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दुख-सुख

सोशल मीडिया पर ट्रोल हुई गार्गी पंडित, मिली धमकियां

कठुवा, उन्‍नाव, सासाराम और सूरत समेत देश के अन्‍य हिस्‍सों में रेप की घटनाओं पर प्रतिक्रिया देना भोजपुरी फिल्मों की फिटनेस क्‍वीन गार्गी पंडित को भारी पड़ गया। उन्‍होंने सोशल मीडिया पर इन मामलों के खिलाफ अपने गुस्‍से का इजहार करते हुए रेपिस्‍टों को फांसी की सजा देने की मांग की थी, जिसके बाद उन्‍हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा। उनको पोस्‍ट पर चुप रहने को कहा जाने लगा और धमकियां भी मिली। यहां तक की मैसेज के जरिये भी उन्‍हें धमकियां मिली। बावजूद इसके गार्गी ने कहा कि वे बोलेंगी और उन्‍हें बोलने का हक है। गौरतलब है कि रेप मामले में उनसे पहले करीना कपूर खान, स्‍वरा भास्‍कर और सोनम कपूर भी सोशल मीडिया पर ट्रोल हो चुकी हैं।

गार्गी ने ट्रोलिंग को लेकर कहा कि भारतीय नागरिक होने के नाते मेरा अधिकार है कि देश में महिलाओं खास कर बच्चियों पर हो रहे हमले के खिलाफ बोलूं। सोशल मीडिया पर मुझे कुछ लोगों ने धमकी देते हुए कहा कि मैं सेलिब्रिटी हूं, इसलिए चुप रहूं। मगर मेरे देश का संविधान मुझे बोलने का अधिकार देता है और मैं वोट भी करती हूं। इसलिए मैं बोलूंगी। उन्‍होंने कहा कि पिछली सरकार में जब ऐसी बातें आईं थी, उसके बाद हमने भाजपा सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी वोट किया था, मगर आज उनकी सरकार मे लड़कियां ज्‍यादा अनसेफ लग रही हैं। लड़कियां सबसे ज्‍यादा अनसेफ तो भाजपा के लोगों से ही है। यही लोग कहते हैं आप मत बोलिये।

गार्गी ने कहा कि सरकार के अलावा ऐसे मामलों में मीडिया की भूमिका भी अहम है, मगर वे सिर्फ हेडलाइन दिखाकर चुप हो जाती है। उन्‍हें भी हेडलाइन से आगे निकलना होगा। आज हमें हिंदू – मुसलमान से आगे निकलकर महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर एकजुट होना होगा। साथ ही मैं भाजपा की महिलाओं से भी अपील करना चाहूंगी कि वे अपनी सरकार पर दवाब बनाकर ऐसे मामलों में कड़ी – से – कड़ी सजा के लिए कानून में बदलाव करवाये। उन्‍हें आगे आकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए लड़ना चाहिए।

गार्गी ने देश में बच्‍ची के साथ रेप के मामले में रेपिस्‍टों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए और कहा कि ये बेहद दुखद और शर्मनाक है कि 10 साल से भी कम उम्र की बच्चियों के साथ लगातार रेप के मामले सामने आ रहे हैं। वैसे तो रेप अपने आप में दुखद कृत्‍य है, उसमें भी अगर इसकी शिकार मासूम बच्चियां हो रही हैं तो सरकार के साथ – साथ समाज को भी सोचना होगा।

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