरब रुपया खर्च किया जाना बताया गया है।

इस सम्बन्ध में बैहर क्षेत्र के समाज सेवी एवं पत्रकार सूरज ब्रम्हे ने अवगत कराया कि वे अपने साथी कैमरामैन बी.के. नामदेव एवं ईमरत दास कोरवा को साथ लेकर दक्षिण बैहर के ग्राम सोनगुड्डा, दुल्हापुर, कौदापार, अडोरी तथा घुम्मुर का भ्रमण कर जानकारी जुटाई। बैगा जनजाति की महिला एवं पुरूषों से रुबरु होकर चर्चा की गई। बैगा सुबेलाल (कोदापार), धमोती बाई/ भुरा मेरावी, फुलनबाई मरकाम, बोया मेरावी, मधु, सुखवन्ती, दशवन्ती, फुलवंती, सोमबती, फुलबासन, सोमलाल, लक्ष्मण, एवं भादू जैसे सैकड़ों बैगाओं ने बताया कि आवास दिलाने के नाम पर उनका नसबन्दी ऑपरेशन कराया गया है।

बैगाओं की उन्नति एवं विकास का डिंढोरा पीटने के लिए हाल ही में सरकार ने बैहर मे करोड़ों रुपये खर्च कर बैगा महा सम्मेलन कराया था जिसमें जिले के आधिकारी एवं सत्तापक्ष के प्रतिनिधियों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया था। बैगा जनजाति के विकास एवं उत्थान के लिये सभा मंच के माध्यम से बढ चढ कर बखान किया था। बैहर मे बैगा परियोजना संचालित है जिसमें कलेक्टर से लेकर जनप्रतिनिधियों की सहभागिता है। सरकार देश की जनता को अच्छे दिन दिखाने का सपना दिखा रही है और एक तरफ संरक्षित बैगा जन-जाति की नसबन्दी ऑपरेशन करवाकर उनका वंश खत्म करना चाहती है। इसे क्या कहें? क्या बैगा जनजाति के लिए अच्छे दिन हैं या फिर उनके बुरे दिन की शुरुआत हो चुकी है?

समाज सेवी एवं पत्रकार सूरज ब्रम्हे ने सोनगुड्डा के सरपंच पति कमल सिंग धुर्वे से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सोनगुड्डा मे स्वास्थ विभाग द्वारा नसबंदी कैम्प लगवाया गया था जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, शिक्षा विभाग एवं ऑगनबाडी के कर्मचारियों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा बैगाओं को आवास दिये जाने का प्रलोभन दिया और उनका नसबन्दी ऑपरेशन करवा दिया है। इसी तरह सोनगुड्डा के पूर्व सरपंच तातूसिंह धुर्वे ने बताया कि इस क्षेत्र के लगभग 75 से 80 प्रतिशत बैगाओं का नसबन्दी ऑपरेशन कराया जा चुका है। इन्हें आवास दिलाने का प्रलोभन दिया गया और उनकी जबरदस्ती नसबन्दी कर दी गई जो निन्दनीय है। योजनाबद्ध तरीके से सरकार बैगाओं का वंश खत्म करना चाहती है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए तथा दोषी अधिकारियों-कर्मचारीयों पर दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए।

समाज सेवी एवं पत्रकार सूरज ब्रम्हे ने बताया कि सरकार ने बैगा जनजाति को राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया और उनके संरक्षण, विकास और बुनियादी सुख सुविधा देने के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपया खर्च कर रही है किन्तु विलुप्त होती संरक्षित जनजाति की नसबन्दी कर उनका वंश खत्म कर रही है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और इसके लिये दोषी अधिकारी कर्मचारी पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। इससे हमारा राष्ट्रीय मानव कही जाने वाली बैगा जन-जाति को बचाया जा सके। उन पर किये जा रहे अत्याचार बन्द हो और उनको उचित न्याय मिले। इसके साथ ही प्रकरण की गंभीरतापूर्वक जांच करें। जिन बैगाओं का ऑपरेशन किया गया है उनको दस-दस लाख रूपयों का मुआवजा दिया जावे, साथ ही उन्हें आवास उपलब्ध कराया जाये।

सुधीर ताम्रकर की रिपोर्ट.

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