कानपुर: देश में पुलिस प्रशासन न्याय व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए है। लेकिन पुलिस ही अभद्रता पर उतर आए तो उसकी सुनवाई कैसे हो ? ताज़ा मामला कानपुर के बाबूपुरवा थाने का है जहाँ न्यूज़ न्यूज़ कवरेज करने गए एक पत्रकार नीरज शर्मा से थाने में पहरेदारी कर रहे आरक्षी संजय कुमार यादव ने अभद्रता की और अपशब्दों का प्रयोग किया। जब पत्रकार द्वारा अपना परिचय दिया गया तब भी वर्दी की अकड़ दिखाते हुए उक्त पुलिसकर्मी ने अपना नाम संजय यादव बताते हुए जो बन सके कर लेना की धमकी दी। पत्रकार के साथ हुई अभद्रता के बारे में सूचना स्थानिय पत्रकारों को हुई तो भारी संख्या में पत्रकार थाने में पहुँच कर धरने पर बैठ गए। जिसके बाद आलाधिकारियों की सूचना पर थानाध्यक्ष थाने में पहुंचे, तब भी उपरोक्त सिपाही संजय यादव ने अपने व्यवहार पर कोई क्षोभ न जताते हुए थानाध्यक्ष से भी अभद्रता की। थानाध्यक्ष ने तहरीर लेते हुए कार्यवाही का आश्वासन दिया। इसके साथ ही थाने में मौजूद सभी सिपाहियों ने अपने साथी सिपाही की गलती को मानते हुए माफ़ी उपरोक्त सिपाही से माफ़ी मंगवाई, तब कहीं जाकर पत्रकारों का गुस्सा शांत हुआ।
इस घटना से अब सवाल यह उठता है कि आखिर उत्तर प्रदेश में ही पत्रकारों का इतना शोषण क्यों हो रहा है? जब पुलिस का एक सिपाही ही अपने को यादव बताते हुए पत्रकार से अभद्रता की हिम्मत करता है तो बाहर अपराधियों की हिम्मत तो बढ़ेगी ही। उत्तर प्रदेश के मुखिया लाख कहते रहें कि पत्रकारों से अच्छे सम्बन्ध बनाये लेकिन कोई अधिकारी सुने तब न। आने वाले समय में तो लगता है कि पत्रकारों को न्यूज़ कवरेज पर जाते समय अपने बचाव के लिए अपने प्राइवेट सुरक्षा गार्ड ही रखने होंगे क्योकि उत्तर प्रदेश पुलिस से न्याय कि उम्मीद तो छोड़ो उल्टा अभद्रता का शिकार होना पड़ सकता है। पत्रकारों के धरने में मुख्य रूप से पीड़ित पत्रकार नीरज शर्मा एस.आर.न्यूज़ से बलवन्त सिंह, जनसामना से श्याम सिंह पंवार, सुदर्शन न्यूज़ से अर्पित श्रीवास्तव, दाता सन्देश से अंजनी बाजपेई, कंटिन्यू 24 घंटे से श्रवण गुप्ता, मेरा सच से इब्ने हसन जैदी, मुकेश कुमार आदि कई पत्रकार मौजूद रहे।