लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि राम भारतीयों के जीवन के रग-रग में हैं। वे उनके दिल में बैठे हैं। हम मिलते हैं तो राम-राम कहते हैं, डरते हैं या अन्तिम बेला में भी हे राम कहते हैं। राज्यपाल ने कहा कि रामचरित मानस में राम के चरित्र के भाव दिल को छू जाते हैं। रामचरित मानस पढ़ने और सुनने वालों का अगर आंकड़ा अगर देखें तो ऐसा दूसरा ग्रन्थ नहीं मिलेगा। उसकी गेयता और सहजता भी अप्रतिम है। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी के उपमहानिदेशक रहे समर बहादुर सिंह ने इसको संगीतबद्ध कर इसकी लोकप्रियता को और विस्तार दिया है।
श्री नाईक सोमवार को रण समर फाउण्डेशन के तत्वावधान में आयोजित मानस संध्या कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन डा.समर बहादुर सिंह की स्मृति में उनकी पुण्यतिथि पर संगीत नाटक अकादमी के गाडगे सभागार में किया गया था। स्वर्गीय समर बहादुर सिंह ने आकाशवाणी के लिए रामचरित मानस की सांगीतिक प्रस्तुति तैयार की थी जिसका प्रसारण सुबह 6.45 बजे से सात बजे तक होता है। राज्यपाल ने कहा कि रामचरित मानस का उपयोग देहात की रामलीला में भी होता है और कलाकारों के अच्छे मंचनों में भी। उन्होंने कहा कि रामलीला में कोई नई बात नहीं होती है लेकिन यह राम के चरित्र का आकर्षण है कि लोग बार-बार रामलीला देखने जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिन्हें पढ़ने नही आता है वे भी अपने देवालयों में रखकर उनकी पूजा करते हैं।
श्री नाईक ने कहा कि रामचरित मानस को संगीतबद्ध करना काफी मुश्किल काम है। सरकारी व्यवस्था में काम करना कितना आसान या मुश्किल होता है ये उसमें काम करने वाले लोग ही जानते हैं। उन्होंने इसकी योजना बनाई और गायकों का चयन किया। राज्यपाल ने महाराष्ट्र के गीत रामायण की भी चर्चा की और बताया कि किस प्रकार 1954 में सुधीर फड़के के संगीत निर्देशन में इसे तैयार किया गया। श्री नाईक ने समरबहादुर सिंह के पुत्र प्रसिद्ध अधिवक्ता वाई.पी.सिंह और उनकी पत्नी आभा सिंह के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जहां अन्याय होता है वहां लड़ने की ताकत भी होती है। इन्होंने महाराष्ट्र में अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि इन्हें उत्तर प्रदेश का भी ख्याल रखना चाहिए और यहां भी ऐसे कार्य शुरू करने चाहिए।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि महापौर दिनेश शर्मा ने घोषणा की कि संस्था प्रस्ताव भेजे तो इन्दिरा नगर में जहां समर बहादुर सिंह रहते थे, वहां किसी चौराहे का नाम उनके नाम पर कराने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न परिस्थितयों में रामचरित मानस की चौपाइयां मार्गदर्शन करती है। श्री शर्मा ने कहा कि जब समरबहादुर सिंह ने इसकी प्रस्तुति तैयार किया होगा तो उनका विरोध भी हुआ होगा और ये भी कहा गया होगा कि धर्म का प्रचार किया जा रहा है लेकिन जब निडरता से चुनौतियों का सामना किया जाता है तो चुनौतियां छोटी हो जाती हैं।
आरम्भ में संस्था की अध्यक्ष, डाक विभाग की पूर्व निदेशक और समर बहादुर सिंह की पुत्रवधू अधिवक्ता आभा सिंह ने उनका परिचय देते हुए कहा कि समर बहादुर सिंह हाईस्कूल के बाद स्कूल नहीं गए लेकिन अब्दुल रहीम खानखाना पर पीएचडी की। उन्होंने बताया कि इसकी सीडी का लोकार्पण पिछले वर्ष 31 अगस्त को नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि वे अपनी संस्था और तारीख पे तारीख वेबसाइट के जरिए उत्तर प्रदेश के ऐसे लोगों की कानूनी सहायता करेंगी जो अपनी लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं हैं। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और समर बहादुर सिंह के पुत्र वाई.पी.सिंह ने कहा कि मां-बाप के कार्यों को आगे बढ़ाना बच्चों का फर्ज होता है।
समारोह का एक अन्य आकर्षण प्रसिद्ध गायिका और भातखण्डे संगीत संस्थान की कुलपति श्रुति सडोलीकर का गायन था। उन्होंने भक्ति रचनाएं-भज मन करुणा निधान और रघुवर तुमको मेरी लाज सुनाया। सारंगी पर विनोद मिश्र, तबले पर रविनाथ मिश्र तथा गायन में सृष्टि माथुर ने साथ दिया। आरम्भ में मानस की चौपाइयों की भी सांगीतिक प्रस्तुति हुई। इस मौके पर राज्यपाल, महापौर, श्रुति सडोलीकर, एस.के.डी.सिंह, तारा सिंह को पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। समारोह में सीडी के लोकार्पण समारोह पर आधारित लघु फिल्म भी दिखाई गई। इस मौके पर विधानपरिषद सदस्य अशोक वाजपेयी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।