सरकार के संरक्षण में सार्वजनिक सम्पदा की लूट के कारण हुई मथुरा की घटना : उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करें जांच, आश्रमों को दी जमीनों की भी हो जांच : जांच टीम ने किया मथुरा का दौरा, राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह को सौपेंगे रिपोर्ट
आगरा : जवाहर बाग की घटना ने उत्तर प्रदेश में सरकार के संरक्षण में जारी सार्वजनिक सम्पदा की लूट के सच को सामने लाया है। इस घटना में साफ तौर पर यह दिखता है कि उ0 प्र0 में कानून का राज नहीं है और न्यायालयों तक के आदेश निष्प्रभावी हो जाते है। जवाहरबाग में कब्जा की गयी 280 एकड़ जमीन की अनुमानित कीमत 56 अरब रूपए थी। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक नगर कार्यालय और जिला मुख्यालय के बगल में खुलेआम उद्यान विभाग के सार्वजनिक पार्क की इतनी कीमती जमीन पर दो साल से भी ज्यादा समय से अवैध कब्जा बरकरार रखना सरकार के संरक्षण के बिना सम्भव नहीं है।
हाईकोर्ट तक के यह कहने के बाद भी कि यहां कानून का राज नहीं है इसलिए सरकार को हर हाल में कानून के राज की स्थापना के लिए काम करना चाहिए और पार्क को खाली करना चाहिए, हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। यहां तक इस जमीन को खाली कराने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा बार-बार शासनस्तर पर कहने के बाबजूद कार्यवाही करने से रोका गया। दरअसल मथुरा में यह परम्परा बन गयी है कि पहले आश्रम के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जाता है और बाद में सरकार उस जमीन को लीज पर दे देती है। यह काम पिछले बीस सालों में सपा और भाजपा की बनी सरकारों ने किया है। मथुरा में लोगों ने बताया कि इससे पहले भी उद्यान विभाग की 62 एकड़ जमीन भाजपा की सरकार ने वृंदावन स्थित साध्वी ऋंतम्भरा के वात्सल्य आश्रम को 1 रूपए में 99 साल के लिए लीज पर दी थी।
इसके बाद मुलायम सिंह की सरकार ने बाबा जय गुरूदेव के आश्रम को जमीन आवंटित की। इस घटना में भी सरकार के स्तर पर पार्क की जमीन आवंटित होने का भरोसा कब्जाधारियों को था। यह बातें आज ताज प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के प्रदेश संगठन महासचिव दिनकर कपूर ने कहीं। उन्होंने बताया कि कल उनके साथ आइपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता अजीत सिंह यादव, आगरा के किसान नेता द्वारिका सिंह, आइपीएफ के जिला प्रवक्ता मुकन्दीलाल नीलम व दुष्यंत वर्मा ने मथुरा का दौरा कर जवाहर बाग में हुई घटना की जांच की है जिसकी रिपोर्ट आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह को सौंपी जायेगी।
उन्होंने कहा कि जब सरकार के ही संरक्षण में सार्वजनिक सम्पदा की खुलेआम लूट चल रही थी तब उ0 प्र0 सरकार के स्तर पर इसकी जांच कराने का कोई औचित्य नहीं है इसलिए इसकी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच करायी जानी चाहिए और इस जांच में सरकार द्वारा आश्रमों के लिए जमीनों के आवंटन को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज वह एस0एन0 मेडिकल कालेज में भर्ती घायलों से भी मिले। घायलों में फर्रूखाबाद निवासी रविलाल के बाएं पैर में, रामपुर निवासी विजय पाल सिंह के दाहिने पैर में और गोरखपुर निवासी रामसंवर के कमर के ऊपर गोली लगी है। घायलों ने जांच टीम को बताया कि पुलिस ने चौतरफा घेर कर फायरिंग की और आग लगायी जिसमें सैकड़ों लोग आग और गोली से मरे हैं। आइपीएफ ने इस पहलू को भी जांच में शामिल करने की मांग की है।