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बोल भागलपुर बोल : चलेगी संपादक जी की मनमर्जी… पत्रकारों की नहीं चल रही है अपनी मर्जी

भागलपुर शहर में जब भास्कर ने अपना पहला पोस्टर लांच किया था तो उस समय भास्कर का स्लोगन था बोल भागलपुर बोल अब चलाओ अपनी मर्जी. पत्रकारों को लगा था कि अब अपनी मरजी चलने वाली है. मुंह मागी सैलरी तो अवश्य की कदमों तर चूमनें वाली है. लेकिन भास्कर ने एक अल्पव्ययी संपादक राजेश रंजन को भागलपुर की कमान देकर पत्रकारों की मंशा पर पानी फेर दिया. कुछ चुनिंदा रिपोर्टर को छोड़ दें तो भास्कर किसी भी पत्रकार को कम सैलरी पर रखना चाह रहा है. पहले लोगों को लगा था, तीन मीडिया हाउसों के नामी रिपोर्टरों को भास्कर ज्वाईन करा लेगा. दैनिक जागरण से जमे जमाये कौशल किशोर, दिनकरचंद्र झा, अशोक अनंत, शंकर दयाल यहां तक कि बड़े संजय सिंह से भी भास्कर प्रबंधन ने बात चीत किया लेकिन भाव नहीं पटने के कारण भास्कप प्रबंधन ने मुंह बिदोड़ दिया. प्रभात खबर के मजबूत तीन स्तंभ माने जाने वाले निशिरंजन ठाकुर, अजीत व सुधाकर से भी भास्कर प्रबंधन ने बात किया. यहां भी बात सैलरी पर रूक गयी. हिंदुस्तान से दीपक उपाध्याय, आदित्यनाथ, शैलेंद्र से बात चीत चल रही थी.

<p>भागलपुर शहर में जब भास्कर ने अपना पहला पोस्टर लांच किया था तो उस समय भास्कर का स्लोगन था बोल भागलपुर बोल अब चलाओ अपनी मर्जी. पत्रकारों को लगा था कि अब अपनी मरजी चलने वाली है. मुंह मागी सैलरी तो अवश्य की कदमों तर चूमनें वाली है. लेकिन भास्कर ने एक अल्पव्ययी संपादक राजेश रंजन को भागलपुर की कमान देकर पत्रकारों की मंशा पर पानी फेर दिया. कुछ चुनिंदा रिपोर्टर को छोड़ दें तो भास्कर किसी भी पत्रकार को कम सैलरी पर रखना चाह रहा है. पहले लोगों को लगा था, तीन मीडिया हाउसों के नामी रिपोर्टरों को भास्कर ज्वाईन करा लेगा. दैनिक जागरण से जमे जमाये कौशल किशोर, दिनकरचंद्र झा, अशोक अनंत, शंकर दयाल यहां तक कि बड़े संजय सिंह से भी भास्कर प्रबंधन ने बात चीत किया लेकिन भाव नहीं पटने के कारण भास्कप प्रबंधन ने मुंह बिदोड़ दिया. प्रभात खबर के मजबूत तीन स्तंभ माने जाने वाले निशिरंजन ठाकुर, अजीत व सुधाकर से भी भास्कर प्रबंधन ने बात किया. यहां भी बात सैलरी पर रूक गयी. हिंदुस्तान से दीपक उपाध्याय, आदित्यनाथ, शैलेंद्र से बात चीत चल रही थी.</p>

भागलपुर शहर में जब भास्कर ने अपना पहला पोस्टर लांच किया था तो उस समय भास्कर का स्लोगन था बोल भागलपुर बोल अब चलाओ अपनी मर्जी. पत्रकारों को लगा था कि अब अपनी मरजी चलने वाली है. मुंह मागी सैलरी तो अवश्य की कदमों तर चूमनें वाली है. लेकिन भास्कर ने एक अल्पव्ययी संपादक राजेश रंजन को भागलपुर की कमान देकर पत्रकारों की मंशा पर पानी फेर दिया. कुछ चुनिंदा रिपोर्टर को छोड़ दें तो भास्कर किसी भी पत्रकार को कम सैलरी पर रखना चाह रहा है. पहले लोगों को लगा था, तीन मीडिया हाउसों के नामी रिपोर्टरों को भास्कर ज्वाईन करा लेगा. दैनिक जागरण से जमे जमाये कौशल किशोर, दिनकरचंद्र झा, अशोक अनंत, शंकर दयाल यहां तक कि बड़े संजय सिंह से भी भास्कर प्रबंधन ने बात चीत किया लेकिन भाव नहीं पटने के कारण भास्कप प्रबंधन ने मुंह बिदोड़ दिया. प्रभात खबर के मजबूत तीन स्तंभ माने जाने वाले निशिरंजन ठाकुर, अजीत व सुधाकर से भी भास्कर प्रबंधन ने बात किया. यहां भी बात सैलरी पर रूक गयी. हिंदुस्तान से दीपक उपाध्याय, आदित्यनाथ, शैलेंद्र से बात चीत चल रही थी.

यहां भी नतीजा ढ़ाक के तीन पात वाला रहा. बात ग्रामीण पत्रकारों की करें तो यहां भास्कर प्रबंधन रिपोर्टरों को अपमानित कर रहा है. ब्लाक रिपोर्टरों को एक हजार रूपया मासिक देने का प्रस्ताव दिया जा रहा है. जिससे रिपोर्टरों का मन खट्टा हो रहा है. बताना जरूरी है कि प्रखंड रिपोर्टरों को दैनिक जागरण न्यूज प्रींट और संप्रेषण व संकलन खर्च के आधार पर पैसा देता है. ऐसे में भागलपुर जिले के हर ब्लाक रिपोर्टर न्यूनतम पच्चीस सौ और अधिकतम सात हजार रूपया तक के बिल के एवज में रकम लेता है. प्रभात खबर न्यूनतम पंद्रह सौ रूपये की पगार देता है. हिंदुस्तान की एक मात्र ऐसा अखबार है जो जिले के ब्लाक रिपोर्टरों को मासिक रूप से बिल देने में कोताही करता है. हालांकि इस तरह की परिपाटी संपादक विश्वेस्वर कुमार के आने के बाद से शुरू हुई है. यही कारण है कि हिंदुस्तान को इन दिनों ब्लाक में रिपेर्टर नहीं मिल रहे हैं और ग्रामीण इलाके में प्रसार संख्या में कमी आयी है.

ऐसी स्थति में भास्कर को प्रखंड रिपोर्टर कैसे मिलेगा यह सोचनीय तथ्य है. दैनिक जागरण में एक कार्यरत रिपोर्टर को भास्कर के संपादक राजेश रंजन जी ने बुलाया. जब रिपोर्टर से पहले चरण की बात हो गयी तो बात सैलरी पर आ कर रूकी. रिपोर्टर से पूछा गया जागरण में कितना मिलता है. बेचारे रिपोर्टर ने सही सही बताया. संपादक जी को विश्वास नहीं हुआ और बैंक खाते का डिटेल जमा करने को कहा. रिपोर्टर बेहद खिन्न हुआ और भास्कर न जाने का फैसला लिया. सौभाग्य से दस साल से काम कर रहे उस रिपोर्टर को दैनिक जागरण ने पदोन्नति दे दी.राजेश रंजन जी इस तरह के कई वाकये आज कल पत्रकार भाई लोगों के जुबान पर है. अधिकांश पत्रकार कह रहे हैं कि भास्कर के संपादक जी फोकट में काम कराना चाह रहे हैं. भास्कर के मौजूदा हालात को देख कर पत्रकार कहने लगे हैं बोल भागलपुर बोल लेकिन चलेगी संपादक जी की मर्जी.

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