Connect with us

Hi, what are you looking for?

ये दुनिया

हर शिक्षा मित्र ने समायोजन के लिए सपा नेताओं को 3 से 5 लाख रुपये दिए हैं!

Ajit Singh : पंजाब में एक चुटकुला सुनाते हैं। एक अफीमची भूखा मर रहा था। एक तो अफीमची ऊपर से भूखा। दो problem हो गयी न? अफीम भी चाहिए और खाना भी। गाँव के सेठ के पास गया। सेठ लौण्डेबाज था। अफीमची ने सेठ से कहा, सेठ जी आप मेरी सेवाएं ले लो और मुझे 20 रु दे देना। सेठ साला इतना हरामी था कि उसने सेवा ले ली और 20 रु भी नहीं दिए। अब अफीमची की समस्या 3 fold हो गयी। धन भी गया। धर्म भी गया। ऊपर से भूख भी लगी है और अफीम की पिनक भी। अफीमची करे भी तो क्या करे? वो तो किसी से बता भी नहीं सकता कि सेठ ने उसके साथ क्या किया।

<p>Ajit Singh : पंजाब में एक चुटकुला सुनाते हैं। एक अफीमची भूखा मर रहा था। एक तो अफीमची ऊपर से भूखा। दो problem हो गयी न? अफीम भी चाहिए और खाना भी। गाँव के सेठ के पास गया। सेठ लौण्डेबाज था। अफीमची ने सेठ से कहा, सेठ जी आप मेरी सेवाएं ले लो और मुझे 20 रु दे देना। सेठ साला इतना हरामी था कि उसने सेवा ले ली और 20 रु भी नहीं दिए। अब अफीमची की समस्या 3 fold हो गयी। धन भी गया। धर्म भी गया। ऊपर से भूख भी लगी है और अफीम की पिनक भी। अफीमची करे भी तो क्या करे? वो तो किसी से बता भी नहीं सकता कि सेठ ने उसके साथ क्या किया।</p>

Ajit Singh : पंजाब में एक चुटकुला सुनाते हैं। एक अफीमची भूखा मर रहा था। एक तो अफीमची ऊपर से भूखा। दो problem हो गयी न? अफीम भी चाहिए और खाना भी। गाँव के सेठ के पास गया। सेठ लौण्डेबाज था। अफीमची ने सेठ से कहा, सेठ जी आप मेरी सेवाएं ले लो और मुझे 20 रु दे देना। सेठ साला इतना हरामी था कि उसने सेवा ले ली और 20 रु भी नहीं दिए। अब अफीमची की समस्या 3 fold हो गयी। धन भी गया। धर्म भी गया। ऊपर से भूख भी लगी है और अफीम की पिनक भी। अफीमची करे भी तो क्या करे? वो तो किसी से बता भी नहीं सकता कि सेठ ने उसके साथ क्या किया।

UP के शिक्षा मित्रों की समस्या इतनी आसान है नहीं जितनी ऊपर से दिखती है। मामला पेचीदा है। पहले तो बेचारे 600 – 1200 पे सालों खटते रहे। इस आस में कि कभी मास्टर बन जाएंगे। 12 साल की तपस्या के बाद मास्टरी मिल भी गयी और नहीं भी मिली। 30,000 रु का cheque देख भी लिया और नहीं भी देखा। पर असली समस्या कहीं और है। हर शिक्षा मित्र ने समायोजन के लिए सपा नेताओं को 3 से 5 लाख रुपये दिए हैं। 1,72,000 शिक्षा मित्रों से औसत 3 लाख रु भी जोड़ा जाए तो 5100 करोड़ रु सपा नेता शिक्षा मित्रों से ले के डकार गए। काम भी कर दिया। अब high court ने नियुक्ति रद्द कर दी। शिक्षा मित्र बेचारा करे तो क्या करे। गरीबी में बेचारे ने 3 लाख जुटा के किसी तरह कर्ज़ा कर के दिए थे। वो तो नेता जी ले गए।

अब किस मुह से मांगे? किससे मांगे? मांगे की न मांगे? मांगे तो क्या कह के मांगे? शिक्षा मित्रों की हालात अफीमची वाली हो गयी है। धन भी गया और धर्म भी। इनको चाहिए कि पहले अपने पैसे वापस मांगें. भाजपा के पास बड़ा अच्छा मौक़ा है। उनको चाहिए कि इन शिक्षा मित्रों को चढ़ा बढ़ा के लखनऊ और सैफई पहुंचा दें। हाथ में पकड़ा दें झाडू। और सपा का जो नेता दिख जाए, झाडू से पीटो और अपने 3 लाख रु वापस मांगो। नौकरी तो अब मिलती नहीं। धर्म तो गया। धन तो मांगो वापस। बीजेपी को चाहिए कि 1.72 लाख शिक्षा मित्रों को सपा के खिलाफ खड़ा कर दे।

फेसबुक पर सक्रिय अजित सिंह के फेसबुक वॉल से.

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement