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आईएस को क्यों हिटलर बनाने पर तुली है दुनिया?

Padampati Sharma : एक दिन के भीतर कुवैत में नमाजियों की हत्या, सीरिया में नर संहार, ट्यूनीशिया में होटल व बीच पर छुट्टियां मना रहे निरीह विदेशियों को एके 47 से भून देने के अलावा फ्रांस में फैक्टरी के बाहर सिर कलम कर खंभे पर लटका दिया गया और दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्र बने हुए हैं मूक दर्शक. याद है द्वितीय विश्व युद्ध के पहले भी मित्र राष्ट्रों के मौन ने जर्मन तानाशाह हिटलरको किस कदर दुर्दांत बनाने का महापाप किया था. पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया को जब जर्मनी के खौफनाक हत्यारे शासक हिटलर ने हड़पा, तब अमेरिका, बिट्रेन, रूस और फ्रांस की चुप्पी शर्मनाक थी. परिणति महायुद्ध में लाखों की बलि से हुई.  इस बार चरम इस्लामिक उग्रवाद बतौर हिटलर नजर आ रहा है अपनी ऐसी नृशंस कारस्तानियों से कि मानवता चीत्कार करने लगी है और सारी दुनिया तमाशबीन है ? यह खतरा मानवता पर है किसी देश विशेष पर नहीं. अगर नहीं चेते तो तबाही का क्या मंजर होगा, सोच कर ही सिहरन होती है……प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी आप पहल कीजिए…..संपूर्ण मानवता आपके साथ खड़ी नजर आएगी….

<p>Padampati Sharma : एक दिन के भीतर कुवैत में नमाजियों की हत्या, सीरिया में नर संहार, ट्यूनीशिया में होटल व बीच पर छुट्टियां मना रहे निरीह विदेशियों को एके 47 से भून देने के अलावा फ्रांस में फैक्टरी के बाहर सिर कलम कर खंभे पर लटका दिया गया और दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्र बने हुए हैं मूक दर्शक. याद है द्वितीय विश्व युद्ध के पहले भी मित्र राष्ट्रों के मौन ने जर्मन तानाशाह हिटलरको किस कदर दुर्दांत बनाने का महापाप किया था. पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया को जब जर्मनी के खौफनाक हत्यारे शासक हिटलर ने हड़पा, तब अमेरिका, बिट्रेन, रूस और फ्रांस की चुप्पी शर्मनाक थी. परिणति महायुद्ध में लाखों की बलि से हुई.  इस बार चरम इस्लामिक उग्रवाद बतौर हिटलर नजर आ रहा है अपनी ऐसी नृशंस कारस्तानियों से कि मानवता चीत्कार करने लगी है और सारी दुनिया तमाशबीन है ? यह खतरा मानवता पर है किसी देश विशेष पर नहीं. अगर नहीं चेते तो तबाही का क्या मंजर होगा, सोच कर ही सिहरन होती है......प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी आप पहल कीजिए.....संपूर्ण मानवता आपके साथ खड़ी नजर आएगी....</p>

Padampati Sharma : एक दिन के भीतर कुवैत में नमाजियों की हत्या, सीरिया में नर संहार, ट्यूनीशिया में होटल व बीच पर छुट्टियां मना रहे निरीह विदेशियों को एके 47 से भून देने के अलावा फ्रांस में फैक्टरी के बाहर सिर कलम कर खंभे पर लटका दिया गया और दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्र बने हुए हैं मूक दर्शक. याद है द्वितीय विश्व युद्ध के पहले भी मित्र राष्ट्रों के मौन ने जर्मन तानाशाह हिटलरको किस कदर दुर्दांत बनाने का महापाप किया था. पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया को जब जर्मनी के खौफनाक हत्यारे शासक हिटलर ने हड़पा, तब अमेरिका, बिट्रेन, रूस और फ्रांस की चुप्पी शर्मनाक थी. परिणति महायुद्ध में लाखों की बलि से हुई.  इस बार चरम इस्लामिक उग्रवाद बतौर हिटलर नजर आ रहा है अपनी ऐसी नृशंस कारस्तानियों से कि मानवता चीत्कार करने लगी है और सारी दुनिया तमाशबीन है ? यह खतरा मानवता पर है किसी देश विशेष पर नहीं. अगर नहीं चेते तो तबाही का क्या मंजर होगा, सोच कर ही सिहरन होती है……प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी आप पहल कीजिए…..संपूर्ण मानवता आपके साथ खड़ी नजर आएगी….

Krishna Kant : चार—चार देशों में आतंकी हमला. दर्जनों लोगों का खून पीकर कौन सा ईश्वर खुश होता होगा? यह खूनी खेल ईश्वर अल्ला के न होने का पुख्ता सबूत है. इससे इतर, कठमुल्लों को यह तय करना पड़ेगा कि वे क्या चाहते हैं. यह बात सभी धर्मों के कट्टरपंथियों पर लागू होती है जो नरसंहार करके दुनिया को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं. इस युग में दुनिया किसी एक किताब—गीता या कुरान से नहीं चल सकती. यह सनक जितनी जल्दी त्याग दी जाए, उतना ही अच्छा है. शांति और सौहार्द अगर दूसरे के लिए नहीं है तो आपके लिए भी नहीं होंगे. जब आप दुनिया के मुसलमानों के एक होने का नारा लगाते हैं, तब बाकी दुनिया में बच रहे इंसानों के बारे में थोड़ा सोचना चाहिए. कोई समुदाय जहां अल्पसंख्यक है वहां उसके साथ अन्याय होने पर उसके लिए खड़ा होना जरूरी है, लेकिन पशुता का समर्थन नहीं किया जा सकता, चाहे कोई अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक या दुनिया का सबसे पवित्र विचार. किसी धर्म, संप्रदाय, विचारधारा आदि की आड़ में नरसंहार किसी भी तौर बर्दाश्त नहीं किए जा सकते. आईएस जैसे वहशियों के कथित इस्लामी संगठन हर दिन जितना संभव है उतना खूनी तांडव करते हैं. एक—एक हजार लोगों को एक बार में दर्दनाक मौत मारते हैं. महिलाओं का अपहरण कर बाजार लगाकर बेचते हैं. इस पशुता का ही नतीजा है कि फ्रांस में हुआ हमला निजी रंजिश का नतीजा था लेकिन तुरंत फ्रांसुआ ओलांद ने उसे आतंकी हमला बता दिया. कुछ लोग अपनी पशुता से बाकी समुदाय को शक के घेरे में खड़ा करते हैं. जहां सिर्फ मुसलमान हैं, वहां सुन्नी शिया एक—दूसरे के खून के प्यासे हैं. पूरी दुनिया जब अपराधियों तक के लिए मानवाधिकार की लड़ाई लड़ रही हो, तब शैतानों के लिए इस धरती पर जगह नहीं हो सकती. ऐसे खूंखार लोगों को न्यूनतम मनुष्य बनना पड़ेगा. ईश्वर अल्ला की ठेकेदारी लेने वाले किसी को जीवन नहीं दे सकते तो वे जीवन लेने का भी अधिकार नहीं रखते. हमें धर्म के वहशीपन के बारे में पुनर्विचार करना पड़ेगा. सभी धर्मों के सभ्य समाज को आतंकवाद का कड़ा विरोध करना चाहिए, वरना जहान को जहन्नुम ही बनना है. धर्म लोगों को जन्नत का फर्जी सपना दिखाकर जहन्नुम में डालता है. धर्म से मुक्ति मानवता की मुक्ति है.

पत्रकार द्वय पदमपति शर्मा और कृष्ण कांत के फेसबुक वॉल से.

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