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जागरण के सीजीएम का कहना है- कर्मचारियों का हक मारने पर शाबासियां देगा मालिक!

Shrikant Singh : कर्मचारियों का हक मारने पर शाबासियां देगा मालिक… दैनिक जागरण के मुख्‍य महाप्रबंधक नीतेंद्र श्रीवास्‍तव से फोन पर बात हुई। उनकी बातों से यही लगा कि संस्‍थान का प्रबंधन श्रम कानूनों का जितना अधिक उल्‍लंघन करेगा, मालिक उतनी अधिक शाबासियां देगा। मैंने उनसे कहा कि सीधा रास्‍ता क्‍या है, यह मुझे भी मालूम है और आपको भी। फिर क्‍यों ऐसा हो रहा है कि संस्‍थान के कर्मचारी काली पट्टी बांध रहे हैं और मौन व्रत की तैयारी कर रहे हैं।

<p>Shrikant Singh : कर्मचारियों का हक मारने पर शाबासियां देगा मालिक... दैनिक जागरण के मुख्‍य महाप्रबंधक नीतेंद्र श्रीवास्‍तव से फोन पर बात हुई। उनकी बातों से यही लगा कि संस्‍थान का प्रबंधन श्रम कानूनों का जितना अधिक उल्‍लंघन करेगा, मालिक उतनी अधिक शाबासियां देगा। मैंने उनसे कहा कि सीधा रास्‍ता क्‍या है, यह मुझे भी मालूम है और आपको भी। फिर क्‍यों ऐसा हो रहा है कि संस्‍थान के कर्मचारी काली पट्टी बांध रहे हैं और मौन व्रत की तैयारी कर रहे हैं।</p>

Shrikant Singh : कर्मचारियों का हक मारने पर शाबासियां देगा मालिक… दैनिक जागरण के मुख्‍य महाप्रबंधक नीतेंद्र श्रीवास्‍तव से फोन पर बात हुई। उनकी बातों से यही लगा कि संस्‍थान का प्रबंधन श्रम कानूनों का जितना अधिक उल्‍लंघन करेगा, मालिक उतनी अधिक शाबासियां देगा। मैंने उनसे कहा कि सीधा रास्‍ता क्‍या है, यह मुझे भी मालूम है और आपको भी। फिर क्‍यों ऐसा हो रहा है कि संस्‍थान के कर्मचारी काली पट्टी बांध रहे हैं और मौन व्रत की तैयारी कर रहे हैं।

ऐसा तो दैनिक जागरण में कभी नहीं हुआ था। आने वाली 17 तारीख को हड़ताल भी हो सकती है। जैसा कि दूसरी यूनिटों से खबर आ रही है, वे भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। क्‍या यह आपकी असफलता नहीं होगी—इस पर सीजीएम साहब ने कहा, हमारी सफलता असफलता मालिक तय करेंगे। हमने कहा कि भविष्‍य का अंदाजा है आपको। इस पर उन्‍होंने कहा कि सारी व्‍यवस्‍था कर दी गई है। सब मैनेज कर लिया जाएगा। कुछ लोगों को लगा दिया गया है, जो डीएलसी की अदालतों को मैनेज करने में लगे हैं और वे निश्चित ही सब कुछ मैनेज कर लेंगे।

इसका मतलब तो यही हुआ कि दैनिक जागरण प्रबंधन पिछली बार की तरह प्रस्‍तावित हड़ताल को मैनेज करने में लगा है। लॉलीपॉप देकर वह किसी भी कीमत पर कर्मचारियों की एकजुटता तोड़ने का प्रयास करेगा। ऐसी हालत में कर्मचारियों को बहुत सोच समझकर कदमा उठाना होगा। किसी भी बहकावे में आए, तो निश्चित ही प्रबंधन बाजी मार ले जाएगा। इसलिए टेक केयर।

दैनिक जागरण के पत्रकार श्रीकांत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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