सांसदों को अपने चुनाव क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली सांसद निधि का इस्तेमाल में कई वरिष्ठ सांसद काफी पीछे हैं.
एक साल में सांसद निधि का एक रुपया भी खर्च न कर पाने वालों में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के नाम प्रमुख हैं. यह नेता उन 298 सांसदों में से हैं जिनकी सांसद निधि में से कुछ भी खर्च नहीं हुआ है.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से लोकसभा के 543 सांसदों को इस मद में आवंटित 1,757 करोड़ रुपये में से 281 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं.
वर्ष 1993 से शुरू की गई इस योजना के पैसे को लोकसभा सांसदों को अपने चुनाव क्षेत्र में कहीं भी और राज्यसभा सांसदों को अपने राज्य में कहीं भी और मनोनीत सांसदों को देश भर में कहीं भी विकास कार्यों के लिए आवंटित की जाती है.
सांसद निधि का इस्तेमाल सामुदायिक भवन, बिजली, सड़क, पीने के पानी और शिक्षा पर किया जाता है. क्या कारण है कि सांसद इस मद में मिलने वाले रूपये का अपने संसदीय क्षेत्र के विकास में खर्च नहीं कर पाते हैं?
सांसदों का कहना है कि सांसद निधि का क्रियान्वयन पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन पर निर्भर करता है.
योजना के अंतर्गत काम करवाने की प्रक्रिया बहुत लंबी है. कभी-कभी एक छोटा सा काम करवाने में भी कई वर्ष लग जाते हैं.