वाशिंगटन: मिस्र की एक अदालत की तरफ से अल-जजीरा के तीन पत्रकारों को तीन वर्ष कैद की सजा सुनाये जाने के बाद अमेरिका ने इस पर ‘गहरी निराशा और चिंता’ प्रकट करते हुए वहां की सरकार से इसमें सुधार करने का आग्रह किया है। विदेश विभाग के प्रवक्ता जान किर्बी ने शनिवार को एक बयान में कहा ‘अल-जजीरा के तीन पत्रकारों मोहम्मद फाह्मी, बहेर मोहम्मद और पीटर ग्रेस्टे को लेकर मिस्र की एक अदालत द्वारा दिये गये फैसले से अमेरिका को गहरी निराशा और चिंता हुई है।’ उन्होंने कहा ‘हम लोग मिस्र की सरकार से इस फैसले में सुधार के लिए सभी संभव कदम उठाने का आग्रह करते हैं।’
उन्होंने कहा कि यह फैसला स्थिरता और विकास के लिए जरूरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करता है। मिश्र की एक अदालत ने यह कहा था कि तीनों ने ‘झूठी’ खबरों का प्रसारण किया और इससे मिस्र को नुकसान पहुंचा। इसके बाद इस मुद्दे पर बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय आक्रोश पर भी अमेरिका ने बल दिया है। ज्ञात हो कि मिस्त्र की एक अदालत ने शनिवार को समाचार नेटवर्क अल जजीरा के तीन पत्रकारों को तीन साल की सजा सुनाई। इन सभी पर झूठी और भ्रामक खबरें फैलाने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब दुनिया भर में इन पत्रकारों की रिहाई को लेकर अभियान छिड़ा हुआ है। लंबी सुनवाई के बाद कनाडा के मुहम्मद फाहमी, ऑस्ट्रेलिया के पीटर ग्रेस्टे और मिस्त्र के बाहेर मुहम्मद को सजा सुनाई गई। इनके अतिरिक्त अल जजीरा में काम करने वाले तीन सह अभियुक्तों को भी यही सजा सुनाई गई। तीनों पत्रकारों को पिछले साल मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ मिलकर साजिश रचने, झूठी खबरें फैलाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने समेत कई मामलों में दोषी ठहराया गया था। हालांकि इन तीनों ने यह कहते हुए खुद को निर्दोष बताया कि वे पत्रकार की हैसियत से इन खबरों का प्रसारण कर रहे थे। शुरुआती सुनवाई में इन सभी को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। इस साल जनवरी में इस फैसले को चुनौती दी गई और फरवरी में उन्हें पुन: सुनवाई होने तक मुक्त कर दिया गया था।