काठमांडू: नेपाल की संविधान सभा ने देश की आठ साल पुरानी ‘धर्मनिरपेक्ष’ पहचान बरकरार रखने का फैसला करते हुए सैकडों साल तक हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। समाचार एजेंसियों के अनुसार इसके विरोध में राजधानी काठमांडू में हिंदूवादी संगठनों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष हुआ। हिंसा उस वक्त और भड़क गई जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने से रोक दिया।
इससे पहले संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने और देश की पुरानी हिंदू पहचान बहाल करने की मांग की थी। जिसके बाद संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमबांग ने यह मांग खारिज कर दी। इसके बाद पार्टी के कमल थापा ने अपने प्रस्ताव पर मतदान की मांग की, लेकिन 21 सदस्यों ने ही इसका समर्थन किया। 601 सदस्यीय संसद में किसी प्रस्ताव पर मतदान के लिए 61 सदस्यों की मंजूरी अनिवार्य है। जब यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका तो प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच असेंबली हॉल के बाहर झड़पें हुई और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी छोड़ा और लाठियां बरसाई। उग्र प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर जा रहे संयुक्त राष्ट्र के एक वाहन समेत कई गाड़ियों पर हमला किया। दक्षिण नेपाल में इसके ख़िलाफ पिछले कई हफ्तों से प्रदर्शन चल रहा है। कई हफ़्तों की हिंसक झड़पों में अब तक क़रीब 40 लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी काठमांडू में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।