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कार्यालय में तीन रिपोर्टर हैं, तीनो एक ही जाति के हैं!

समस्तीपुर हिन्दुस्तान अखबार के कार्यालय में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। कार्यालय प्रभारी बीमार चल रहे हैं। इस कारण वे सप्ताह के तीन दिन मधुबनी स्थित घर पर गुजार रहे है। व्हाटस्एप के जरिये प्रबंधन को धोखा दिया जा रहा है। कार्यालय में तीन रिपोर्टर हैं। तीनो एक ही जाति के हैं। तीनों में इस कदर तालमेल है कि सभी सप्ताह में तीन दिन घर पर गुजारते हैं। आठ अक्टूबर को चुनाव से दो दिन पूर्व प्रभारी एक भीड़ के चपेट में आ गये। तब से अखबार की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है।

<p>समस्तीपुर हिन्दुस्तान अखबार के कार्यालय में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। कार्यालय प्रभारी बीमार चल रहे हैं। इस कारण वे सप्ताह के तीन दिन मधुबनी स्थित घर पर गुजार रहे है। व्हाटस्एप के जरिये प्रबंधन को धोखा दिया जा रहा है। कार्यालय में तीन रिपोर्टर हैं। तीनो एक ही जाति के हैं। तीनों में इस कदर तालमेल है कि सभी सप्ताह में तीन दिन घर पर गुजारते हैं। आठ अक्टूबर को चुनाव से दो दिन पूर्व प्रभारी एक भीड़ के चपेट में आ गये। तब से अखबार की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है।</p>

समस्तीपुर हिन्दुस्तान अखबार के कार्यालय में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। कार्यालय प्रभारी बीमार चल रहे हैं। इस कारण वे सप्ताह के तीन दिन मधुबनी स्थित घर पर गुजार रहे है। व्हाटस्एप के जरिये प्रबंधन को धोखा दिया जा रहा है। कार्यालय में तीन रिपोर्टर हैं। तीनो एक ही जाति के हैं। तीनों में इस कदर तालमेल है कि सभी सप्ताह में तीन दिन घर पर गुजारते हैं। आठ अक्टूबर को चुनाव से दो दिन पूर्व प्रभारी एक भीड़ के चपेट में आ गये। तब से अखबार की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है।

सर्कुलेशन कमतर होता चला जा रहा है। जिले के कई रिपोर्टर ने दूसरे अखबार का दामन थाम लिया है। इनमें केशव कुमार एवं रीतेश कुमार ने भास्कर का दामन थाम लिया है। जिला कार्यालय संजीव सावर्ण एवं उमेश मिश्रा की बदौलत किसी तरह से चल रहा है। बढ़ रहे लोड के कारण ये दोनों भी भास्कर के सम्पर्क में हैं, ऐसी चर्चा है। इस बीच मोहन कुमार मंगलम को समस्तीपुर बुलवाया गया। लेकिन तीनों समान बिरादरी के रिपोटर्स ने इन्हें सहयोग नहीं किया। फलस्वरूप इन्हें प्रबंधन ने वापस बुलवा लिया। जातिवाद की आड़ में कार्यालय में अन्य जाति के रिपोर्टरों के साथ तनाव पैदा कर उसे भगाने में तिकड़ी की भूमिका महत्वपूर्ण हो चली है।

संपादक को कार्यालय के इस हालात के बारे में पता है। इधर रोसड़ा के पीलर संजीव कुमार सिंह भी विगत कुछ दिनों से खबर नहीं लिख रहे हैं। हिन्दुस्तान अखबार के जिले के लोग कहते है कि संजीव के जिम्मे रोसड़ा अनुमंडल विगत पांच साल से संचालित हो रहा था। अन्य अखबारों में स्थानीय प्रभारी है। दैनिक जागरण में जितवारपुर के मुकेश कुमार, भास्कर में समस्तीपुर के लक्ष्मी कांत सिंह, प्रभात खबर में शंभूपट्टी के अभय कुमार प्रभारी हैं। हिन्दुसतान अस्थायी प्रभारी के बदौलत कितने दिनों तक समस्तीपुर के कार्यालय को संचालित कर पाती है। सबसे आश्चर्यजनक पहलू तो यह है कि हिन्दुस्तान अखबार से जुड़े कई रिपोर्टर भास्कर को भी खबर लिख रहे हैं, ऐसी चर्चा है। ऐसी स्थिति में हिन्दुस्तान कभी भी सख्त हुआ तो ये रिपोर्टर हिन्दुस्तान को बाय बाय कह सकते हैं।

दो अखबार में खबर लिखने का कारण जिला कार्यालय के प्रभारी के मनमानी पूर्ण रवैये को माना जा रहा है। बता दें कि इससे पूर्व सतीश कुमार मिश्रा एवं मोहन कुमार मंगलम समस्तीपुर कार्यालय के प्रभारी रह चुके हैं। जातिवाद की आड़ में मंगलम को हटाया गया। सबसे आश्चर्यजनक पहलू तो यह है कि विज्ञापन में भी हिन्दुस्तान अन्य अखबार से पिछड़ रहा है। बावजूद विज्ञापन में भी समजातीय कर्मी रहने के कारण उनके उपर भी कारवाई नहीं हो पा रही है। अब सवाल उठता है कि जातिवाद की आड़ में हिन्दुसतान अखबार के समस्तीपुर कार्यालय कब तक चल सकेगा। यह सवाल केवल हिन्दुस्तान अखबार का नहीं है बल्कि अब समस्तीपुर शहर में भी चर्चा का विषय बन गया है।

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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