एंटी करप्शन ब्रांच के आईजी दिनेश एम. एन. द्वारा खान विभाग में की गई ऐतिहासिक कार्यवाही की पर्दे के पीछे की कहानी… कुछ इस तरह से है:
जब दिनेश एम. एन. उदयपुर में पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे, खनन माफिया शेरखान ने फिरौती, अपहरण और हत्या की कई बारदातों में लिप्त गुजरात के अपराधी सोहराबुद्दीन को उदयपुर में शरण दे क़र मार्बल व्यवसायियों पर सोहराबुद्दीन के मार्फ़त दहशत फैलाई। शेरखान, सोहराबुद्दीन को व्यापारियों की डिटेल देता और फिर सोहराबुद्दीन ने मार्बल व्यवसायियों पर अपने खौफ का साम्राज्य खड़ा कर दिया। जिससे डरकर कुछ व्यवसायी अपने प्राण बचाने के लिए शेरखान की शरण में पहुंच गए, हफ्ता वसूली देने लगे। सोहराबुद्दीन की बदौलत शेरखान की तूती बोलने लगी। कुछ मार्बल व्यवसाइयों ने सरकार और पुलिस की शरण में जाकर मदद मांगी। सरकार यानी तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया और दिनेश एम.एन. ने मदद भी की और आखिर सोहराबुद्दीन का काला अध्याय पुलिस एनकाउंटर में समाप्त हुआ। परन्तु दिनेश एम.एन. को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में 7 वर्ष जेल में गुजारने पड़े। शेरखान ने तीस्ता सीतलवाड और कई लोगों ने कांग्रेस नेताओं की मदद से दिनेश एम.एन. को जेल पहुँचाने के लिए खूब पैसा खर्च किया। सुप्रीम कोर्ट तक महँगे वकील किये। इस बीच शेरखान का कांग्रेस में रुतबा बढ़ गया और वह विधायक के टिकट का दावेदार तक बन गया, पर टिकट मिल नहीं पाया। अब 7 वर्ष बाद दिनेश एम.एन. जेल से बाहर और आईजी पद पर प्रमोशन के साथ एंटी करप्शन ब्रांच में नियुक्ति मिली, पासा पलटा शेरखान और उसके सारे सम्पर्क के लोगों अधिकारियों के सारे कॉल रिकॉर्ड करवाना शुरू हुऐ, इन सब के दौरान खान विभाग का भ्रष्टाचार खान सचिव सिंघवी, खान निदेशक पंकज गहलोत, ये सब एंटी करप्शन ब्रांच की निगाह में आ गये, शेर खान को दबोचना दिनेश एम.एन. का लक्ष्य था। उसके जरिये सिंघवी और गहलोत जैसे बड़े भ्रष्टाचारी मगरमच्छ भी हाथ लग गये, सारे तथ्य, सबूत जुटाकर दिनेश एम.एन. ने 4 करोड़ की बरामदगी क़र इतिहास बनाया जिसका एंटी करप्शन ब्रांच के डी. जी. नवदीप सिंह को भी सब कुछ हो जाने के बाद पता चलने दिया गया।