Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-सुख

‘धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए…’, कहते हुए कलाम धरती की बांहों में जा गिरे

एक अजीम शख्सियत, कभी मिले बिना भी यूं लगा जैसे कोई अपना ऐसे कैसे चला गया। अधूरा मीठा सपना टूट गया। हर कोई हैरान, परेशान कैसे हुआ, क्यों हुआ ! नियति के क्रूर हाथों को कलाम भी बेहद भाए, सच में बुरे सपने की तरह वो चौंका गए, सबके जागते हुए, देखते-देखते कुछ यूं चले गए, यकीन ही नहीं होता, यह सपना है या वाकई उनका जाना।  कलाम ने जो कहा वो सच कर दिया। सपने वो नहीं जो नींद में आएं। सपने ऐसे हों जो आपकी नींद उड़ा दें। यकीनन जनता के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सबकी नींद उड़ा गए। कलाम कहते थे, आओ, हम अपना आज क़ुर्बान करे, जिससे हमारे बच्चों का कल बेहतर हो। उनका मानना था कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए समाज में तीन लोग ही हैं, माता-पिता और शिक्षक। बहुत दूर की गहरी सोच के धनी ओ अवाम के कलाम तुम ही तो वो शिक्षक थे, जो पढ़ाते-पढ़ाते अलविदा कह गए। बताओ अधूरा पाठ कौन पूरा करेगा।

<p>एक अजीम शख्सियत, कभी मिले बिना भी यूं लगा जैसे कोई अपना ऐसे कैसे चला गया। अधूरा मीठा सपना टूट गया। हर कोई हैरान, परेशान कैसे हुआ, क्यों हुआ ! नियति के क्रूर हाथों को कलाम भी बेहद भाए, सच में बुरे सपने की तरह वो चौंका गए, सबके जागते हुए, देखते-देखते कुछ यूं चले गए, यकीन ही नहीं होता, यह सपना है या वाकई उनका जाना।  कलाम ने जो कहा वो सच कर दिया। सपने वो नहीं जो नींद में आएं। सपने ऐसे हों जो आपकी नींद उड़ा दें। यकीनन जनता के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सबकी नींद उड़ा गए। कलाम कहते थे, आओ, हम अपना आज क़ुर्बान करे, जिससे हमारे बच्चों का कल बेहतर हो। उनका मानना था कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए समाज में तीन लोग ही हैं, माता-पिता और शिक्षक। बहुत दूर की गहरी सोच के धनी ओ अवाम के कलाम तुम ही तो वो शिक्षक थे, जो पढ़ाते-पढ़ाते अलविदा कह गए। बताओ अधूरा पाठ कौन पूरा करेगा।</p>

एक अजीम शख्सियत, कभी मिले बिना भी यूं लगा जैसे कोई अपना ऐसे कैसे चला गया। अधूरा मीठा सपना टूट गया। हर कोई हैरान, परेशान कैसे हुआ, क्यों हुआ ! नियति के क्रूर हाथों को कलाम भी बेहद भाए, सच में बुरे सपने की तरह वो चौंका गए, सबके जागते हुए, देखते-देखते कुछ यूं चले गए, यकीन ही नहीं होता, यह सपना है या वाकई उनका जाना।  कलाम ने जो कहा वो सच कर दिया। सपने वो नहीं जो नींद में आएं। सपने ऐसे हों जो आपकी नींद उड़ा दें। यकीनन जनता के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सबकी नींद उड़ा गए। कलाम कहते थे, आओ, हम अपना आज क़ुर्बान करे, जिससे हमारे बच्चों का कल बेहतर हो। उनका मानना था कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए समाज में तीन लोग ही हैं, माता-पिता और शिक्षक। बहुत दूर की गहरी सोच के धनी ओ अवाम के कलाम तुम ही तो वो शिक्षक थे, जो पढ़ाते-पढ़ाते अलविदा कह गए। बताओ अधूरा पाठ कौन पूरा करेगा।

अजीब संयोग, 83 साल के नौजवान कलाम ने मौत भी अपनी ख़्वाहिश से चुनी। अर्थ पर बोलते-बोलते अर्थ-पृथ्वी को अलविदा कह दिया। संसद के डेडलॉक पर भी वो बात करना चाहते थे जो अधूरा रह गया। यह सच है कि जीवन-मरण एक शाश्वत सत्य है लेकिन वो मौत भी क्या जो बेमिसाल हो। जीवन को सफल बनाने का कलाम का मूल मंत्र लाजवाब है – जब हम बाधाओं से रूबरू होते हैं तो पाते हैं कि हममें साहस और लचीलापन भी है, जिसका हमें खुद भान नहीं होता। यह तब पता लगता है, जब हम असफल होते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन्हें तलाशें और जीवन सफल बनाएं।

ऐसी ही असंख्य प्रेरणाओं और स्फूर्तियों के दाता कलाम की मौत ने हर हिन्दुस्तानी को झकझोरा। हिन्दुस्तानी क्या पूरी इंसानियत को ही चौंका दिया। उनकी विलक्षण प्रतिभा ही थी जो पूरा जीवन सादगी और हर दिन प्रेरणा से भरा होता था। अब्दुल कलाम के जीवन की शुरुआत बहुत ही संघर्षों से भरी रही। तमिल मुस्लिम परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे कलाम के पिता एक नाविक थे और मां गृहिणी। रामेश्वरम के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे लेकिन घर चलाने के लिए अखबार बांटते थे। यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से 1954 में भौतिकी में एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद फाइटर पाइलट बनना चाहते थे। सीट 8 थी कलाम का नंबर नौंवा। उनकी इच्छा अधूरी रही तो फिर दिशा बदल दी और 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी से ग्रेजुएशन के बाद डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट ऑर्गेनाइजेशन ; डीआरडीओ पहुंचे और शुरू हुई कामियाबियों को पंख लगने की उडान।

इण्डियन आर्मी के लिए छोटा हेलीकॉप्टर बनाया लेकिन खुद ही संतुष्ट नहीं हुए। 1962 में इण्डियन स्पेस ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) पहुंचे और फिर शुरू हुआ कलाम के कमाल का सिलसिला। 1980 में पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक लांच हुआ। रक्षा के क्षेत्र में कलाम ने कमाल ही कमाल किया। 1998 में अब्दुल कलाम की ही देखरेख में पोखरन में दूसरा सफल परमाणु परीक्षण हुआ। 1981 में पद्मभूषण, 1990 में पद्मविभूषण और 1997 में सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित कलाम 25 जुलाई 2002 को देश के 11 वें राष्ट्रपति बने। संगीत में भी उनकी बेहद रुचि थी। वो वीणा भी बजाते थे। युवाओं के लिए जबरदस्त आदर्श और प्रेरणा के स्त्रोत एपीजे अब्दुल कलाम आजीवन अविवाहित रहे।

वो कुरान और भगवत गीता दोनों को ही पढ़ते थे। वो शाकाहारी थे। मृत्युदण्ड के विरोधी रहे। अब्दुल कलाम ने अपनी मृत्यु से 26 दिन पहले, इसी साल 2 जुलाई को विधि आयोग को अपनी पुरानी रिपोर्ट भेजकर फिर से मृत्युदण्ड की मुखालफत की। राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने केवल पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी के मृत्युदण्ड पर सहमति दी थी। वो सुधारवाद के पक्षधर रहे हैं। राष्ट्रपित पद से कार्यमुक्त होने के बाद भी अब्दुल कलाम शोधए लेखन, शिक्षण में व्यस्त रहे। कलाम के आखिरी शब्द ‘धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए’ की चिंता से भरे थे और यही कहते हुए वो धरती की बाहों में जा गिरे।   

पत्रकार ऋतुपर्ण दवे से संपर्क : 8989446288, [email protected]

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement