राजस्थान : सरकार के साथ आरक्षण के मामले में समझौता होने के बाद गुर्जरों ने अपना आंदोलन समाप्त करते हुए आज रेल पटरियों को खाली कर दिया तथा सड़क मार्ग खोल दिए. भरतपुर जिले के बयाना के पास पीलूपुरा में रेल पटरियों पर गुर्जरों के धरना देने से पिछले एक सप्ताह से दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग ठप पड़ा था. आंदोलन समाप्त होने के बाद गुर्जरों ने रेल पटरी खाली कर दी, लेकिन अभी यातायात शुरु नहीं हो पाया है. रेल पटरियों की मरम्मत आदि का काम चल रहा है.
भरतपुर एवं दौसा जिले में गुर्जरों ने सड़क मार्ग भी अवरुद्ध कर दिए थे, जो आज खुल गए हैं तथा रोड़वेज एवं निजी बसों का आवाजाही शुरू हो गया है. सिकन्दरा के पास अवरुद्ध मार्ग के खुलने से जयपुर आगरा के लिए बसें शरु हो गई है. इसके साथ ही हिण्डोन एवं सवाईमाधोपुर सड़क मार्ग भी खुल गए हैं।
आरक्षण की मांग को लेकर एक सप्ताह से चला आ रहा गुर्जरों का आंदोलन खत्म हो गया है. राजस्थान सरकार ने गुर्जरों के पांच प्रतिशत आरक्षण देने की मांग स्वीकार कर ली है. जयपुर में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस संबंध में सरकार नया विधेयक लेकर आएगी, जिसे विधानसभा में पास कराया जाएगा. राठौड़ ने कहा कि सरकार और आंदोलनकारी गुर्जरों के बीच आठ बिंदुओं पर सहमति बन गई है.
50 साल से ज्यादा पुराना है गुर्जर आरक्षण आंदोलन. 3 राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में गुर्जर समाज के लोग अनुसूचित जनजाति में आते हैं. 10 फीसदी है राजस्थान में गुर्जरों की आबादी. 1954 में राजस्थान में मीणा को अनुसूजित जनजाति का दर्जा मिला जबकि गुर्जरों को ये दर्जा नहीं मिला. 1981 में गुर्जरों को पिछड़ी जाति की श्रेणी में रखा गया.
आरक्षण आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर सरकार की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमों को लेकर भी वार्ता में चर्चा हुई. आंदोलनकारियों पर लगे सभी मुकदमों को सरकार नियमानुसार निस्तारण कराएगी. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के समझौते की समीक्षा मंत्रिमंडल द्वारा भी की जाएगी. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के कारण राजस्थान सरकार के झुकने से गुर्जरों के अलावा, रेवारी, लोहार, बंजारा जैसी जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।