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मंत्रिमंडल में मौजूद हैं कई और अवधपाल

: ज्यादातर मामलों में कोर्ट की फटकार के बाद ही दर्ज हुए मुकदमे : लखनऊ : माया सरकार गुनाहों की सजा कानून से नहीं बल्कि अपने हिसाब से तय करती है। इसीलिए जो सरकार या संगठन केलिए उपयोगी नहीं रहे उन्हें जेल का रास्ता दिखाया गया और बाकी गंभीर अपराधों के आरोपी अभी भी सदन में सरकार के संख्याबल का हिस्सा बने हुए हैं। अवधपाल सिंह यादव नया नाम नहीं हैं।

<p>: <strong>ज्यादातर मामलों में कोर्ट की फटकार के बाद ही दर्ज हुए मुकदमे</strong> : लखनऊ : माया सरकार गुनाहों की सजा कानून से नहीं बल्कि अपने हिसाब से तय करती है। इसीलिए जो सरकार या संगठन केलिए उपयोगी नहीं रहे उन्हें जेल का रास्ता दिखाया गया और बाकी गंभीर अपराधों के आरोपी अभी भी सदन में सरकार के संख्याबल का हिस्सा बने हुए हैं। अवधपाल सिंह यादव नया नाम नहीं हैं।

: ज्यादातर मामलों में कोर्ट की फटकार के बाद ही दर्ज हुए मुकदमे : लखनऊ : माया सरकार गुनाहों की सजा कानून से नहीं बल्कि अपने हिसाब से तय करती है। इसीलिए जो सरकार या संगठन केलिए उपयोगी नहीं रहे उन्हें जेल का रास्ता दिखाया गया और बाकी गंभीर अपराधों के आरोपी अभी भी सदन में सरकार के संख्याबल का हिस्सा बने हुए हैं। अवधपाल सिंह यादव नया नाम नहीं हैं।

हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के आरोपी अभी भी मंत्रिमंडल और विधानमंडल दल के सदस्य हैं। अभी तक जितने भी मंत्री या विधायक जेल गए उनमें अधिकतर मामलों में न्यायालय की फटकार के बाद ही मामले दर्ज हुए और लोग जेल गए। हाल में एटा के तिहरे हत्याकांड में प्रदेश के स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री अवधपाल सिंह यादव और उनके एमएलसी भाई के खिलाफ हत्या का मामला सीजेएम कोर्ट से दर्ज होने केआदेश हुए हैं। अवधपाल सिंह यादव मायावती सरकार केचहेते मंत्रियों में हैं। इसीलिए तिहरे हत्याकांड में नाम आने के बाद भी उनसे इस्तीफा लेना तो दूर, सफाई देने तक के लिए नहीं कहा गया।

अवधपाल 1995 में मायावती के पहले मुख्यमंत्रित्वकाल में इसी विभाग के कैबिनेट मंत्री थे। बीच में वे रालोद में शामिल हुए और 2007 के विधानसभा चुनाव से पूर्व वह बसपा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री मायावती की फिर उन पर कृपा हुई और सरकार मेंमंत्री बन गए। यही नहीं उनकेभाई को भी एमएलसी बना दिया गया। दोनों ही भाइयों पर दर्जनों आपराधिक मुकदमे लदे हैं लेकिन सरकार के चहेते होने केकारण उनके खिलाफ क भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पूर्व हमीरपुर में व्यापारी नीरज गुप्ता की हत्या में शामिल आरोपी रिश्तेदार को बचाने के मामले सरकार के  कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का नाम आया।

कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज हुआ। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सीबीआई जांच जारी है। लेकिन इस बारे में संबंधित मंत्री के बारे में सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। बल्कि एक के बाद एक उनके पास मलाईदार विभाग बढ़ते गए। यही हाल बाबू सिंह कुशवाहा और अनंत कुमार मिश्र का रहा। दो सीएमओ की हत्याओं केबाद इन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया। विपक्ष इन दोनों मंत्रियों को हटाए जाने भर से ही संतुष्टï नहीं है।

इसी तरह कैबिनेट मंत्री वेदराम भाटी पर गाजियाबाद में तिहरे हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगा तो सरकार ने डीजीपी को जांच के आदेश दिए। डीजीपी ने सरकार की मंशा को भांपते हुए भाटी को क्लीनचिट दे दी। प्रदेश के राज्यमंत्री जयवीर सिंह पर एक अभियंता की पत्नी ने अपने पति की हत्या का आरोप लगाया। पीडि़ता को इंसाफ देने के  बजाय उसे ही जेल भेज दिया गया। इसके बाद आरोपी मंत्री को सीएम ने सदन में क्लीनचिट दे दी। सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे अनंत कुमार मिश्र पर एक शिक्षिका ने अपने पति को आत्महत्या करने केलिए प्रेरित करने का आरोप लगाया लेकिन तब उनकेखिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।

इसी सरकार में राज्यमंत्री रहे हरिओम उपाध्याय पर अगवा हुए एक इंजीनियर ने रिहा होने के बाद उन पर आरोप लगाया लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन सबसे साफ है कि इस निजाम में गुनाहों की सजा कानून के  हिसाब से नहीं बल्कि मुख्यमंत्री मायावती की मंशा के अनुरूप तय होती है।

लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित हिंदी दैनिक डेली न्यूज एक्टिविस्ट से साभार

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