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भडास मीडिया की खबर के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया जवाब तलब

दिल्ली स्थित राष्टीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशक जयंत दास प्रधानमंत्री कार्यालय का चाबुक चलने के बाद विभाग में सहायक प्रोफेसर (प्रिंट मीडिया) के पद को ही खत्म करने पर तुल चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आपत्ति के बाद साक्षात्कार में धांधली के प्रश्न पर प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगे गये स्पष्टीकरण से निदेशक को जवाब देते नहीं बन रहा है। पोल खुलने की स्थिति एवं अपने चेले की नियुक्ति न होने की स्थिति में बौखलाये निदेशक ने पद को ही निरस्त करने की ठान ली है। दोनो स्थानों पर अब कोई भी उपयुक्त अभ्यर्थी न मिलने की रिपोर्ट भेजने की फिराक में है। फिलहाल संस्थान में चार में दो विभागों में सहायक आचार्य के साक्षात्कार का परिणाम घोषित कर दिया है। बाकी दो विभागों में सहायक आचार्यों की नियुक्तियों का परिणाम बाद में घोषित करने की सूचना वेबसाइट पर प्रसारित कर दी गई हैं।

<p>दिल्ली स्थित राष्टीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशक जयंत दास प्रधानमंत्री कार्यालय का चाबुक चलने के बाद विभाग में सहायक प्रोफेसर (प्रिंट मीडिया) के पद को ही खत्म करने पर तुल चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आपत्ति के बाद साक्षात्कार में धांधली के प्रश्न पर प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगे गये स्पष्टीकरण से निदेशक को जवाब देते नहीं बन रहा है। पोल खुलने की स्थिति एवं अपने चेले की नियुक्ति न होने की स्थिति में बौखलाये निदेशक ने पद को ही निरस्त करने की ठान ली है। दोनो स्थानों पर अब कोई भी उपयुक्त अभ्यर्थी न मिलने की रिपोर्ट भेजने की फिराक में है। फिलहाल संस्थान में चार में दो विभागों में सहायक आचार्य के साक्षात्कार का परिणाम घोषित कर दिया है। बाकी दो विभागों में सहायक आचार्यों की नियुक्तियों का परिणाम बाद में घोषित करने की सूचना वेबसाइट पर प्रसारित कर दी गई हैं।</p>

दिल्ली स्थित राष्टीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशक जयंत दास प्रधानमंत्री कार्यालय का चाबुक चलने के बाद विभाग में सहायक प्रोफेसर (प्रिंट मीडिया) के पद को ही खत्म करने पर तुल चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आपत्ति के बाद साक्षात्कार में धांधली के प्रश्न पर प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगे गये स्पष्टीकरण से निदेशक को जवाब देते नहीं बन रहा है। पोल खुलने की स्थिति एवं अपने चेले की नियुक्ति न होने की स्थिति में बौखलाये निदेशक ने पद को ही निरस्त करने की ठान ली है। दोनो स्थानों पर अब कोई भी उपयुक्त अभ्यर्थी न मिलने की रिपोर्ट भेजने की फिराक में है। फिलहाल संस्थान में चार में दो विभागों में सहायक आचार्य के साक्षात्कार का परिणाम घोषित कर दिया है। बाकी दो विभागों में सहायक आचार्यों की नियुक्तियों का परिणाम बाद में घोषित करने की सूचना वेबसाइट पर प्रसारित कर दी गई हैं।

विभागीय सूत्रों की मानें तो सहायक प्रोफेसर प्रिंट मीडिया का पद ओबीसी अभ्यर्थी के लिए आरक्षित था परन्तु साक्षात्कार स्तर सिलेक्शन कमेटी के समय बेईमानी कराकर इस पर ऐसे व्यक्ति का चयन करा लिया गया जो केंद्रीय सरकार की अन्य पिछडावर्ग की सूची में आता ही नहीं। सहायक निदेशक द्वारा मांगे गये स्पष्टीकरण के बाद इसने दो बार अपनी जाति ही बदल डाली। इसके बाद भी विभाग इसे ही चयनित करने पर लगा हुआ है। इतना ही नहीं संस्थान के शीर्ष पद पर बैठे लोगों का इस पद पर व्यक्ति विशेष के चयन की नीयत साक्षात्कार के लिए स्क्रीनिंग से ही स्पष्ट हो जाती है। जहां पर सहायक प्रोफेसर के चयन के साक्षात्कार के लिए मानकों को ताक पर रखकर मनपसंद अभ्यर्थी को शीर्ष मेरिट पर रखा गया। गजब तो जब हो गया जब 25 जून 2015 सुबह 11 बजे हुए साक्षात्कार के बाद संस्थान में ही अंग्रेजी उप-संपादक पद पर तैनात उस व्यक्ति ने अपने चयन का डंका बजाना शुरू कर दिया।

बाद में मानक पूरे न करने एवं गैर ओबीसी प्रकरण पर अन्य अभ्यर्थियों की आपत्ति पर कंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय गंभीर हुआ। परन्तु संस्थान प्रशासन मंत्रालय के अधिकारियों को गोल मोल जवाब देता रहा। मामला तब अधिक संवेदनशील हो गया जब वाराणसी निवासी छात्रा नम्रता सिंह ने मामला सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दिया। नतीजन प्रधानमंत्री कार्यालय की पब्लिक ग्रीवांस सेल ने चयन प्रक्रिया के दौरान हुई विसंगतियों पर सवाल पूछा गया। भारत सरकार में अंडर सके्रेटरी सोमा सान्याल द्वारा संस्थान के निदेशक को भेजे गये पत्र में सहायक आचार्य की समस्त चयन प्रक्रिया सवाल उठाए हैं।

यहां आरोप है कि संस्थान के संचार विभाग में सहायक आचार्य प्रिंट मीडिया साक्षात्कार की सम्पूर्ण प्रक्रिया में एक विभागीय कर्मचारी को वरीयता दी गई। चयन समिति के सदस्यों पर अनावश्यक दवाब बनाकर इसका चयन किया गया है। पद ओबीसी के लिए आरक्षित है परन्तु फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर चयन प्रक्रिया में शामिल हुए विभागीय कर्मचारी जोकि केंद्रीय सरकार की पिछडा वर्ग सूची में शामिल भी नहीं है उसको सर्वाधिक अंक दिलाकर चयन कर लिया गया है। गौरतलब है कि संस्थान के उप निदेशक राजीव रंजन सिंह को असिस्टेंट प्रोफेसर एसएण्डडी एवं असिस्टेंट प्रोफेसर प्रिंट मीडिया के साक्षात्कार की तिथि से कई दिन पूर्व ही ओबीसी के पदों की स्क्रीनिंग में गैर ओबीसी एवं नान-क्रीमीलेयर को हटाने के लिए की सूचना हेतु प्रार्थनापत्र लिखा जा चुका था। परन्तु संस्थान द्वारा जारी पात्रों की सूची में उक्त प्रश्नों पर कोई जांच नहीं कराई गई। विभागीय कर्मचारी को स्क्रीनिंग सूची से लेकर चयन प्रक्रिया में वरीयता दी गई।

इस पद के लिए पहले से ही संभावना जताई जा रही है कि संस्थान के निदेशक निजी लाभ के लिए ऐसे अभ्यर्थी का चयन कराया है जो न तो ओबीसी श्रेणी की अर्हता पूरी करता है और उसने अपनी शैक्षिक योग्यता में भी व्यापक धांघली की है। वास्तविकता यह है कि विभाग के रिकार्ड में दर्ज दस्तावेजों में इस अभ्यर्थी की नियुक्ति सामान्य अभ्यर्थी के रूप में हुई है। इस संस्थान में नियुक्ति से पहले भी अन्य संस्थानों में भी इसका चयन सामान्य अभ्यर्थी के रूप में किया गया है। ऐसे में इस पद विशेष के लिए जिन फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग कर इस पद के लिए आवेदन किया गया है उसकी विभागीय स्तर पर भी कोई जांच नहीं हुई। संस्थान सबकुछ जानते हुए भी अनजान बना रहा। अन्य पिछडा वर्ग के पद के लिए संस्थान के सामान्य जाति के अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग में पहला स्थान दिया गया। स्क्रीनिंग में क्रीमी-लेयर के नियम को भी दर किनार कर दिया गया।

यूजीसी द्वारा सहायक आचार्य के लिए घोषित परास्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत के नियमों की तो धज्जियां उड़ गईं। सिलेक्शन कमेटी पर दबाव बनाया गया। निदेशक द्वारा सभी सदस्यों को इसी अभ्यर्थी के चयन के लिए कहा गया। सूत्र यह भी बताते है कि जिसका चयन कर लिया गया है उसकी पीएचडी संस्थान में स्थायी रूप से कार्यरत रहकर हुई है। इसने संस्थान प्रशासन के अनुमति के बेगैर डाक्टेट उपाधि पूरी है जो भारत सरकार के नियमों के विपरीत है। भडास मीडिया द्वारा इस खबर को उठाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय एवं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं मंत्रालय हरकत में आया।

भड़ास को भेजे गए एक पत्र पर आधारित.

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