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मनोरंजन

न्यूज़रूम का ज़बरदस्त वीजुअल और चटाख़ चटाख़ की गूंज..!

अब लिखूं या न लिखूं….? लिखूंगा.. तो लोग ख़ासतौर से… व्यक्ति विशेष दुष्प्राचारित करेगा कि हमारी तरक्की से जल रहा है… इसीलिए कीचड़ उछाल रहे हैं। अब न लिखूं तो…! थाल में बाक़ायदा रंगीन पन्नी से सजा हुआ, सच के लबादे से झलकता हुआ झूठ… हमेशा मुंह चिढ़ाता रहेगा… कि देखा…! हम एक बार फिर सच्चाई पर भारी पड़ गये…! तो ज़्यादा कुछ न कहते हुए सिर्फ इतना ही कि 2 अगस्त को इंदौर में पत्रकारिता को लेकर कोई आयोजन हो रहा है। उसमें कोई सज्जन… जो कि टीवी पत्रकारिता के दिग्गज बताए जा रहे हैं। जिनके बारे में उनके भाटों ने लिखा है कि वो टीवी और प्रिंट पत्राकिरात के मानो हस्ताक्षर हैं…! इतना ही नहीं उनके द्वारा हिंदी के ऊपर भी एहसास टाइप कुछ बताया गया है..?

<p>अब लिखूं या न लिखूं....? लिखूंगा.. तो लोग ख़ासतौर से… व्यक्ति विशेष दुष्प्राचारित करेगा कि हमारी तरक्की से जल रहा है... इसीलिए कीचड़ उछाल रहे हैं। अब न लिखूं तो...! थाल में बाक़ायदा रंगीन पन्नी से सजा हुआ, सच के लबादे से झलकता हुआ झूठ… हमेशा मुंह चिढ़ाता रहेगा… कि देखा...! हम एक बार फिर सच्चाई पर भारी पड़ गये…! तो ज़्यादा कुछ न कहते हुए सिर्फ इतना ही कि 2 अगस्त को इंदौर में पत्रकारिता को लेकर कोई आयोजन हो रहा है। उसमें कोई सज्जन... जो कि टीवी पत्रकारिता के दिग्गज बताए जा रहे हैं। जिनके बारे में उनके भाटों ने लिखा है कि वो टीवी और प्रिंट पत्राकिरात के मानो हस्ताक्षर हैं...! इतना ही नहीं उनके द्वारा हिंदी के ऊपर भी एहसास टाइप कुछ बताया गया है..?</p>

अब लिखूं या न लिखूं….? लिखूंगा.. तो लोग ख़ासतौर से… व्यक्ति विशेष दुष्प्राचारित करेगा कि हमारी तरक्की से जल रहा है… इसीलिए कीचड़ उछाल रहे हैं। अब न लिखूं तो…! थाल में बाक़ायदा रंगीन पन्नी से सजा हुआ, सच के लबादे से झलकता हुआ झूठ… हमेशा मुंह चिढ़ाता रहेगा… कि देखा…! हम एक बार फिर सच्चाई पर भारी पड़ गये…! तो ज़्यादा कुछ न कहते हुए सिर्फ इतना ही कि 2 अगस्त को इंदौर में पत्रकारिता को लेकर कोई आयोजन हो रहा है। उसमें कोई सज्जन… जो कि टीवी पत्रकारिता के दिग्गज बताए जा रहे हैं। जिनके बारे में उनके भाटों ने लिखा है कि वो टीवी और प्रिंट पत्राकिरात के मानो हस्ताक्षर हैं…! इतना ही नहीं उनके द्वारा हिंदी के ऊपर भी एहसास टाइप कुछ बताया गया है..?

मुझे लगा कि भले ही पूरी तरह न सही…! मगर शायद कुछ कुछ मैं भी उनको जानता या पहचानता हूं.! मैने आंकलन किया..! उनके दरबारियों द्वारा किये गये महिमा मंडन में, सहारा राजस्थान के सफल लांच करने से लेकर एस 1, और न जाने कई संस्थानों को सफलतापूर्वक लांच करने की बात बताई गई। लांच करने तो ठीक था… मगर सफलतापूर्क पर माथा ठनका..!मुझे याद है कि इस नाम के सज्जन जब तक सहारा में रहे… तब तक सहारा का राजस्थान चैनल लांच हो ही न पाया… और हां….जहां तक एस-1 के सफल लांचिग की बात है… तो मुझे कुछ कुछ यह भी याद है कि उसके मालिक और उस कंपनी की हैसियत या उनकी टर्नओवर चैनल लांच करते वक्त लगाए होर्डिंग्स में 2500 करोड़ो की बताई जाती थी..! लेकिन जब ये सज्जन अपनी सफलता का झंडा गाड़कर यहां से गये तो उसके मालिक जेल में… और कंपनी की हैसियत लगभग ज़ीरो हो चुकी थी..!

इसके अलावा कई अन्य चैनलों का हाल इनके दरबारियों ने नहीं बताया…! हो सकता है जल्दबाजी में भूल हो गई हो…! तो मुझे जहां तक याद है कि अगर पत्रकारिता जगत के ये वही दिग्गज हैं…? तो न्यूज़ एक्सप्रेस के लांच होने से बंद होने तक के सफर में…. इनके योगदान…! मौर्या में हुए खेल और अंदर की कहानी भी जनता को पता होनी चाहिए..! दरअसल मौर्या में जो कुछ हुआ उसका ज़िक्र उनकी किताब में शायद न हो..! साथ ही जहां तक मुझको याद है वॉयस ऑफ इंडिया में इनकी हरकतों और लूट के विरोध में लोग बेहद बेचैन थे…! और एक नये लड़के ने तो न्यूज़ रूम मे सरेआम इनका गिरेबान पकड़ा…! और उसके बाद पूरे न्यूज़रूम में मौजूद लोगों ने चटाख़ चटाख़ के जैसी कुछ गूंज सुनी…! जिन्होने देखा उन्होने कहा कि कई थपप्ड़ एक साथ लगे…! और जो नहीं देख पाए…. वो अफसोस करते रह गये… कि यार ज़बरदस्त वीजुअल निकल गये…!

अगर ये वही सज्जन हैं ….? तो यक़ीनन टीआरपी… बाजार और चैनलों की हालत से लेकर मार्किटिंग तक का ज्ञान इनको हो या न हो…. मगर इतना तो तय है कि इनको इतना ज़रूर पता है…. कि खुद के लिए रकम कैसे बनाई जाती है..? किस खबर को रोकने से कितने मिलेंगे और किसको चलाने का क्या लेना है..? बहरहाल अगर ये सज्जन वही हैं…? जो मैं समझ रहा हूं..? तो इनकी किताब के विमोचन पर इनको और इनके चाटुकार मंडली को हार्दिक बधाई…! साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले नये लोगों को एक सलाह भी..! यदि सच्चा और ईमानदार पत्रकार बनना है..? तो भय्या आपकी मर्जी..! और हां अगर पत्राकारिता जैसे पवित्र पेशे को भी धंधे की तरह करते हुए टूटी हुई साइकिल से लग्ज़री गाडियों और करोड़ों के बैंक बैलेंस का सफर तय करना है…? तो पत्रकारिता के इस महान पत्रकार को आदर्श मानना न भूलें..!

लेखक आज़ाद ख़ालिद को भले ही ये सज्जन टीवी पत्रकार न मानें… ! लेकिन सहारा, एस-1 समेत कई टीवी चैनलों की लांचिग टीम के सदस्य रहते हुए फील्ड से कई बड़ी स्टोरियों को ब्रैक करने और न्यूज रूम में भी अपनी मेहनत और ईमानदारी को ही अपना धर्म मानते हुए एक मामूली इंसान वर्तमान में अपना एक न्यूज़ पोर्टल http://www.oppositionnews.com चलाने की कोशिश कर रहा है। उपरोक्त लेख से किसी को अपमानित करने का उद्देश्य नहीं है न ही इसका किसी के निजी जीवन से कोई लेना देना है। हां अगर किसी कथित बड़े पत्रकार या उनके चाटुकारों को इस लेख में अपना या अपने किसी गॉडफादर का अक्स नज़र आए तो इसके लिए लेखक सीधे तौर पर दोषी नहीं होगा.

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