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सुचेता कृपलानी ने गांधीजी की इच्छा के खिलाफ जाकर आचार्य जेबी कृपलानी से शादी की थी

नई दिल्ली। प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, आदर्श राजनीतिज्ञ एवं देश की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व. सुचेता कृपलानी की 107वीं जन्म-तिथि पर स्थानीय हिंदी भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित किया गया था। संगोष्ठी की मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ लेखिका एवं इतिहासविद प्रभा दीक्षित ने कहा कि आजादी की लड़ाई में जितनी भी महिलाएं शामिल थीं उनमें सुचेता कृपलानी का नाम प्रमुख है। बात अलग है कि स्वतंत्रता संग्राम में शामिल अधिकांश महिलाएं उच्च शिक्षित एवं अंग्रेजी बोलने वाली थीं। आम जनता एवं महिलाओं के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। आज उनका नाम संसद में मुखर सांसद एवं उत्तर प्रदेश में सफल मुख्यमंत्रियों में शामिल है। तमाम राजनीतिक विषमताओं के बावजूद अपने संघर्ष की बदौलत सुचेता कृपलानी ने राजनीति के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया। इन कारणों से आज भी वे प्रासंगिक हैं।

<p>नई दिल्ली। प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, आदर्श राजनीतिज्ञ एवं देश की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व. सुचेता कृपलानी की 107वीं जन्म-तिथि पर स्थानीय हिंदी भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित किया गया था। संगोष्ठी की मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ लेखिका एवं इतिहासविद प्रभा दीक्षित ने कहा कि आजादी की लड़ाई में जितनी भी महिलाएं शामिल थीं उनमें सुचेता कृपलानी का नाम प्रमुख है। बात अलग है कि स्वतंत्रता संग्राम में शामिल अधिकांश महिलाएं उच्च शिक्षित एवं अंग्रेजी बोलने वाली थीं। आम जनता एवं महिलाओं के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। आज उनका नाम संसद में मुखर सांसद एवं उत्तर प्रदेश में सफल मुख्यमंत्रियों में शामिल है। तमाम राजनीतिक विषमताओं के बावजूद अपने संघर्ष की बदौलत सुचेता कृपलानी ने राजनीति के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया। इन कारणों से आज भी वे प्रासंगिक हैं।</p>

नई दिल्ली। प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, आदर्श राजनीतिज्ञ एवं देश की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व. सुचेता कृपलानी की 107वीं जन्म-तिथि पर स्थानीय हिंदी भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित किया गया था। संगोष्ठी की मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ लेखिका एवं इतिहासविद प्रभा दीक्षित ने कहा कि आजादी की लड़ाई में जितनी भी महिलाएं शामिल थीं उनमें सुचेता कृपलानी का नाम प्रमुख है। बात अलग है कि स्वतंत्रता संग्राम में शामिल अधिकांश महिलाएं उच्च शिक्षित एवं अंग्रेजी बोलने वाली थीं। आम जनता एवं महिलाओं के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। आज उनका नाम संसद में मुखर सांसद एवं उत्तर प्रदेश में सफल मुख्यमंत्रियों में शामिल है। तमाम राजनीतिक विषमताओं के बावजूद अपने संघर्ष की बदौलत सुचेता कृपलानी ने राजनीति के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया। इन कारणों से आज भी वे प्रासंगिक हैं।

 

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि उनके व्यक्तित्व के कई रंग थे। 1934 में बिहार में आए भीषण भूकंप के बाद वहां वे एक समाजसेवी की भूमिका में थीं तो संसद में देश के बंटवारे के बाद पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की समस्या को मुखर रूप से उठाया।  वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कहा कि सुचेता कृपलानी का जीवन संघर्षपूर्ण था। अपने जीवन और राजनीति में उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। उम्र में लगभग बीस साल का अंतर, परिवार का विरोध और गांधी जी की इच्छा के विरूद्ध जाकर उन्होंने आचार्य जेबी कृपलानी से शादी की। किसी की भी गलत बात का वे समर्थन नहीं करती थीं। अपने वेतन से बचत करके वे जरूरतमंदों की मदद करती थीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गांधीवादी सतपाल ग्रोवर ने कहा कि सुचेता कृपलानी एक आदर्श राजनीतिज्ञ एवं समाज सेविका थीं। स्वतंत्रता आंदोलन, प्राकृतिक आपदा, शरणार्थी समस्या आदि के हल में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। संसद के अंदर शरणार्थियों को पुरुषार्थी बताते हुए उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की थी। आजादी के बाद देश के नवनिर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी ने और धन्यवाद ज्ञापन आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी अभय प्रताप ने किया। कार्यक्रम में मीनाक्षी बहन, सुष्मिता सिंह, डॉ. शिवानी सिंह, वंदना झा, मीना जेम्स, ममता नेगी, मीना प्रजापति, पिंकी यादव, कोमल, शोभा सिंह, वरिष्ठ लेखक अवधेश कुमार, अशोक शरण, मनोज झा, डॉ. अशोक सिंह, सुजीत कुमार, ब्रजेश झा, प्रदीप सिंह, रौशन शर्मा जैसे अनेक समाजसेवी, पत्रकार एवं लेखक उपस्थित रहे।

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