नई दिल्ली: मोदी सरकार में 30 साल पुराने या 50 वर्षीय ब्यूरोक्रेट्स पर बेहतर परफॉमेंस की तलवार लटक रही है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DOPT) के एक ऑर्डर के मुताबिक, ऐसे ब्यूरोक्रेट्स की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिन्हें नौकरी में 30 साल हो चुके हैं या जिनकी उम्र 50 साल हो चुकी है। अगर परफॉर्मेंस रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं हुई तो ऐसे अफसरों को तीन महीने का नोटिस देकर कम्पल्सरी रिटायरमेंट दे दिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, हर तीन महीने में ब्यूरोक्रेट्स के परफॉर्मेंस का रिव्यू किया जाएगा। डीओपीटी कम्पल्सरी रिटायरमेंट के रूल एफआर 56-जे को सख्ती से लागू करने जा रहा है। दो अफसरों की कमेटी बनाई जा रही है, जो अफसरों की स्क्रीनिंग करने के बाद उनकी इंटरनल रिपोर्ट के आधार पर अप्रेजल का मामला देखेगी। ग्रुप ‘ए’ के अफसरों का रिव्यू डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी करेगा। डिपार्टमेंट का विजिलेंस अफसर उनको मार्क करेगा, जिनका रिकॉर्ड ठीक नहीं है। रिव्यू के लिए ब्यूरोक्रेट का पूरा सर्विस रिकॉर्ड देखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा ने टॉप अफसरों की एक मीटिंग की थी। इसी मीटिंग में बाबुओं के परफॉर्मेंस रिव्यू का फैसला किया गया था।
गौरतलब है कि अगस्त 2014 में मोदी सरकार ने ऑल इंडिया सर्विस रूल्स में 19 प्वाइंट की गाइड लाइन जोड़ी। इस गाइड लाइन का मकसद सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी लाना था। इनमें कहा गया था कि बाबू पॉलिटिकली न्यूट्रल रहेंगे। अफसरों के सिलेक्शन में कैबिनेट सेक्रेटरी और पीएमओ के पावर बढ़ा दिए गए हैं जबकि मिनिस्टर्स की अहमियत कम कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मई 2014 से अब तक 56 आईएएस अफसरों को सेंट्रल पोस्टिंग से वापस उनके स्टेट कैडर में भेज दिया गया। 2013 में यह आंकड़ा केवल तीन था। पिछले महीने होम सेक्रेटरी एलसी गोयल को हटाने का फैसला ब्यूरोक्रेसी को यह मैसेज देने की कोशिश थी कि किसी भी ब्यूरोक्रेट का सर्विस पीरियड सेफ नहीं