Abhay Tiwari : मुम्बई में बारिश हो गई. ऋतु बदल गई. इसलिए कुछ परम्परागत ज्ञान- वर्षा ऋतुचर्या: ग्रीष्म ऋतु में दुर्बल हुआ शरीर वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त करने लगता है. आर्द्र वातावरण जठराग्नि को मंद करता है. वर्षा ऋतु में वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रादुर्भाव होता है. अत: जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाला वात-पित्तशामक आहार लेना चाहिए. हितकर आहार : इस ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाले अदरक, लहसुन, नींबू, पुदीना, हरा धनिया, सोंठ,अजवायन, मेथी, जीरा, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल का प्रयोग करें. जों, खीरा, लौकी, गिल्की, पेठा, तोरई, आम, जामुन, पपीता, सूरन सेवनीय हैं. ताजी छाछ में काली मिर्च, सेंधा, जीरा, धनिया, पुदीना डालकर ले सकते हैं. उपवास और लघु भोजन हितकारी है.
अहितकर आहार : देर से पचनेवाले, भारी, तले, तीखे पदार्थ न लें. जलेबी, बिस्कुट, डबलरोटी आदि मैदे की चीजें, बेकरी की चीजें, उड़द, अंकुरित अनाज, ठंडे पेय पदार्थ व आइसक्रीम के सेवन से बचें. वर्षा ऋतु में दही पूर्णतः निषिध्द है. श्रावण मास में दूध व हरी सब्जियाँ वर्जित हैं. हितकर विहार : धूप व हवन से वातावरण को शुद्ध व गो-सेवा फिनायल या गोमूत्र से घर को साफ करें. तुलसी के पौधे लगायें. उबटन से स्नान, तेल की मालिश, हलका व्यायाम, स्वच्छ व हलके वस्त्र पहनना हितकारी है. वातावरण में नमी और आर्द्रता के कारण उत्पन्न कीटाणुओं से सुरक्षा हेतु धूप व हवन से वातावरण को शुद्ध तथा गौसेवा फिनायल या गोमुत्र से घर को स्वच्छ रखें. घर के आसपास पानी इकठ्ठा न होने दें. मच्छरों से सुरक्षा के लिए घर में गेंदे के पौधों के गमले अथवा गेंदे के फुल रखे और नीम के पत्ते, गोबर के कंड़े व गूगल आदि का धुआँ करें. अपथ्य विहार : बारिश में न भींगें. भीगे कपड़े पहनकर न रखें. रात्रि-जागरण, दिन में शयन, खुले में शयन, अति परिश्रम एवं अति व्यायाम वर्जित है. रात को देर से भोजन न करें.
मुंबई के फिल्मकार, लेखक और एक्विस्टि अभय तिवारी के फेसबुक वॉल से.