सीतापुर : मंगलवार को लगभग 3 बजे ब्रम्हावली गाँव की घटना ने लोगों का दिल दहला दिया। दोपहर और साँझ को जोड़ता समय था। अचानक आवाज आई धड़ाम। उस आवाज के साथ ही एक बेबस और लाचार माँ की चीखें सुनाई देने लगीं। आस पास काम कर रहे कुछ मजदूरों ने शोर मचाना शुरू किया। अचानक उठती चीख ने पूरे गाँव में कोहराम मचा दिया।
सारा गाँव चीख की दिशा में दौड़ पड़ा। लोग यह नहीं समझ पा रहे थे कहाँ क्या हुआ। सुट्टू की लड़की अचानक लिंटर फटने और दीवार गिरने से उसी के नीचे दब गई। सुट्टू बाहर काम करता है और घर साल में कभी कभार ही आ पाता है।
घटना के वक्त घर पर माँ बेटी ही थी। 14 वर्षीय सोनम सुट्टू की एकलौती पुत्री है। घटना के तुरंत बाद पूरा गाँव जमा हो गया। लोगों का जमावड़ा देख कर माँ चीख रही थी और दीवार की ओर इशारा करके बार बार कह रही थी कोई मेरी बेटी को बचा लो, वो इसके नीचे दब गई है। सोनम दीवार और लिंटर के नीचे दबी थी। आस पास की जमीन कच्ची और नम थी। सोनम का केवल एक पैर बाहर दिख रहा था।
लोग घटना देख कर काँप उठे। सोनम के जीवित होने की आशा कम थी। गाँव वालों ने हिम्मत बिना हारे अपना काम शुरू किया। गाँव की अन्य औरतों ने सोनम की माँ को दिलासा देना शुरू कर दिया। कई लोगों ने दीवार हटाने का भरसक प्रयास किया लेकिन वह असफल होते रहे। अंत में बल्लियों, बेल्चो के सहारे उसे जरा जरा उठा कर ईंटे भर कर कुछ गिरी दीवार और भारी लिंटर कुछ ऊँचा किया गया। इसके बाद सोनम नीचे से खींच ली गई।
सोनम को विनय मिश्र उर्फ़ छुल्ली बाहर ले आया। मुन्ने, कल्लू, अनुज, अम्बुज, अनीस, सोनकर, नितिन, बदलू, दिलखुस सहित कई ग्रामीणों ने लगातार हिम्मत बनाये रखी। सोनम की माँ की चीखों से लोगों का कालेजा फट रहा था। सोनम के सांस लेते ही ग्रामीणों के मन में आशा की किरण दौड़ गयी। बिना समय गंवाए ही लोग उसे महोली के अस्पताल ले गए। जहाँ से उसे हालत नाजुक देखते हुए ट्रामा सेंटर लखनऊ रेफर कर दिया गया।
लगभग आधा घण्टा परीक्षण के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकी और लड़की के मात्र कुछ जगहों की हड्डियां ही फैक्चर निकली। खबर लिखे जाने तक बच्ची को होश आ चुका था और अब वह अपनों को पहचान पा रही थी। उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।