Samarendra Singh : मैगी सेहत के लिए अच्छी है या नहीं … यह तो जांच का विषय है. लेकिन मेरी समझ में कुछ बातें नहीं आ रहीं. 1. अगर मैगी खराब है और उसमें जहरीले तत्व हैं तो इतने दिन तक कैसे बिकती रही? FSSAI आखिर इतने दिन से कर क्या रहा था? 2. अगर FSSAI ने पहले भी जांच की है तो उसकी रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आ रही?
3. भारत में मैगी की बिक्री कुछ कायदे-कानून के तहत ही हो रही थी. नेस्ले एक बड़ी कंपनी है. माल की गुणवत्ता की जांच करने के लिए एजेंसियां हैं. लाइसेंस जारी करने के लिए भी एजेंसियां हैं. ताजा विवाद में जिस तरह फिल्मी अभिनेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है… उसी तरह तमाम अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया गया?
4. क्या हमारी अदालतों के पास इतना खाली समय पड़ा है कि वह अभिनेताओँ पर मुकदमा दर्ज कराने का बेतुका आदेश जारी करें? 5. कहीं ऐसा तो नहीं कि वह जज भी मैगी खाता था और अचानक जिस तरह मैगी के प्रभावों से इस देश के सारे लोग सिनिकल हो गए हैं… वह जज भी सिनिकल हो गया था? यहां ध्यान रहे कि मैं जज की नीयत पर सवाल नहीं उठा रहा… मैं उनके क्रांतिकारी आदेश पर हैरानी जता रहा हूं और मैगी के कुप्रभावों की जांच की मांग कर रहा हूं.
मैगी पर पाबंदी लगना छोटी साजिश है. बड़ी साजिश तो यह है कि मैगी, कोक, पेप्सी जैसे उत्पाद धड़ल्ले से बिकते हैं. साजिश तो यह है कि हमारा भ्रष्ट तंत्र अनैतिक संस्थाओं और उत्पादों को ही आगे बढ़ाता है. मेरा कहना सिर्फ इतना है कि मैगी खतरनाक है, जैसा की जांच से पता चल रहा है, तो यह भारत में इतने दिन बिकती कैसे रही? हमारी सरकारें और एजेंसियां क्या कर रही थीं? और मुकदमा उन पर क्यों नहीं चलाया जाए? अगर किसी उत्पाद को हमारी सरकार ने लाइसेंस दिया है, सर्टिफाई किया है तो कोई अभिनेता या अभिनेत्री उसका ब्रांड एम्बेसडर बनता है तो कोई अदालत सिर्फ उस पर मुकदमा कैसे दर्ज करा सकती है?
पत्रकार समरेंद्र सिंह के फेसबुक वॉल से.