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नेताजी पर अभी और खुलासा बाकी !

पश्चिम बंगाल: पश्चि‍म बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 18 सितंबर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक करते हुए तर्क दिया था कि नेताजी की मौत से जुड़े रहस्य का सामने आना और इसे जानना देश के नागरिकों के लिए जरूरी है और उनका हक भी। लेकिन बताया जाता है कि नेताजी से जुड़ी करीब एक दर्जन फाइलों को पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी भी गुमनामी के अंधेरे में रखा हुआ है।

<p><strong>पश्चिम बंगाल:</strong> पश्चि‍म बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 18 सितंबर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक करते हुए तर्क दिया था कि नेताजी की मौत से जुड़े रहस्य का सामने आना और इसे जानना देश के नागरिकों के लिए जरूरी है और उनका हक भी। लेकिन बताया जाता है कि नेताजी से जुड़ी करीब एक दर्जन फाइलों को पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी भी गुमनामी के अंधेरे में रखा हुआ है।</p>

पश्चिम बंगाल: पश्चि‍म बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 18 सितंबर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक करते हुए तर्क दिया था कि नेताजी की मौत से जुड़े रहस्य का सामने आना और इसे जानना देश के नागरिकों के लिए जरूरी है और उनका हक भी। लेकिन बताया जाता है कि नेताजी से जुड़ी करीब एक दर्जन फाइलों को पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी भी गुमनामी के अंधेरे में रखा हुआ है।

 

                      नेताजी के ऊपर शोध कर रहे विद्वानों का कहना है कि बोस की मौत और उससे जुड़े रहस्यों को सियासी रंग दिया जा रहा है। समझा जा रहा है कि ममता सरकार ने अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर कुछ फाइलों को सार्वजनिक कर भावानाओं का कार्ड खेला है। जबकि एक दर्जन से अधि‍क ऐसी फाइलों पर राज्य सरकार अभी भी छुपाये बैठी हुई है, जिनसे कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। शोध कर रहे विद्वान मानते हैं कि तृणमूल के कई सांसद नेताजी के परिवार से जुड़े हुए हैं, ऐसे में सच्चाई को अभी भी रहस्य बनाकर ही रखा गया है। नेताजी पर तीन दशक से शोध कर रहे एक शोधकर्त्ता के अनुसार सरकार द्वारा सभी फाइलों को सार्वजनिक नहीं किए जाने के कई कारण हो सकते हैं। इसके पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं, क्योंकि संभव है क‍ि फाइलों के सार्वजनिक होने से कई देशों से अंतरराष्ट्रीय संबंध खराब हो जाएं।’ वह आगे कहते हैं कि अगर नेताजी ओर एमिली के बीच संबंधों को लेकर कोई चिट्ठी है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। शि‍शि‍र बोस ने एमिली को जो चिट्ठी लिखी थी वह भी गायब है, जबकि उसका मेमो नंबर उपलब्ध है। उनके अनुसार नेताजी की 1937  करने लेने वाली गलत है। क्योंकि 1939 में उन्होंने पासपोर्ट के लिए अपने आवेदन में खुद को अविवाहित बताया है। सरकार के राजनीतिक कारणों से जस्टि‍स मुखर्जी कमीशन की फाइलों को भी सार्वजनिक नहीं किया है।

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