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अनाज संकट, भुखमरी, किसान आत्महत्या बने यूपी पंचायत चुनाव के मुद्दे

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत चुनावों को लेकर ऑल इंडिया वर्कर्स कॉउंसिल के लखनऊ स्थित निशातगंज कार्यालय पर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें इस चुनाव के दौरान पंचायतों को और अधिक अधिकार दिए जाने की मांग का समर्थन किया गया। साथ ही यूपी पंचायत चुनाव में अनाज-संकट, भुखमरी और किसान आत्महत्या को चुनावी मुद्दा बनाये जाने पर चर्चा भी की गई। चंबल क्षेत्र में ग्रामीण जीवन पर अध्ययन व उसके शैक्षणिक विकास के लिए संघर्षरत शाहआलम ने कहा कि ग्राम पंचायतें लोकतंत्र की बुनियादी ईकाई हैं परन्तु जिस ग्राम स्वराज की कल्पना की गई थी, उसके साथ सरकारों ने धोखा किया है। इस चुनाव का मुख्य मुद्दा ग्राम सभाओं को स्वायत्ता का अधिकार होना चाहिए। बैठक में तय किया गया कि पंचायतों को बेहतर और जिम्मेदार बनाने के लिए आगामी पंचायत चुनावों में अभियान भी चलाया जाएगा।

<p>लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत चुनावों को लेकर ऑल इंडिया वर्कर्स कॉउंसिल के लखनऊ स्थित निशातगंज कार्यालय पर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें इस चुनाव के दौरान पंचायतों को और अधिक अधिकार दिए जाने की मांग का समर्थन किया गया। साथ ही यूपी पंचायत चुनाव में अनाज-संकट, भुखमरी और किसान आत्महत्या को चुनावी मुद्दा बनाये जाने पर चर्चा भी की गई। चंबल क्षेत्र में ग्रामीण जीवन पर अध्ययन व उसके शैक्षणिक विकास के लिए संघर्षरत शाहआलम ने कहा कि ग्राम पंचायतें लोकतंत्र की बुनियादी ईकाई हैं परन्तु जिस ग्राम स्वराज की कल्पना की गई थी, उसके साथ सरकारों ने धोखा किया है। इस चुनाव का मुख्य मुद्दा ग्राम सभाओं को स्वायत्ता का अधिकार होना चाहिए। बैठक में तय किया गया कि पंचायतों को बेहतर और जिम्मेदार बनाने के लिए आगामी पंचायत चुनावों में अभियान भी चलाया जाएगा।</p>

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत चुनावों को लेकर ऑल इंडिया वर्कर्स कॉउंसिल के लखनऊ स्थित निशातगंज कार्यालय पर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें इस चुनाव के दौरान पंचायतों को और अधिक अधिकार दिए जाने की मांग का समर्थन किया गया। साथ ही यूपी पंचायत चुनाव में अनाज-संकट, भुखमरी और किसान आत्महत्या को चुनावी मुद्दा बनाये जाने पर चर्चा भी की गई। चंबल क्षेत्र में ग्रामीण जीवन पर अध्ययन व उसके शैक्षणिक विकास के लिए संघर्षरत शाहआलम ने कहा कि ग्राम पंचायतें लोकतंत्र की बुनियादी ईकाई हैं परन्तु जिस ग्राम स्वराज की कल्पना की गई थी, उसके साथ सरकारों ने धोखा किया है। इस चुनाव का मुख्य मुद्दा ग्राम सभाओं को स्वायत्ता का अधिकार होना चाहिए। बैठक में तय किया गया कि पंचायतों को बेहतर और जिम्मेदार बनाने के लिए आगामी पंचायत चुनावों में अभियान भी चलाया जाएगा।

                    नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि पंचायतों को यह अधिकार मिलना चाहिए कि बगैर आम सभा के पंचायत कोई भी प्रस्ताव पास न करे। इसके साथ ही पंचायत में काम करने वाले कर्मचारियों के चरित्र प्रमाण पत्र पंचायत अध्यक्ष द्वारा बनाया जाना चाहिए। जिससे कर्मचारियों की स्वेच्छाचारिता खत्म हो। पंचायतों को यह भी अधिकार मिलना चाहिए कि वह जाति प्रमाण पत्र,  आय-प्रमाण पत्र निवास प्रमााण पत्र जारी कर सके। वर्कर्स कॉउसिंल के ओपी सिन्हा ने कहा कि गांव की आत्म-निर्भरता का सिद्धांत असफल हुआ है। क्योंकि उपज का अधिशेष का बहाव शहरों की तरफ है इसलिए मजदूरों का पलायन भी शहरों की तरफ हो रहा है। जिस वजह से किसानों को मजदूरों की समस्या आ रही है।  इस चर्चा में शामिल मीडिया स्टडीज ग्रुप, दिल्ली के अवनीश राय ने कहा कि नई आर्थिक नीतियों ने किसानों से उनके परंपरागत बीजों को छीन लिया है। बदले में अधिक उपज का दावा कर डंकल बीजों का प्रचार किया गया और अब उसका नुकसान साफ-साफ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे मुद्दों को भी पंचायत चुनाव का मुद्दा होना चाहिए। रिहाई मंच के राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह से सूबे में पिछले साल प्राकृतिक आपदाओं से गेहूं समेत तमाम फसलों का नुकसान हुआ है। उससे 500 से अधिक किसान, आत्महत्या व दिल का दौरा पड़ने से मरे हैं। वहीं अब सूखा पड़ जाने की वजह से कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं ऐसे मुद्दों को भी आगामी पंचायत चुनावों का मुद्दा बनाना पड़ेगा।
 रिहाई मंच के अनिल यादव ने कहा कि गांवों में ज्यादातर लोग कृषि पर जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन फल और सब्जी मंडिया गांव से बहुत दूरी पर होने की वजह से किसान की पहुंच से दूर हैं। तो वहीं बड़े-बड़े हाईवे बनाने का दावा करने वाली सरकार गांवों की सड़कों की मरम्मत तक नहीं करवा पा रही है। ऐसे में औने-पौने दामों पर उसे अपनी फसल को बेचना पड़ जाता है। किसानों के जीवन के जद्दोहद के इन मुद्दों को भी पंचायत चुनाव का मुद्दा बनाना पड़ेगा। इस चर्चा में राजीव हेमकेशव, रामकृष्ण, ओपी सिन्हा, होमेन्द्र, आदियोग,राजीव यादव, संतोष परिवर्तक, अवनीश राय, शाहआलम, अनिल यादव व अन्य सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल रहे।

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