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नोयडा मल्टी-लेवल पार्किंग टेंडर में बड़े पैमाने पर अनियमितता, नूतन ठाकुर ने की जाँच की मांग

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने नोयडा विकास प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 38ए के मल्टी-लेवल पार्किंग के रु० 118.99 करोड़ के टेंडर में संभावित अनियमितता के सम्बन्ध में मुख्य सचिव आलोक रंजन से जाँच की मांग की है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि प्री- क्वालिफिकेशन अर्हता में पिछले तीन लगातार वर्षों में कंपनी का टर्न-ओवर कुल टेंडर का 30% अर्थात रु० 35.60 करोड़ और पूर्व अनुभव न्यूनतम रु० 94.93 करोड़ होना चाहिए था. इसके विपरीत 19 मार्च 2015 को यह टेंडर मेसर्स स्वर्णिम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया जो 04 फ़रवरी 2010 को पंजीकृत हुआ था और जिसका पिछले तीन वर्षों का टर्नओवर क्रमशः रु० 27.89, 29.02 तथा 26.88 करोड़ था अर्थात औसर 27.93 तथा कुल 90.35 करोड़ था जो न्यूनतम अर्हता से कम है. डॉ ठाकुर ने नियमों की अवहेलना कर टेंडर दिए जाने की सचिव स्तर के अधिकारी से जाँच कर ऐसा पाए जाने पर टेंडर निरस्त कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग की और कहा कि एक महीने में कार्यवाही नहीं होने पर वह न्यायिक फोरम पर जाएँगी.

<p>सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने नोयडा विकास प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 38ए के मल्टी-लेवल पार्किंग के रु० 118.99 करोड़ के टेंडर में संभावित अनियमितता के सम्बन्ध में मुख्य सचिव आलोक रंजन से जाँच की मांग की है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि प्री- क्वालिफिकेशन अर्हता में पिछले तीन लगातार वर्षों में कंपनी का टर्न-ओवर कुल टेंडर का 30% अर्थात रु० 35.60 करोड़ और पूर्व अनुभव न्यूनतम रु० 94.93 करोड़ होना चाहिए था. इसके विपरीत 19 मार्च 2015 को यह टेंडर मेसर्स स्वर्णिम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया जो 04 फ़रवरी 2010 को पंजीकृत हुआ था और जिसका पिछले तीन वर्षों का टर्नओवर क्रमशः रु० 27.89, 29.02 तथा 26.88 करोड़ था अर्थात औसर 27.93 तथा कुल 90.35 करोड़ था जो न्यूनतम अर्हता से कम है. डॉ ठाकुर ने नियमों की अवहेलना कर टेंडर दिए जाने की सचिव स्तर के अधिकारी से जाँच कर ऐसा पाए जाने पर टेंडर निरस्त कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग की और कहा कि एक महीने में कार्यवाही नहीं होने पर वह न्यायिक फोरम पर जाएँगी.</p>

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने नोयडा विकास प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 38ए के मल्टी-लेवल पार्किंग के रु० 118.99 करोड़ के टेंडर में संभावित अनियमितता के सम्बन्ध में मुख्य सचिव आलोक रंजन से जाँच की मांग की है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि प्री- क्वालिफिकेशन अर्हता में पिछले तीन लगातार वर्षों में कंपनी का टर्न-ओवर कुल टेंडर का 30% अर्थात रु० 35.60 करोड़ और पूर्व अनुभव न्यूनतम रु० 94.93 करोड़ होना चाहिए था. इसके विपरीत 19 मार्च 2015 को यह टेंडर मेसर्स स्वर्णिम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया जो 04 फ़रवरी 2010 को पंजीकृत हुआ था और जिसका पिछले तीन वर्षों का टर्नओवर क्रमशः रु० 27.89, 29.02 तथा 26.88 करोड़ था अर्थात औसर 27.93 तथा कुल 90.35 करोड़ था जो न्यूनतम अर्हता से कम है. डॉ ठाकुर ने नियमों की अवहेलना कर टेंडर दिए जाने की सचिव स्तर के अधिकारी से जाँच कर ऐसा पाए जाने पर टेंडर निरस्त कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग की और कहा कि एक महीने में कार्यवाही नहीं होने पर वह न्यायिक फोरम पर जाएँगी.

Impropriety alleged in Noida multi-level parking tender

Social activist Dr Nutan Thakur has sought enquiry in the alleged impropriety in grant of Rs. 118.99 crores tender by Noida Development Authority for Sector 38A multi-level parking. In her complaint to UP Chief Secretary Alok Ranjan, she said that as per pre-qualification requirements, the company’s turn-over for last 3 years should have been 30% of total tender and the minimum previous experience should have been Rs. 94.93 crores. On the contrary, this tender was given on 19 March 2015 to Ms Svarrnim Infrastructure Pvt Ltd, a company registered on 04 February 2010 and whose annual turnover for last three years are Rs. 27.89, 29.02 and 26.88 crores, making it a total of Rs. 90.35 crores and average of Rs. 27.93crores. Dr Thakur requested to get the grant of tender by violating the minimum requirements enquired by a Secretary rank officer and to cancel the tender and act against delinquent officers if complaint is found true, saying that she would move to appropriate Court if no action is taken in 1 month. 

सेवा में,
श्री आलोक रंजन,
मुख्य सचिव,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ

विषय- नोयडा विकास प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 38ए के मल्टी-लेवल पार्किंग टेंडर में हुए संभावित घोटाले के सम्बन्ध में जाँच कराये जाने विषयक

महोदय,

मैं आपके सम्मुख नोयडा विकास प्राधिकरण से सम्बंधित एक प्रकरण प्रस्तुत कर रही हूँ जो मुझे किसी श्री रमेश चंद्रा, सी-101, ईस्ट ऑफ़ कैलाश, नयी दिल्ली-110065 द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 07/09/2015 जो मुझे स्पीड पोस्ट संख्या RD 086127522IN के माध्यम से प्राप्त हुआ. इस पत्र में प्रार्थी के रूप में मेरे पते से मेरा नाम संक्षेप में डॉ एन ठाकुर लिख कर हस्ताक्षरित है. यद्यपि मैंने यह पत्र प्रेषित नहीं किया है पर मैंने इस शिकायत का भली-भांति अवलोकन किया और इसके तथ्यों को जानने के बाद मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि नोयडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 38ए के मल्टी-लेवल पार्किंग टेंडर में नियमों की अवहेलना की गयी है और प्रथमद्रष्टया एक अनुपयुक्त कंपनी को यह टेंडर दी गयी दिखती है. वह अपने आप में गंभीर है और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है.

मैं इस पत्र और इसके साथ प्रस्तुत अभिलेखों के आधार पर इस प्रकरण को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रही हूँ. प्रकरण यह है कि सेक्टर 38ए के मल्टी-लेवल पार्किंग के लिए टेंडर निकाला गया. यह पूरा काम रु० 118.99 करोड़ का है. टेंडर के प्री- क्वालिफिकेशन अर्हता के बिंदु 11 के अनुसार- “Average annual financial turnover on Construction works should be at least 50% of the estimated cost during the immediate LAST 3 consecutive financial years.” अर्थात पिछले तीन लगातार वर्षों में कंपनी का टर्न-ओवर कुल टेंडर का 50% होना चाहिए था. पुनः इस 50% की अर्हता को 30% कर दिया गया. इस 30% अर्हता के अनुसार कंपनी के लगातार तीन वर्षों के टर्न-ओवर रु० 35.60 करोड़ (रु० 118.77 करोड़ का 30%) होना चाहिए था.

इसी प्रकार बिंदु संख्या छः पर पूर्व अनुभव में अंकित था- “EXPERIENCE (WITH GOVERNMENT/SEMI- GOVERNEMTN/ PSUs ONLY)completed works during the last 7 years ending last day of the month revious to the one in which applications are invited –
Three similar completed works each costing not less than the amount equal to 40% of estimated cost put to tender OR Two similar completed works each costing not less than the amount equal to 60% of estimated cost put to tender OR One similar completed works costing not less than the amount equal to 80% of estimated cost put to tender“

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यदि 3 कार्यों के 40% पूर्ण होने की अर्हता ली जाये तो यह रु० 47.47 करोड़ प्रति वर्ष के हिसाब से रु० 142.38 करोड़ होता है. यदि 2 कार्यों के 60% पूर्ण होने की अर्हता ली जाये तो यह रु० 71.19 करोड़ प्रति वर्ष के हिसाब से रु० 142.38 करोड़ होता है और यदि 1 वर्ष के 80% पूर्ण होने की अर्हता ली जाये तो यह रु० 94.93 करोड़ होता है.
इन तथ्यों के बाद हम उस कंपनी की बात करें जिसे दिनांक 19/03/2015 को वास्तव में यह टेंडर दिया गया है. मेसर्स स्वर्णिम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, पंजीकरण कार्यालय 1/6695, ईस्ट रोहताश नगर, दिल्ली-110032 दिनांक 04/02/2010 को कंपनी एक्ट में पंजीकृत किया गया. इसका सीआईएन नंबर U45400DL2010PTC198719 है. कॉर्पोरेट मंत्रालय वेबसाइट पर उपलब्ध इस कंपनी के बैलेंस शीट के अनुसार इस कंपनी के टर्न-ओवर निम्नवत बताये जाते हैं-

संख्या   वित्तीय वर्ष    टर्नओवर (करोड़ में)
1      31/03/2010      शून्य
2      31/03/2011     06.56
3      31/03/2012     27.89
4      31/03/2013     29.02
5      31/03/2014     26.88
कुल                    90.35
3 वर्षों का औसत         27.93

इस प्रकार यदि हम बिंदु संख्या बिंदु 11 पर पिछले तीन लगातार वर्षों में कंपनी का टर्न-ओवर कुल टेंडर का 30% अर्थात रु० 35.60 करोड़ होने की अर्हता की बात करें तो उपरोक्त मेसर्स स्वर्णिम इन्फ्रास्ट्रक्चर इसमें पूरी तरह अनुपयुक्त दिख जाता है क्योंकि पिछले तीन वर्षों में उसका औसत टर्नओवर रु० 27.93 करोड़ ही है.

इसके विपरीत यदि हम बिंदु संख्या छः पर पूर्व अनुभव की अर्हता की बात करें तो इसमें न्यूनतम धनराशि 1 वर्ष के 80% पूर्ण होने की अर्हता से बनती है जो रु० 94.93 करोड़ होता है. इसके विपरीत मुझे मेसर्स स्वर्णिम का  पिछले तीन वर्षों में अधिकतम रु० 90.35 करोड़ का ही टर्नओवर है. इस प्रकार भी यह कंपनी उपरोक्त टेंडर के लिए अनुमन्य नहीं दिखती है.

उपरोक्त तथ्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि इस कंपनी को नियमों की अवहेलना कर टेंडर दिया गया है जो सीधे-सीधे कदाचार और भ्रष्ट आचरण से जुड़ा हुआ है क्योंकि इस प्रकार नियमों का जानबूझ कर शिथलीकरण तभी किया जाता है जब किसी को अनुचित लाभ देना होता है और इस प्रक्रिया में सम्बंधित कार्य स्पष्टतया कुप्रभावित होता है और ऐसा हमेशा जनहित के विपरीत सिद्ध होता है.
अतः मैं निवेदन करुँगी कि मेरे द्वारा प्रस्तुत इन समस्त तथ्यों की कम से कम प्रदेश सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी से जाँच करायी जाये और यदि ये तथ्य सही पाए जाते हैं तो कृपया उपरोक्त टेंडर को निरस्त करने के आदेश देने और इस कार्य का सही टेंडर कराये जाने के अलावा इस मामले में जानबूझ कर अनुपयुक्त कंपनी को नियमों के विपरीत टेंडर देने के लिए जिम्मेदार समस्त अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की कृपा करें.

निवेदन करुँगी कि यदि एक माह में इस मामले में उपयुक्त कार्यवाही नहीं होती है तो मैं इसे आपके स्तर पर जानबूझ कर प्रकरण को नज़रंदाज़ करने की बात मानते हुए उपयुक्त न्यायिक फोरम पर ले जाउंगी और वहां आपके स्तर पर प्रकरण को नज़रंदाज़ करने के तथ्यों को भी प्रस्तुत करुँगी.

डॉ नूतन ठाकुर
गोमतीनगर, लखनऊ  
094155-34525
[email protected]

 

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