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प्रशासन द्वारा पीजीआई क्षेत्र में बेघर करना अमानवीय, असंवैधानिक

लखनऊ : पीजीआई थानक्षेत्र स्थित गाँधीग्राम मजरा बरौली, खलीलाबाद में वन विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा 23 मई 2015 को लगभग 60 सालों से रह रहे वनवासी नट जाति के लोगों के मकानों को अचानक बिना पूर्व नोटिस के गिरा देने के मामले में आज सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मौके पर जा कर पीड़ित लोगों से मुलाक़ात की और उन्हें हर संभव कानूनी मदद देने का आश्वासन दिया.

<p>लखनऊ : पीजीआई थानक्षेत्र स्थित गाँधीग्राम मजरा बरौली, खलीलाबाद में वन विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा 23 मई 2015 को लगभग 60 सालों से रह रहे वनवासी नट जाति के लोगों के मकानों को अचानक बिना पूर्व नोटिस के गिरा देने के मामले में आज सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मौके पर जा कर पीड़ित लोगों से मुलाक़ात की और उन्हें हर संभव कानूनी मदद देने का आश्वासन दिया.</p>

लखनऊ : पीजीआई थानक्षेत्र स्थित गाँधीग्राम मजरा बरौली, खलीलाबाद में वन विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा 23 मई 2015 को लगभग 60 सालों से रह रहे वनवासी नट जाति के लोगों के मकानों को अचानक बिना पूर्व नोटिस के गिरा देने के मामले में आज सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मौके पर जा कर पीड़ित लोगों से मुलाक़ात की और उन्हें हर संभव कानूनी मदद देने का आश्वासन दिया.

मौके पर तमाम लोगों से बात करने के बाद उन्होंने कहा कि अभिलेखों से स्पष्ट है कि इन गरीब लोगों को 26 जनवरी 1973 को आवासीय पट्टा दिया गया था और अभी हाल ही में सीडीओ लखनऊ ने पांच गाँव गोद लिए थे जिसमे यह गाँव भी बताया जाता है.

मौके पर तमाम लोगों ने बताया कि वहां कुछ दिनों से रात में लोग चोरी से मिटटी खोद कर ले जा रहे थे जिससे बड़े-बड़े गड्ढे बन गए थे और बच्चों के गिरने का डर था जिससे उन लोगों ने मिटटी खोदने से मना किया था. इसके दो दिन बाद ही प्रशासन के लोगों ने दिन में 38 मकान गिरा दिया और कुछ कच्चे मकान जला दिया. तब से ये लोग घर के बाहर ही बैठे हैं. डॉ ठाकुर ने कहा कि इस प्रकार बिना नोटिस के लम्बे समय से रह रहे लोगों को बेघर करना अत्यंत संवेदनहीन कार्य है और संविधान के अनुच्छेद 21 का सीधा उल्लंघन है, अतः वे इस मामले को कोर्ट में ले जायेंगी.

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