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पीएम मोदी ने कहा- 12 रुपये में कफन नहीं मिलता, मैं बीमा दे रहा हूं

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मथुरा ‘महारैली’ में अपनी सरकार के 365 दिनों का हिसाब दिया। मोदी ने यूपीए सरकार से अपने एक साल के काम की तुलना करते हुए कहा कि देश के बुरे दिन खत्म हुए हैं और देश में चारों तरफ उमंग की नई लहर है। उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं को गिनाते हुए कहा कि आज जहां 12 रुपये में कफन भी नहीं मिलता है, उनकी सरकार 12 रुपये सालाना पर गरीबों को जीवन रक्षक बीमा दे रही है।पिछले साल जब यूपीए की सरकार थी, तो देश के हाल बुरे थे। देश के दिन बुरे दिन थे। आए दिन एक घोटाला होता था। रिमोट कंट्रोल से सरकार चलती थी। रोज नया भ्रष्टाचार सामने आता था। मुझे बताइए ये बुरे दिन गए कि नहीं गए? बुरे काम और कारनामे बंद हुए कि नहीं हुए?पिछले एक साल में कहीं से कोई घोटाले की खबर आई है? कोई भाई भतीजावाद की खबर आई है? कोई रिमोट कंट्रोल की खबर आई है? कोई नेताजी के दामाद का किस्सा सुना है? किसी नेताजी के बेटे का किस्सा सुना है? भाइयो-बहनो बुरे दिन गए कि नहीं गए? चोर लूट बंद हुई कि नहीं हुई?मैंने आपसे वादा किया था कि मैं प्रधानमंत्री नहीं ‘प्रधान संतरी’ बनके रहूंगा और सवा सौ करोड़ देशवासियों की तिजोरी पर पंजा नहीं पड़ने दूंगा। मैंने चोरी-लूट के खेल को बंद करवाया कि नहीं?राहुल गांधी पर साधा निशानाः कुछ लोग बड़े परेशान हैं। उनको परेशानी इस बात की है कि सब लोगों के अच्छे दिन आए, लेकिन कुछ लोगों के बुरे दिन आए हैं। जिनके बुरे दिन आए हैं, उनको परेशानी हो रही है। वे चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं क्योंकि 60 साल तक देश के राजनीतिक गलियारों में उनकी आवाज सुनाई देते थे। उनके बुरे दिन आना स्वाभाविक है। इसलिए वे ज्यादा चिल्ला रहे हैं।

<p>नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मथुरा ‘महारैली’ में अपनी सरकार के 365 दिनों का हिसाब दिया। मोदी ने यूपीए सरकार से अपने एक साल के काम की तुलना करते हुए कहा कि देश के बुरे दिन खत्म हुए हैं और देश में चारों तरफ उमंग की नई लहर है। उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं को गिनाते हुए कहा कि आज जहां 12 रुपये में कफन भी नहीं मिलता है, उनकी सरकार 12 रुपये सालाना पर गरीबों को जीवन रक्षक बीमा दे रही है।पिछले साल जब यूपीए की सरकार थी, तो देश के हाल बुरे थे। देश के दिन बुरे दिन थे। आए दिन एक घोटाला होता था। रिमोट कंट्रोल से सरकार चलती थी। रोज नया भ्रष्टाचार सामने आता था। मुझे बताइए ये बुरे दिन गए कि नहीं गए? बुरे काम और कारनामे बंद हुए कि नहीं हुए?पिछले एक साल में कहीं से कोई घोटाले की खबर आई है? कोई भाई भतीजावाद की खबर आई है? कोई रिमोट कंट्रोल की खबर आई है? कोई नेताजी के दामाद का किस्सा सुना है? किसी नेताजी के बेटे का किस्सा सुना है? भाइयो-बहनो बुरे दिन गए कि नहीं गए? चोर लूट बंद हुई कि नहीं हुई?मैंने आपसे वादा किया था कि मैं प्रधानमंत्री नहीं ‘प्रधान संतरी’ बनके रहूंगा और सवा सौ करोड़ देशवासियों की तिजोरी पर पंजा नहीं पड़ने दूंगा। मैंने चोरी-लूट के खेल को बंद करवाया कि नहीं?राहुल गांधी पर साधा निशानाः कुछ लोग बड़े परेशान हैं। उनको परेशानी इस बात की है कि सब लोगों के अच्छे दिन आए, लेकिन कुछ लोगों के बुरे दिन आए हैं। जिनके बुरे दिन आए हैं, उनको परेशानी हो रही है। वे चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं क्योंकि 60 साल तक देश के राजनीतिक गलियारों में उनकी आवाज सुनाई देते थे। उनके बुरे दिन आना स्वाभाविक है। इसलिए वे ज्यादा चिल्ला रहे हैं।</p>

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मथुरा ‘महारैली’ में अपनी सरकार के 365 दिनों का हिसाब दिया। मोदी ने यूपीए सरकार से अपने एक साल के काम की तुलना करते हुए कहा कि देश के बुरे दिन खत्म हुए हैं और देश में चारों तरफ उमंग की नई लहर है। उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं को गिनाते हुए कहा कि आज जहां 12 रुपये में कफन भी नहीं मिलता है, उनकी सरकार 12 रुपये सालाना पर गरीबों को जीवन रक्षक बीमा दे रही है।पिछले साल जब यूपीए की सरकार थी, तो देश के हाल बुरे थे। देश के दिन बुरे दिन थे। आए दिन एक घोटाला होता था। रिमोट कंट्रोल से सरकार चलती थी। रोज नया भ्रष्टाचार सामने आता था। मुझे बताइए ये बुरे दिन गए कि नहीं गए? बुरे काम और कारनामे बंद हुए कि नहीं हुए?पिछले एक साल में कहीं से कोई घोटाले की खबर आई है? कोई भाई भतीजावाद की खबर आई है? कोई रिमोट कंट्रोल की खबर आई है? कोई नेताजी के दामाद का किस्सा सुना है? किसी नेताजी के बेटे का किस्सा सुना है? भाइयो-बहनो बुरे दिन गए कि नहीं गए? चोर लूट बंद हुई कि नहीं हुई?मैंने आपसे वादा किया था कि मैं प्रधानमंत्री नहीं ‘प्रधान संतरी’ बनके रहूंगा और सवा सौ करोड़ देशवासियों की तिजोरी पर पंजा नहीं पड़ने दूंगा। मैंने चोरी-लूट के खेल को बंद करवाया कि नहीं?राहुल गांधी पर साधा निशानाः कुछ लोग बड़े परेशान हैं। उनको परेशानी इस बात की है कि सब लोगों के अच्छे दिन आए, लेकिन कुछ लोगों के बुरे दिन आए हैं। जिनके बुरे दिन आए हैं, उनको परेशानी हो रही है। वे चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं क्योंकि 60 साल तक देश के राजनीतिक गलियारों में उनकी आवाज सुनाई देते थे। उनके बुरे दिन आना स्वाभाविक है। इसलिए वे ज्यादा चिल्ला रहे हैं।

जिन्होंने देश को लूटा है उनके अच्छे दिन की गारंटी मैंने नहीं दी थी। राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है, गांव में जाते-जाते 15 पैसे हो जाता है। हमने इंतजाम किया कि दिल्ली से रुपये निकले तो वह सौ के सौ पैसे गरीब के हाथ में जाना चाहिए।हमने गैस सब्सिडी की चोरी रोकी है। आज 12 करोड़ लोगों के बैंक खातों में सीधे उनकी गैस सब्सिडी पहुंच रही है।हमने किसानों के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड परियोजना शुरू की है। मैंने किसानों की जमीन की तबीयत ठीक करने का बीड़ा उठाया है। 5 साल के भीतर 24 घंटे किसानों को बिजली देने का संकल्प।20 लाख टन यूरिया का उत्पादन बढ़ने वाला है। यूपी और बरौनी में यूरिया के कारखाने लगाए जाएंगे। हमने फर्टिलाइजर पर नीम कोटिंग शुरू की है। इससे यूरिया का खेती के अलावा कोई और उपयोग नहीं होगा और किसानों को भी फायदा होगा। हमने रेलवे और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के बीच तालमेल बनाया है। ट्रेन की पटरी के नीचे से रोड या पानी की लाइन ले जानी है, तो एक हफ्ते में फैसला हो जाता है। पहले इसमें सालों लगते थे।सरकार की तिजोरी में मजदूरों का 27 हजार करोड़ रुपये सड़ रहा था। हम मजदूरों को यूनीक नंबर देंगे। इससे वह जहां भी जाएंगे, उनका ये नंबर साथ चलेगा और जो भी पैसा कटेगा, सब साथ मिलेगा।
32 लाख लोगों को 100-200 रुपये से ज्यादा पेंशन नहीं मिलती है। हमने इसे बढ़ाकर एक हजार रुपये किया है।हमने महंगाई को रोकने में सफलता पाई है। पिछली सरकार के आखिरी साल में तीन हजार करोड़ रुपये विदेशी पूंजी आई थी, एक साल के भीतर 25 हजार करोड़ विदेशी पूंजी आई है।पहले की तुलना में इस साल 6 लाख टूरिस्ट ज्यादा आए हैं। टूरिस्ट अगर ज्यादा आते हैं तो गरीब से गरीब को रोजगार मिलता है।हमने मुद्रा बैंक बनाया है। यह बैंक सामान्य लोगों को उद्यम के लिए 10 हजार रुपये से 10 लाख रुपये तक का लोन कम ब्याज पर देगा।महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था के लिए राज्य सरकारों को साथ लेकर काम करने का बीड़ा उठाया है।मैंने 2022 तक देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को घर देने का बीड़ा उठाया है।365 दिन का हिसाब देने इसलिए आया मथुरा: मेरा सुझाव था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जहां जन्म हुआ था, मैं उस झोपड़ी के पास जाऊं। भले छोटा सा गांव हो, मैं वहां जाकर नमन करूं। वहां देश के सवा सौ करोड़ लोगों को अपनी सरकार के 365 दिन के काम का हिसाब दूं, इसलिए आज मैं दीनदयाल धाम में आया हूं।

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