उरई: खनन पर रोक होने के बावजूद नदियों से जेसीबी द्वारा प्रतिदिन खोदी जा रही सैकड़ो ट्रक मौरंग की खबरों और मीडिया को मैनेज करने के नाम पर सिन्डीकेन्ट का लाखों रूपया लुटा देने के बावजूद न रोक पाने की गाज, आज आखिर जिला खनिज अधिकारी पीके सिंह पर गिर गयी। उन्हें स्थानान्तरित कर उनके स्थान पर अवैध खनन की करतूत की वजह से कुछ माह पहले ही यहां से निलम्बित किये गये राजकुमार संगम को फिर से तैनात कर दिया गया है।
बरसात के मौसम में हाईकोर्ट द्वारा नदियों से मौरंग खनन के स्टैण्डिंग ऑर्डर की इस साल जमकर धज्जियां उड़ी। सूखा पड़ जाने की वजह से नदियों में खनन और लोडिड ट्रकों के आवागमन में कोई बाधा नहीं रही। जिसका फायदा उठाकर प्रतिबन्धित महीनों में सामान्य महीनों से भी कई गुना ज्यादा खनन होता रहा। जिला खनिज अधिकारी के रूप में तैनात किये गये पीके सिंह को जिम्मा दिया गया था कि वे अदालत तक इसकी खबर न पहुंचने देने के लिये मीडिया को मैनेज करें। भले ही कितना भी रूपया खर्च हो जाये। पीके सिंह ने दरियादिली से मीडिया खर्च के नाम पर सिन्डीकेन्ट को दुहा लेकिन खबरें ब्रेक होना जारी रहा। जिससे हाईकोर्ट में सरकार के प्रतिनिधियों को कई बार जलील होना पड़ा।
आखिर में पीके सिंह को निकम्मा करार देते हुये शासन ने इस जिले से उन्हें हटाकर राजकुमार संगम को दोबारा जालौन जनपद का खनिज अधिकारी बनाने का आदेश जारी कर दिया है। मजे की बात यह है कि राजकुमार संगम खुद भी इसी जनपद से तीन बार अवैध खनन के आरोप में स्थानान्तरित हुये। हालांकि भारी रकम खर्च कर वे इन तबादलों को निरस्त कराने में सफल रहें थे लेकिन एक बार तो शासन ने उन्हें इन आरोपों में निलम्बित ही कर दिया था। यह कोई राज की बात नहीं है कि रातों रात संगम फिर जालौन जिले के लिये काबिल कैसे बन गये। शासन का काम करने का तरीका कुछ भी हो लेकिन अदालत के लिये संगम केन्द्रित तबादला और निलम्बन की मनमानी उठा पटक बेहद नागवार हो सकती है और इस मुद्दे पर सम्भावित जनहित याचिका उसकी बुरी फजीहत का कारण बन सकती है।