मैं जानता हूँ कि मीडिया लाइन में इंटर्न बच्चों का शोषण कोई नई बात नहीं है। किन्तु तब आप क्या कहेंगे जब यह एक नई सीमा तक पहुंच जाये। इंडिया टीवी ने इस शोषण को नई सीमाओं तक पहुंचा दिया है।
अपनी नई हिंदी वेबसाइट खबर इंडिया टीवी डॉट कॉम में काम कराने के लिए इंडिया टीवी के पास या तो पैसा नहीं है या वो पैसा खर्च नहीं करना चाहती। इंटर्न्स को बड़े चैनल के बैनर की पावर दिखा कर फांस लिया जाता है और फिर उनसे 7-7 महीने तक घिस कर काम लिया जाता है। यहां तक कि कई कई हफ्तों तक उनकी नाइट शिफ्ट भी चला दी जाती है। ना नुकुर करने पर बच्चों को यह लालच दिया जाता है की जल्द ही तुम्हें यहाँ परमानेंट कर दिया जायेगा। लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि वह दिन कभी नहीं आता है। काम कर कर के जब बच्चा हार मान जाता है तो वेब के एडिटर राजेश यादव और एच आर डिपार्टमेंट के लोग मिल कर बच्चों को किसी छोटे मोटे वेब या चैनल में मात्र 8 या 10 हज़ार की तनख्वाह में लगवा देते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि चैनल में बैठे कई बड़े लोग इन बातों का संज्ञान तक नहीं लेते, या फिर ये इस बात का प्रमाण है कि वह भी इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। कई बार तो बच्चों से मज़दूरों की तरह काम लेने के बाद उन्हें इंटर्नशिप लेटर तक नहीं दिया जाता।
ऐसे में पत्रकारिता के क्षेत्र में नए कदम रख रहे बच्चों के मन में इस क्षेत्र की क्या छवि बन रही होगी आप कल्पना कर सकते हैं। दुनिया को अपने चैनल पर सही गलत की सीख देने वाला इंडिया टीवी पहले अपने गिरेबान में झाँक कर देखे।
– अपना नाम और जानकारी गुप्त रखना चाहता हूँ।