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दागी आईएएस प्रदीप शुक्ला क्यों किए गए बहाल, कारण सार्वजनिक करें : अमिताभ ठाकुर

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को पत्र लिख कर उन तथ्यों को सार्वजनिक करने का अनुरोध किया है जिसके आधार पर निलंबित आईएएस प्रदीप शुक्ला को अचानक से बहाल कर दिया गया. श्री ठाकुर ने कहा है कि आईएएस अफसर अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियमावली 1969 के नियम 3 के तहत निलंबित किये जाते हैं जिसके नियम 3(8) मे प्रत्येक निलंबन का नियमित रूप से पुनरीक्षण किये जाने का प्रावधान है. इस नियम के अनुसार राज्य सरकार में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गयी है जो यह पुनरीक्षण  करता है. श्री ठाकुर ने कहा कि अब तक प्रस्तुत साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर यह समिति लगातार श्री शुक्ला को निलंबित रखने की अनुशंसा करता रहा है, अतः बड़े भ्रष्टाचार से जुड़े व्यापक जनहित के इस मामले में यह आवश्यक है कि उन कारणों और स्थितियों को सार्वजनिक किया जाए जिनके कारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को अपने अब तक के अभिमत को अचानक बदलना पड़ा.

<p>आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को पत्र लिख कर उन तथ्यों को सार्वजनिक करने का अनुरोध किया है जिसके आधार पर निलंबित आईएएस प्रदीप शुक्ला को अचानक से बहाल कर दिया गया. श्री ठाकुर ने कहा है कि आईएएस अफसर अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियमावली 1969 के नियम 3 के तहत निलंबित किये जाते हैं जिसके नियम 3(8) मे प्रत्येक निलंबन का नियमित रूप से पुनरीक्षण किये जाने का प्रावधान है. इस नियम के अनुसार राज्य सरकार में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गयी है जो यह पुनरीक्षण  करता है. श्री ठाकुर ने कहा कि अब तक प्रस्तुत साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर यह समिति लगातार श्री शुक्ला को निलंबित रखने की अनुशंसा करता रहा है, अतः बड़े भ्रष्टाचार से जुड़े व्यापक जनहित के इस मामले में यह आवश्यक है कि उन कारणों और स्थितियों को सार्वजनिक किया जाए जिनके कारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को अपने अब तक के अभिमत को अचानक बदलना पड़ा.</p>

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को पत्र लिख कर उन तथ्यों को सार्वजनिक करने का अनुरोध किया है जिसके आधार पर निलंबित आईएएस प्रदीप शुक्ला को अचानक से बहाल कर दिया गया. श्री ठाकुर ने कहा है कि आईएएस अफसर अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियमावली 1969 के नियम 3 के तहत निलंबित किये जाते हैं जिसके नियम 3(8) मे प्रत्येक निलंबन का नियमित रूप से पुनरीक्षण किये जाने का प्रावधान है. इस नियम के अनुसार राज्य सरकार में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गयी है जो यह पुनरीक्षण  करता है. श्री ठाकुर ने कहा कि अब तक प्रस्तुत साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर यह समिति लगातार श्री शुक्ला को निलंबित रखने की अनुशंसा करता रहा है, अतः बड़े भ्रष्टाचार से जुड़े व्यापक जनहित के इस मामले में यह आवश्यक है कि उन कारणों और स्थितियों को सार्वजनिक किया जाए जिनके कारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को अपने अब तक के अभिमत को अचानक बदलना पड़ा.

Make public reasons for IAS Pradeep Shukla reinstatement

IPS officer Amitabh Thakur has requested Chief Secretary Amitabh Thakur to make public the reasons for sudden reinstatement of IAS officer Pradeep Shukla. Sri Thakur said that IAS officers are suspended under Rule 3 of All India Services Discipline and Appeal Rules 1969 where Rule 3(8) says that these suspension need to be reviewed after 180 days. Under these Rules a Review Committee under the Chief Secretary has been formed for this purpose. Sri Thakur said that the Review committee had so far been regularly recommending to keep Sri Shukla under suspension, hence it is imperative that the facts and circumstances that made the Committee suddenly change its opinion on suspension be made public in this matter of serious corruption.

सेवा में,
श्री आलोक रंजन,
मुख्य सचिव,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- श्री प्रदीप शुक्ला, आईएएस की निलंबन से बहाली विषयक
महोदय,

कृपया दिनांक 03/07/2015 को श्री प्रदीप शुक्ला, आईएएस की निलंबन से अचानक बहाली के मामले का सन्दर्भ ग्रहण करने की कृपा करें. समाचारपत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री शुक्ला को दिनांक 11/05/2012 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था और पुनः दिनांक 20/08/2012 को उन्हें निलंबित किया गया. अब दिनांक 03/07/2015 को श्री प्रदीप शुक्ला, आईएएस की निलंबन से अचानक बहाल किया गया है.

हम अवगत हैं कि आईएएस अफसर अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियमावली 1969 के नियम 3 के तहत निलंबित किये जाते हैं जिसके नियम 3(8) मे यह व्यवस्था है कि प्रत्येक निलंबन का नियमित रूप से अनुशीलन किया जाएगा कि निलंबित अफसर आगे बहाल किया जाए अथवा निलंबित ही रखा जाए. इस नियम के अनुसार राज्य सरकार में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गयी है जो यह अनुशीलन करती है.

अब तक प्रस्तुत साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर ये समिति लगातार श्री शुक्ला को निलंबित रखने की अनुशंसा करती रही है. ऐसे में यह बात काफी महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे कौन से नए हालात और तथ्य सामने आ गए कि इस समिति को अपना विचार बदलना पड़ा और उन्होंने यह निर्णय लिया कि श्री शुक्ला को अब निलंबित करने की आवश्यकता नहीं है.

हम सभी जानते हैं कि यह मामला एक बड़े भ्रष्टाचार से जुड़ा है. हम यह भी जानते हैं कि इस मामले में श्री शुक्ला को लगभग पांच हज़ार करोड़ के घोटाले में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाया जा चुका है और श्री शुक्ला को मात्र स्वास्थ्य कारणों से ही मा० सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दी गयी. अतः इस मामले में श्री शुक्ला की बहाली का मामला सीधे व्यापक जनमत और जनहित से जुड़ा हुआ है अतः यह आवश्यक है कि उन कारणों और स्थितियों को सार्वजनिक किया जाए जिनके कारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को अपने अब तक के अभिमत को बदलना पड़ा.

उपरोक्त कारणों से निवेदन करना चाहता कि कृपया व्यापक जनहित में उन कारणों को सार्वजनिक किये जाने की कृपा करें जिनके कारण रिव्यु कमिटी को इतने बड़े भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी श्री शुक्ला को जहां अब तक निलंबित रखे जाने का निर्णय किया जाता रहा था, अचानक रिव्यु कमिटी को अपने पूर्व के निर्णयों से विपरीत निर्णय क्यों करने की आवश्यकता हुई?

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पत्र संख्या- AT/Complaint/154/15                                
दिनांक-04/07/2015
भवदीय
अमिताभ ठाकुर
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34526                                                                                                                                                         [email protected]

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