जयपुर : राजस्थान पत्रिका समूह के संस्थापक कर्पूरचंद कुलिश की स्मृति में वर्ष 2007 में शुरू किए गए देश के पहले अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार एपीजे अब्दुल कलाम ने ही प्रदान किए थे। समारोह की अध्यक्षता तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने की थी। नई दिल्ली के नेहरू प्लेस स्थित होटल इंटरकांटिनेंटल इरोस में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कलाम ने कहा था कि मीडिया पर आम आदमी का भरोसा बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि पत्रकार सही सूचनाएं दें। समाज के लिए अच्छा काम कर रहे लोगों की सफलता की कहानियां उजागर करें और सनसनी से दूर रहें। उन्होने युवा पत्रकारों को पांच शपथ भी दिलाई-
– देश व देशवासियों के प्रति निष्ठावान रहेंगे
– खबरों से सनसनी नहीं फैलाएंगे
– मीडिया पर लोगों का भरोसा बना रहे इसके लिए सही सूचना देंगे
– ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सफलता उजागर करेंगे
– तथ्यों की पूरी पड़ताल के बाद ही खबर बनाएंगे
एपीजी अब्दुल कलाम ने पत्रिका के कार्यक्रम कन्वरसेशन विद कलाम में दिए गए उद्बोधन में भारतीय मीडिया के बारे में कहा था कि अन्य देशों से तुलना की जाए तो यहां समाचार और घटनाएं अनोखी और विचित्र किस्म की होती हैं। ऐसे में प्रिंट मीडिया के सामने कड़ी चुनौती है। कलाम ने कल की और आज की पत्रकारिता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था कि आज समाचार वैश्विक और राष्ट्रीय परिदृश्य लिए हुए है। संक्षेप में कहा जाए तो पत्रकारिता चुनौतियों और अवसरों से लवरेज है। देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं को समर्थ बनाने में पत्रकारिता की महती भूमिका है और जीवन के विभिन्न पहलुओं में यह रोल मॉडल का काम करती है। कलाम ने सकारात्मक पत्रकारिता का संदेश देते हुए कहा था कि एक पत्रकार की पहली निष्ठा जनता के प्रति होनी चाहिए। एक पत्रकार को स्वतंत्र रहना चाहिए, किसी भी तरह के व्यक्तिगत, दलों और संगठनों के दबाव में नहीं आना चाहिए। सच्चाई को उजागर करने में कोई समझौता नहीं करना चाहिए। मीडिया संगठनों को ऐसी रिपोर्टिंग करने में संयम बरतना चाहिए जो हमारे राष्ट्रीय हितों, सामाजिक ताने-बाने और सामाजिक शांति को प्रभावित करती हो।