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हरियाणा: जमीन खरीद-फरोख्त मामले में रॉबर्ट वाड्रा की बढ़ सकती हैं मुशकिलें

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बिजनसमैन दामाद रॉबर्ट वाड्रा की हरियाणा में जमीन खरीद-फरोख्त मामले में नई मुसीबत पैदा हो सकती है। दरअसल सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने कुछ प्राइवेट बिल्डर्स और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला हरियाणा के तीन जिलों के किसानों और जमीन मालिकों से उनकी जमीन लेकर औने-पौने दाम में बेचने का है। इस मामले में कथित तौर पर सरकार को 1500 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है।

<p><img src="images/0abc/FreshPaint-15-2015.09.18-01.15.10.jpg" alt="" /></p> <p>कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बिजनसमैन दामाद रॉबर्ट वाड्रा की हरियाणा में जमीन खरीद-फरोख्त मामले में नई मुसीबत पैदा हो सकती है। दरअसल सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने कुछ प्राइवेट बिल्डर्स और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला हरियाणा के तीन जिलों के किसानों और जमीन मालिकों से उनकी जमीन लेकर औने-पौने दाम में बेचने का है। इस मामले में कथित तौर पर सरकार को 1500 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है।</p>

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बिजनसमैन दामाद रॉबर्ट वाड्रा की हरियाणा में जमीन खरीद-फरोख्त मामले में नई मुसीबत पैदा हो सकती है। दरअसल सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने कुछ प्राइवेट बिल्डर्स और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला हरियाणा के तीन जिलों के किसानों और जमीन मालिकों से उनकी जमीन लेकर औने-पौने दाम में बेचने का है। इस मामले में कथित तौर पर सरकार को 1500 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है।

   सीबीआई के मुताबिक प्राइवेट बिल्डर्स ने हरियाणा सरकार के कर्मचारियों से सांठगांठ करके मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और जमीन मालिकों से लगभग 400 करोड़ जमीन खरीदी थी। जांच एजेंसी ने हरियाणा सरकार ने 2004 से 2007 के बीच हुई लैंड डील्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसी साल मार्च में हरियाणा की विधानसभा में कैग की रिपोर्ट भी पेश की गई थी। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को हरियाणा में बड़ा फायदा हुआ था। इस मामले में तब की हरियाणा की काग्रेंस सरकार ने मामूली रकम लेकर जमीनें दे दी थी।
    एजेंसी ने जांच में यह भी पाया कि भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हरियाणा सरकार ने पहले ही गुड़गांव के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में एक इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप के लिए लगभग 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। सीबीआई ने कहा कि इस नोटिफिकेशन के बाद प्राइवेट बिल्डर्स ने कथित तौर पर जमीन मालितों से यह कहकर जमीनें औने-पौने रेट पर ले लीं कि उनको मुआवजे में बहुत कम रकम मिलेगी। 2007 में डायरेक्टर ऑफ इंडस्ट्रीज ने इस जमीन को अधिग्रहण प्रोसेस से अलग करने के लिए एक ऑर्डर जारी किया था। एजेंसी का दावा है कि जमीन मूल मालिकों के बजाय बिल्डर्स, उनकी कंपनियों और एजेटों को रिलीज करना सरकारी पॉलिसी के खिलाफ है। प्राइवेट बिल्डर्स ने जमीन मालिकों को धोखे में रखकर 1600 करोड़ रूपये की मार्केट वैल्यू की जमीन 100 करोड़ रूपए में हथिया ली थी। एजेंसी ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने इस साल अगस्त में इस मामले में एक FIR दर्ज की और केंद्र सरकार से मामला सीबीआई के हवाले करने का अनुरोध किया। जांच एजेंसी ने कहा कि आईपीसी की कई धाराओं में एक मुकदमा दर्ज किया गया है लेकिन फिलहाल उसमें किसी भी सरकारी कर्मचारी को नामजद नहीं किया गया है।

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