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यूपी सरकार के मुताबिक शैलेन्द्र अग्रवाल केस का दोनों डीजीपी बनर्जी और शर्मा से कोई मतलब नहीं

उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि शैलेन्द्र अग्रवाल केस से पूर्व डीजीपी एएल बनर्जी और एसी शर्मा का कोई वास्ता नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में दायर पीआईएल में सरकार की ओर पक्ष रखते हुए एसपी क्राइम आगरा प्रेम चंद ने अपने हलफनामे में कहा कि इन दोनों डीजीपी का एफआईआर में नाम ही नहीं है, अतः इनके खिलाफ कार्यवाही की कोई जरूरत नहीं है. वादी सेण्टर फॉर सिविल लिबर्टीज की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने बताया कि सरकार के हलफनामे में केस की जगह पूरा ध्यान पत्र वादी को गलत ठहराने पर था और कहा गया कि यह मामला किसी भी प्रकार से जनहित नहीं जुड़ा हुआ है और वादी द्वारा मात्र सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर किया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार का यह भी मानना है कि अख़बारों में छपी खबरों के आधार पर कार्यवाही नहीं की जा सकती और इस मामले में किसी अन्य कार्यवाही की जरुरत नहीं है. डॉ ठाकुर ने कहा कि इस मामले में अब तक प्राप्त विभिन्न तथ्यों को कोर्ट के सामने रखते हुए बताया जाएगा कि कैसे इन अफसरों को बचाने का काम हो रहा है.

<p>उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि शैलेन्द्र अग्रवाल केस से पूर्व डीजीपी एएल बनर्जी और एसी शर्मा का कोई वास्ता नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में दायर पीआईएल में सरकार की ओर पक्ष रखते हुए एसपी क्राइम आगरा प्रेम चंद ने अपने हलफनामे में कहा कि इन दोनों डीजीपी का एफआईआर में नाम ही नहीं है, अतः इनके खिलाफ कार्यवाही की कोई जरूरत नहीं है. वादी सेण्टर फॉर सिविल लिबर्टीज की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने बताया कि सरकार के हलफनामे में केस की जगह पूरा ध्यान पत्र वादी को गलत ठहराने पर था और कहा गया कि यह मामला किसी भी प्रकार से जनहित नहीं जुड़ा हुआ है और वादी द्वारा मात्र सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर किया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार का यह भी मानना है कि अख़बारों में छपी खबरों के आधार पर कार्यवाही नहीं की जा सकती और इस मामले में किसी अन्य कार्यवाही की जरुरत नहीं है. डॉ ठाकुर ने कहा कि इस मामले में अब तक प्राप्त विभिन्न तथ्यों को कोर्ट के सामने रखते हुए बताया जाएगा कि कैसे इन अफसरों को बचाने का काम हो रहा है.</p>

उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि शैलेन्द्र अग्रवाल केस से पूर्व डीजीपी एएल बनर्जी और एसी शर्मा का कोई वास्ता नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में दायर पीआईएल में सरकार की ओर पक्ष रखते हुए एसपी क्राइम आगरा प्रेम चंद ने अपने हलफनामे में कहा कि इन दोनों डीजीपी का एफआईआर में नाम ही नहीं है, अतः इनके खिलाफ कार्यवाही की कोई जरूरत नहीं है. वादी सेण्टर फॉर सिविल लिबर्टीज की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने बताया कि सरकार के हलफनामे में केस की जगह पूरा ध्यान पत्र वादी को गलत ठहराने पर था और कहा गया कि यह मामला किसी भी प्रकार से जनहित नहीं जुड़ा हुआ है और वादी द्वारा मात्र सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर किया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार का यह भी मानना है कि अख़बारों में छपी खबरों के आधार पर कार्यवाही नहीं की जा सकती और इस मामले में किसी अन्य कार्यवाही की जरुरत नहीं है. डॉ ठाकुर ने कहा कि इस मामले में अब तक प्राप्त विभिन्न तथ्यों को कोर्ट के सामने रखते हुए बताया जाएगा कि कैसे इन अफसरों को बचाने का काम हो रहा है.

Shailendra Agrawal case : Nothing to do with 2 DGPs

The UP government believes that the ex DGPs A L Banerjee and A C Sharma have nothing to do with Agra’s Shailendra Agrawal case. The affidavit filed by Prem Chand, SP Crime, Agra on behalf of the UP government says that these officers are not named in the FIR and hence there is no need for any action. Dr Nutan Thakur, counsel for petitioner Center for Civil Liberties told that the entire focus of the State government in its affidavit was to prove the petitioner wrong saying that no public interest is involved in the matter and the petition has been filed only for cheap popularity. She said the government also feels that the facts presented in the petition based on newspaper reports cannot be relied upon and hence there is no need to act upon them. Dr Thakur said she shall be presenting the various facts before the Court of how these officers are being saved by the investigating body.

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