रवीश कुमार ने शुक्रवार के अपने प्राइम टाइम में जो किया उसके लिए हिम्मत चाहिए…. हाँ हिम्मत आपको आपका ही चेहरा एक अँधेरे में दिखाने की… हिम्मत आपको अँधेरे में महसूस होने वाली तन्हाई आपको महसूस कराने की…… और हिम्मत इस शोर शराबे से दूर बहुत दूर ले जाने की। कल में भी उनके साथ इस अँधेरे सफर में शामिल हुआ यकीन मानिए कहीं खो सा गया शायद इसीलिए डर भी नहीं लगा। सच ही तो कहा उन्होंने एंकर की नसों में दौड़ने वाले खून की रफ़्तार कैसे बढ़ जाती है इसका एक उदाहरण तो मै भी देख चुका हूँ…. मौका था नॉएडा में पत्रकारिता पर आयोजित एक कार्यक्रम का…. वहां मौजूद एक बड़े चैनल के बड़े एंकर से जब मैने कुछ सवाल मंच से पुछा तो कैसे तिलमिला उठे थे वो…… खैर ये मामला अलग था.
जेएनयू वाले मामले में जिस तरीके से ख़बरों को परोसा गया इन हफ़्तों में जो कुछ भी दिल्ली में हुआ उसे लेकर आपने अपनी राय बनायीं ही नहीं बल्कि जिस मीडिया को आप गाली देते हैं कोसते हैं उसी मीडिया की राय में खुशी खुशी शामिल हो गए। विकास के नाम पर नेता अपनी जेब भर रहे हैं, थाने के दारोगा के वेरिफिकेशन के लिए भी पैसे ऐंठ रहे हैं,आरक्षण के नाम पर आपकी और मेरी दुकानों में आग लगायी जा रही है लूटा जा रहा है,सरकारी अस्पतालों व स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर जो लूट मची है उस पर किसी का खून नहीं खौलता लेकिन इस भीड़ में अपना चेहरा दिखाने को जरूर उनका खून उबाल ले जाता है।
कभी सोचा है कि जिन समाचार चैनलों को आप देखते हो आपकी समस्याओं को वहां कितनी प्रमुखता से दिखाया जाता है शायद आपमें से कइयों ने तो ओवी वैन को देखा भी न होगा लेकिन होने दीजिये अपने शहर में कोई दंगा आपकी ये इच्छा भी पूरी हो जाएगी पर उससे पहले नहीं। और हाँ रवीश सर आप भी इस सब से अछूते कहाँ रहे याद है न ‘रवीश की रिपोर्ट’ हर शुक्रवार को आती थी कुछ नया लेकर हमारे बीच से ही … आखिर इस दौड़ में कहाँ छूट गयी वो…… रवीश सर आपने आईने को आइना दिखाया है….. अब जरुरत है इस आईने को खुद को निहारने की वरना आपको तो पता है न शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है……
मोहित गौड़
mohit gaur
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मथुरा