बुद्धिवादी, वाम-विचारक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ विद्वान् प्रो. एमएम कालबुर्गी की हत्या नरेन्द्र दाभोलकर और कामरेड गोविन्द पानसारे की हत्या की ही अगली कड़ी है. यह बात संदेह से परे है कि दकियानूस हिन्दुत्ववादी ताक़तों ने इस काम को अंजाम दिया है. जून 2014 में हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ताओं ने प्रो. कालबुर्गी और यू आर अनंतमूर्ति के ख़िलाफ़, धार्मिक भावनाओं को आहत करने की शिकायत करते हुए, मुक़दमा दर्ज किया था. बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद् और श्री राम सेने ने उनकी कुछ टिप्पणियों को निशाने पर लेते हुए राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया था और उनके घर के बाहर प्रदर्शन करते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पत्थर और सोडा वाटर की बोतलें भी फेंकी थीं.
कल सुबह धारवाड़ में उनकी हत्या के बाद बजरंग दल के मंगलोरवासी नेता भुविथ शेट्टी ने ट्वीट किया, ‘उस समय यू आर अनंतमूर्ति था और अब एम एम कालबुर्गी. हिदू धर्म का मज़ाक़ उडाओ और कुत्ते की मौत मरो. और प्रिय के एस भगवान, तुम्हारा नंबर अगला है.’ यह हत्यारों द्वारा इस बात का खुलेआम ऐलान है कि हमने हत्या की है और आगे भी करेंगे. श्री के एस भगवान मैसूर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं और हिन्दुत्ववादी समूहों की राजनीति पर टिप्पणी करने की वजह से उन्हें धमकियां मिलती रही हैं.
आज नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या के 2 साल बाद भी उनके हत्यारों का कुछ पता नहीं चला है. प्रो. एम एम कालबुर्गी के मामले में प्रशासन के पास इस तरह अँधेरे में तीर मारने के बहाने भी नहीं हैं. उनके हत्यारे सोशल मीडिया पर जश्न मनाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. जनवादी लेखक संघ मांग करता है कि प्रो. एम एम कालबुर्गी के हत्यारों को बिना किसी बहाने और विलम्ब के तुरंत गिरफ्तार किया जाए और राज्य-सरकार संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में तथा हत्या और धमकी की राजनीति के ख़िलाफ़ अपना दृढ़ रवैया प्रदर्शित करे.
मुरली मनोहर प्रसाद सिंह
(महासचिव)
संजीव कुमार
(उप-महासचिव)
प्रेस रिलीज