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फिर हांक गए मोदी… पिछले दफे सफाई अभियान लाए थे जो टांय-टांय फिस्स हो गया…

प्रिय देशवासियों, आपको बताना चाहता हूं (क्योंकि आपको पा नहीं है कि) अब नरेंद्र मोदी बाबा देश के पीएम हैं। बीते सवा साल से। पिछले साल मौका लगा तो लाल किले की प्राचीर से सफाई पर ही बोल पड़े। उसके बाद तो मंत्रियों ने ऐसी सफाई की कि पूछो मत। यह सफाई बहुत बड़ा फोटो अपरच्युनिटी के रूप में सामने आया। बोतल टाइप के मंत्री-संतरी बकलोल टाइप का चेहरा लेकर अखबारों के फ्रंट से लेकर आखिरी पन्ने तक छा गए। इन चोरों को अपने घर की परवाह कभी नहीं हुई।

<p>प्रिय देशवासियों, आपको बताना चाहता हूं (क्योंकि आपको पा नहीं है कि) अब नरेंद्र मोदी बाबा देश के पीएम हैं। बीते सवा साल से। पिछले साल मौका लगा तो लाल किले की प्राचीर से सफाई पर ही बोल पड़े। उसके बाद तो मंत्रियों ने ऐसी सफाई की कि पूछो मत। यह सफाई बहुत बड़ा फोटो अपरच्युनिटी के रूप में सामने आया। बोतल टाइप के मंत्री-संतरी बकलोल टाइप का चेहरा लेकर अखबारों के फ्रंट से लेकर आखिरी पन्ने तक छा गए। इन चोरों को अपने घर की परवाह कभी नहीं हुई।</p>

प्रिय देशवासियों, आपको बताना चाहता हूं (क्योंकि आपको पा नहीं है कि) अब नरेंद्र मोदी बाबा देश के पीएम हैं। बीते सवा साल से। पिछले साल मौका लगा तो लाल किले की प्राचीर से सफाई पर ही बोल पड़े। उसके बाद तो मंत्रियों ने ऐसी सफाई की कि पूछो मत। यह सफाई बहुत बड़ा फोटो अपरच्युनिटी के रूप में सामने आया। बोतल टाइप के मंत्री-संतरी बकलोल टाइप का चेहरा लेकर अखबारों के फ्रंट से लेकर आखिरी पन्ने तक छा गए। इन चोरों को अपने घर की परवाह कभी नहीं हुई।

लेकिन जब मोदी बाबा ने नौटंकी शुरू की तो चमचे कहां पीछे रहने वाले थे? गोरखपुर के सांसद और शहर विधायक ने कभी झाड़ू को हाथ नहीं लगाया। गोरखपुर आज गंदगी से बजबजा रहा है। पर, ये गोरखपुर इंडिया में नहीं है। पता नहीं कहां है? यहां साफ-सफाई संभवतः दंडनीय अपराध है। गंदा रहना ही यहां की रंगबाजी है यारों। इसीलिए, हमलोग भी गंदे ही रहते हैं। तो, लब्बोलुआब यह कि सफाई अभियान टांय-टांय फिस्स हो गया लेकिन टीवी वाले और अखबार वालों को विज्ञापन जोरदार मिला। धन की बारिश हुई। यह बात दीगर है कि उस धन से किसी पत्रकार भाई को सुथनी तक नहीं मिला।

आज 15 अगस्त है। मोदी बाबा फिर हांक गए। हांकना उनके खून में है। कोई तो मोदी बाबा का डीएनए टेस्ट कराये। पता तो चले कि ये बंदा इतनी जोर का हांक कैसे लेता है। पब्लिक को टोपी पहनाने का जो टैक्टिस है इस बंदे के पास, उस पर शोध होनी चाहिए। पता तो लगे कि यह आदमी गया में, मुजफ्फरपुर में, गोरखपुर में ही नहीं बल्कि तेज-तर्रार मानी जाने वाली पूरी हिंदी पट्टी में न सिर्फ बढ़िया से हांक लेता है बल्कि पीएम भी बन जाता है। क्या मोदी बाबा के पास कोई टानिक है जिसको पीते ही हांकने वाले विचार आ जाते हैं? या, कोई फार्मूला है, कोई चूरन है जिसे फांका और आल इंडिया रेडिओ चालू? कोई बताओ भाई। हम भी हांक कर कहीं नौकरी-चाकरी पा जाएं।

अभी वन रैंक, वन पेंशन पर गतिरोध कायम है। लाल किले की प्राचीर से बाबा ने कुछ घोषणा नहीं की। वैसे भी उनकी बातों पर अब भरोसा करता कौन है। सरकारी आंकड़े कहते हैं कि खुदरा महंगाई दर 3.8 प्रतिशत पर आ गई है। उधर, अरहर की दाल साली 70 से छलांग मार कर सीधे 120 रुपये प्रति किलो पर आ कर बैठ गई है। जो टाइड सर्फ 45 रुपये में आधा किलो मिलता था, वह 51 का आने लगा। ग्वाले 45 रुपये से बढ़ाकर 52 रुपये गइया का दूध बेच रहे हैं। चीनी का भाव रंगबाजी झाड़ रहा है। 32 से तुनक कर 41 पर पहुंच गया। साली इसी महंगाई ने तो मनमोहन को लीला था। फिर वही महंगाई। प्याज फिर जार-जार कर रहा है। 50 के नीचे आ ही नहीं रहा। क्यों भई। लेकिन अपुन महंगा प्याज खाएंगे और मोदी के गुन गाएंगे। यह जानते हुए भी कि मोदी सिर्फ हांकते हैं, हम आज डीडी न्यूज पर उनका लाइव हांकना देखते रहे। फिर लिखने लगा, मोदी की गप्पबाजी पर। आपने भी देखा-सुना होगा मोदी को। कैसा लगा आपको? कहीं किसी किस्म का पश्चाताप तो मन में नहीं फल-फूल रहा?

लेखक आनंद सिंह गोरखपुर के पत्रकार हैं.

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