नई दिल्ली: कार्डियोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) द्वारा देशभर में किए गए द ग्रेट इंडिया बीपी सर्वे के आंकड़े सीएसआई कार्डियेक प्रिवेंट 2015 में जारी किए गए। जिसमें सामने आया है कि भारत में एक-तिहाई से ज्यादा लोग हाई ब्लडप्रेशर से ग्रसित हैं और लगभग 60 फीसदी लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें हाई ब्लडप्रेशर की समस्या है। सर्वे से यह भी पता चलता है कि 42 फीसदी लोगों का ब्लडप्रेशर दवाइयां लेने के बावजूद अनियंत्रित है। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता की भारी कमी के चलते निकट भविष्य में लोगों में हृदय रोगों के बढ़ने से देश में बीमारी का बोझ बढ़ सकता है।
सीएसआई के अध्यक्ष डॉ. एच. के. चोपड़ा ने पिछले दो दशक से भारतीयों में बढ़ रहे हाई ब्लडप्रेशर की प्रवृति पर चिंता जताते हुए कहा कि यह देश के लिए चेतावनी है और लोगों को भी इस स्थिति से निपटने के लिए रोकथाम से जुड़े कदम उठाने चाहिए। सीएसआई इस समस्या को रोकने का प्रयास करेगा। इस बारे में सीएसआई कार्डियेक प्रिवेंट 2015 के आयोजन के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने कहा कि सर्वे से पता चलता है कि लोगों में हृदय रोगों के जोखिम कारकों को लेकर जागरूकता का स्तर काफी चिंतित करने वाला है। इसके अलावा बहुत बड़ी आबादी दवाइयां लेने के बावजूद अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि अनियंत्रित रक्त चाप स्ट्रोक, हार्ट फेल और असमय दिल का दौरा पड़ने के समान है। इसलिए लोगों को नियमित रूप से अपना बीपी चेक कराते रहना चाहिए। सीएसआई कार्डियेक प्रिवेंट 2015 और ग्रेट इंडिया बीपी सर्वे के आयोजन सचिव डॉ. एस रामाकृष्णन ने कहा कि देशभर के 24 राज्यों में 21 सितंबर को किए गए इस बड़े पैमाने के सर्वे में 200 शहर/कस्बें/ग्रामीण क्षेत्र और 700 से ज्यादा साइट शामिल थी और इसमें समाज के सभी वर्गो के साथ सरकारी और निजी अस्पतालों की सक्रिय भागीदारी रही। दिनभर में 1.8 लाख लोगों को शामिल किया। सर्वे के आंकड़ों से पता चला है कि 31-45 साल वर्ग के 25 फीसदी लोगों को हाइपरटेंशन से पीड़ित होने का पता ही नहीं है। भारतीय युवाओं में हाइपरटेंशन आम है। अध्ययन में 60 वर्ष के बुजुर्गो के मुकाबले दो-तिहाई से ज्यादा युवा हाइपरटेंसिव थे। इसलिए भारतीयों में हाइपरटेंशन अब सिर्फ बुजुर्गो की बीमारी नहीं रही है।