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दैनिक जनवाणी, देहरादून से विदा हुए योगेश भट्ट

एक अध्याय खत्म हुआ। जनवाणी के साथ हमारी चार साल की यात्रा संपन्न हुई। इस यात्रा के दौरान पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करते हुए जो भूमिका हमने निभाई, उससे हम बेहद संतुष्ट हैं। अब आगे का क्या, हर जेहन में उठने वाले सवाल के जवाब में हम यह बताना चाहेंगे कि यात्रा खत्म नहीं हुई है। मीडिया हाउस में काम करने वाला हर कारिंदा मालिक हो, इस सपने को साकार करने का समय आ गया है। को-आपरेटिव के माध्यम से मीडिया संस्थान स्थापित करने की हम शुरुआत कर चुके हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि को-आपरेटिव के जरिये दैनिक उत्तराखंड न्यूज पोर्टल हम सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं और जल्द ही दैनिक उत्तराखंड न्यूज के नाम से एक अखबार सभी पाठकों के हाथों में होगा। इसकी शुरुआत हम कर चुके हैं।

<p>एक अध्याय खत्म हुआ। जनवाणी के साथ हमारी चार साल की यात्रा संपन्न हुई। इस यात्रा के दौरान पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करते हुए जो भूमिका हमने निभाई, उससे हम बेहद संतुष्ट हैं। अब आगे का क्या, हर जेहन में उठने वाले सवाल के जवाब में हम यह बताना चाहेंगे कि यात्रा खत्म नहीं हुई है। मीडिया हाउस में काम करने वाला हर कारिंदा मालिक हो, इस सपने को साकार करने का समय आ गया है। को-आपरेटिव के माध्यम से मीडिया संस्थान स्थापित करने की हम शुरुआत कर चुके हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि को-आपरेटिव के जरिये दैनिक उत्तराखंड न्यूज पोर्टल हम सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं और जल्द ही दैनिक उत्तराखंड न्यूज के नाम से एक अखबार सभी पाठकों के हाथों में होगा। इसकी शुरुआत हम कर चुके हैं।</p>

एक अध्याय खत्म हुआ। जनवाणी के साथ हमारी चार साल की यात्रा संपन्न हुई। इस यात्रा के दौरान पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करते हुए जो भूमिका हमने निभाई, उससे हम बेहद संतुष्ट हैं। अब आगे का क्या, हर जेहन में उठने वाले सवाल के जवाब में हम यह बताना चाहेंगे कि यात्रा खत्म नहीं हुई है। मीडिया हाउस में काम करने वाला हर कारिंदा मालिक हो, इस सपने को साकार करने का समय आ गया है। को-आपरेटिव के माध्यम से मीडिया संस्थान स्थापित करने की हम शुरुआत कर चुके हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि को-आपरेटिव के जरिये दैनिक उत्तराखंड न्यूज पोर्टल हम सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं और जल्द ही दैनिक उत्तराखंड न्यूज के नाम से एक अखबार सभी पाठकों के हाथों में होगा। इसकी शुरुआत हम कर चुके हैं।

यह बात सही है कि जनवाणी के साथ जब हम जुड़े तो ये शुरुआत नौकरी के तौर पर थी। एक संस्थान से दूसरे संस्थान की इस यात्रा में जब कारवां आगे बढ़ा तो सोच उत्तराखंड को एक अच्छा और भरोसेमंद अखबार देने की थी। इस उद्देश्य से टीम ने पूरी शिद्दत के साथ काम किया। यह जानते हुए कि आज के दौर में मीडिया या तो कॉरपोरेट घरानों के हाथ में है या फिर जमीन, शराब और खनन माफिया की गिरफ्त में। मीडिया उनके लिये अपने हित साधने का एक साधन मात्र है। ये भी किसी से छुपा नहीं है कि व्यावसायिक फायदे के लिये कतिपय घरानों ने पत्रकारिता को लिप्सा के खूंटे से बांध रखा है। इसके खिलाफ पत्रकार खामोश है तो संपादक नतमस्तक, यही खामोशी माफिया की ताकत रही है। उसके मातहत पत्रकार बंधुवा हो जाते हैं। निसंदेह ये प्रश्न उठता ही है कि ये कदम चार साल बाद क्यों उठाया जा रहा है। तो जवाब यह है कि हमने इस दौर में अपनी ताकत को संजोया है, ये चार साल हमारे संघर्ष की एक दास्तां हैं। न हमने हालात के आगे घुटने टेके न ही सिद्धांतों से कोई समझौता किया। तमाम दिक्कतों और तंगहाली की बावजूद पेशागत गरिमा और शुचिता पर आंच नहीं आने दी। प्रबंधन के लिये हम उनके लिहाज से उपयोगी साबित नहीं हुए। यही कारण रहा जब प्रबंधन के मंसूबे धीरे-धीरे दबाव की शक्ल लेने लगे तो फिर हमें निर्णय लेना ही पड़ा। निर्णय इसलिये भी लेना पड़ा कि हम पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों से समझौते को कतई तैयार नहीं थे। प्रबंधन की मंशा टीम की विचारधारा से मेल नहीं खाती है। फैसला लिया गया कि अब छोड़ देना ही बेहतर है। हमें खुशी है कि हमने अपनी भूमिका से न्याय किया। अफसोस सिर्फ इस बात का है कि काश प्रबंधन हमारे हाथों में होता। जो पौधा हमने लगाया है, उसके रखवाले भी हम होते। जहां तक सवाल यात्रा का है तो ये खत्म नहीं हुई है। जैसा की शुरुआत में ही हम जिक्र कर चुके हैं कि अपनी जिम्मेदारियों, सरोकारों के प्रति सजग रहते हुये मीडिया कापरेटिव स्थापित की जा चुकी है। इसका मकसद सबको एक सूत्र में पिरोने का है। प्रदेश का अपना मीडिया हाउस खड़ा करने का है। ऐसा मीडिया हाउस जो देश-दुनिया पर तो नजर रखे लेकिन राज्य के सामाजिक, सांस्कृतिक सरोकारों के प्रति सजग रहे। आम-ओ-खास से जुड़ी हर सूचना का वाहक बने। प्रदेश के भविष्य की सही दिशा तय करने में अपना योगदान दे। कॉ-आपरेटिव के माध्यम से मीडिया हाउस बनाने का यह बेशक राज्य में पहला प्रयोग है। ऐसा प्रयोग जो व्यावसायिक रिश्तों से जुदा भावनात्मक रिश्तों पर आगे बढ़ेगा। वो टीम जिसने जनवाणी को स्थापित करने में अपना योगदान दिया वही टीम अब एक नया अध्याय लिखने को बेताब है। यहीं से हमारी एक नई शुरुआत होने जा रही है। हम उलझेंगे नहीं, फंसेंगे नहीं हम आगे बढ़ेंगे।
 बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि खासा लोकप्रिय हो चुका न्यूज पोर्टल दैनिक उत्तराखंड के पीछे भी कोपरेटिव का ही हाथ है। कोपरेटिव सोसाइटी के तहत ही हरिद्वार से हम एक बिजनेस अखबार का सफल प्रकाशन कर रहे हैं। इस अखबार की कामयाबी से टीम उत्साहित है। जल्द ही कॉ-आपरेटिव का हिंदी दैनिक अखबार दैनिक उत्तराखंड भी ‘एक प्रदेश और एक अखबार’ के स्लोगन के साथ पाठकों के बीच होगा। आपके स्नेह, आशीर्वाद और शुभकामनाओं के साथ हम इस कारवां को रुकने नहीं देंगे… ये चलेगा और चलता ही रहेगा।

योगेश भट्ट के फेसबुल वाल से

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