61 साल की इंदु मल्होत्रा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में शपथ लेकर एक नया इतिहास रच दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार देश में ऐसा हुआ है कि किसी महिला वकील को सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में नियुक्त किया गया. इंदु के पिता ओमप्रकाश मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में वकील थे. बेंगलुरु में जन्मी इंदु की अधिकांश उच्च शिक्षा दिल्ली में हुई है. वे आजादी के बाद उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त की जाने वाली छठीं महिला हैं.
हुए विवाद भी –
इंदु मल्होत्रा के जस्टिस बनने पर काफी विवाद भी हुए. सरकार के पास जिन जजों के नाम की लिस्ट भेजी गई थी, उनमें से अधिकांश को दरकिनार करते हुए इंदु के नाम पर मोहर लगाई गई. इसके चलते सुप्रीम कोर्ट और वे जज जिनके नाम इस सूची में थे, खासे नाराज नजर आए. इसके अलावा उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को इस पद पर पदोन्नत न करने को कांग्रेस ने मोदी सरकार की बदले की राजनीति करार दिया.
इंदु मल्होत्रा की यात्रा –
- उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में बीए ऑनर्स और बाद में वहीं से राजनीति विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री हासिल की.
- डीयू के मिरांडा हाउस कॉलेज और विवेकानंद कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर के रूप में काम किया.
- साल 1979 से 1982 तक उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की.
- उन्हें साल 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया था.
- साल 1983 से लॉ प्रेक्टिस शुरू की.
- साल 1988 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ के रूप में पहला स्थान हासिल किया.
इंदु मल्होत्रा की उपलब्धियां –
- वे मध्यस्थता कानून में विशेषज्ञ हैं और विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मामलों में मध्यस्थता कर चुकी है.
- दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने भारत में मध्यस्थता तंत्र के संस्थानीकरण की समीक्षा करने के लिए उन्हें कानून और न्याय मंत्रालय में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) का सदस्य बनाया था.
- साल 2007 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ वकील नामित की जाने वाली दूसरी महिला थीं.
कौन कौन बनी है अब तक सुप्रीम कोर्ट की जज –
साल 1989 में फातिमा बीबी को सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनाया गया. इसके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना देसाई को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया.