मुंबई: शीना बोरा मर्डर केस में नया टि्वस्ट सामने आया है। यूपी के एक पुलिस इंस्पेक्टर ने दावा किया है कि तीन साल पहले मुंबई के करीब रायगढ़ के जंगलों से शीना की डेड बॉडी मिलने के बाद उसके सीनियर ने मामला दर्ज करने से रोका था। इस खुलासे से यह सवाल उठने लगा है कि क्या शीना बोरा के मर्डर के मामले को दबाने की कोशिश की गई थी?
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस इंस्पेक्टर सुभाष मिर्गे ने दावा किया है कि तत्कालीन रायगढ़ एसपी आरडी शिंदे ने उन्हें एफआईआर दर्ज करने से मना किया था। उस समय एसपी शिंदे ने कहा कि मैं एफआईआर या एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) भी फाइल न करूं। इसके बाद मैंने स्टेशन डायरी में एंट्री की थी। मिर्गे के मुताबिक, बॉडी के अवशेष को वहीं दफना दिया गया, जहां से उसे बरामद किया गया था। मर्डर केस की जांच के दौरान इंस्पेक्टर ने अपना यह बयान दर्ज करवाया है। उस वक्त रायगढ़ में तैनात मिर्गे फिलहाल पुणे में हैं। फिलहाल मुंबई में एडिशनल कमिश्नर के तौर पर तैनात शिंदे ने मिर्गे के बयान पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ” मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैंने इस मामले में पूरा पेपरवर्क किया था। जल्द ही अपना यह बयान संबंधित अधिकारियों के सामने दर्ज कराऊंगा।”
गौरतलब है कि 24 साल की शीना का कथित तौर पर उसकी मां इंद्राणी, सौतेले पिता संजीव खन्ना और एक ड्राइवर ने 24 अप्रैल 2012 को मुंबई में एक कार में हत्या कर दी थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मर्डर के बाद शीना के शव को इंद्राणी के पति और स्टार टीवी के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी के घर पर ले जाया गया। बाद में बॉडी को रायगढ़ के जंगलों में जलाकर ठिकाने लगाने की कोशिश की गई। एक महीने बाद शव के अवशेष मिलने के बाद गांववालों ने पुलिस को जानकारी दी थी। उस वक्त पुलिस ने कहा था कि शव की पहचान नहीं हो पाई। शीना की बॉडी मिलने के बाद पुलिस की ओर से की गई चूक की आशंकाओं के मद्देनजर यह जांच की गई है। मुंबई पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या शव मिलने के बाद सही तरीके से फोरेंसिक टेस्ट नहीं किए गए? क्या उन सबूतों का पीछा नहीं किया गया, जिनकी मदद से इस मर्डर का खुलासा काफी पहले हो सकता था? मामले की रिपोर्ट मुंबई पुलिस ने डीजी संजीव दयाल के पास दाखिल कर दी है।