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सुषमा की भूल या परिवार के आगे राजनीति गौण

सवाल नीयत का नहीं मकसद का है और बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ही। सुषमा स्वराज जैसी तेज, तर्रार, कद्दावर, स्पष्टवादी और राजनीति की नब्ज को बखूबी जानने वाली इस नेता से क्यों और कहां चूक हुई यह जरूर खुद में एक बड़ा सवाल है। लेकिन ललित मोदी ने जिस तरह से काफी इंतजार के बाद खामोशी तोड़ी है उससे लगता है अभी तो प्याज के छिलके उतरने शुरू हुए हैं, देखना होगा आगे – आगे होता है क्या ! पहली बार एक निजी चैनल पर खुशनुमा माहौल में बेहद तरोताजा लग रहे ललित मोदी का दिया ताजा इण्टरव्यू बता रहा है कि खेल तो अब शुरू हुआ है। वो अपनी 16 सदस्यीय पूरी टीम को ही लपेटे रहे हैं जिसमें मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली भी एक सदस्य रहे। ऐसा लगता है कि बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत अब शतरंज की चालें चली जा रही है। शह और मात का खेल लंबा चलेगा।  ललित मोदी जिस अंदाज में बता रहे हैं और संबंधों के नाम पर वसुंधरा राजे सहित कई नामों पर मुहर लगा रहे हैं उससे सुषमा स्वराज की मुश्किलें कितनी कम होंगी नहीं मालूम, हां संसद का अगला सत्र फिर बड़े हंगामें की भेंट जरूर चढ़ेगा।

<p>सवाल नीयत का नहीं मकसद का है और बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ही। सुषमा स्वराज जैसी तेज, तर्रार, कद्दावर, स्पष्टवादी और राजनीति की नब्ज को बखूबी जानने वाली इस नेता से क्यों और कहां चूक हुई यह जरूर खुद में एक बड़ा सवाल है। लेकिन ललित मोदी ने जिस तरह से काफी इंतजार के बाद खामोशी तोड़ी है उससे लगता है अभी तो प्याज के छिलके उतरने शुरू हुए हैं, देखना होगा आगे – आगे होता है क्या ! पहली बार एक निजी चैनल पर खुशनुमा माहौल में बेहद तरोताजा लग रहे ललित मोदी का दिया ताजा इण्टरव्यू बता रहा है कि खेल तो अब शुरू हुआ है। वो अपनी 16 सदस्यीय पूरी टीम को ही लपेटे रहे हैं जिसमें मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली भी एक सदस्य रहे। ऐसा लगता है कि बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत अब शतरंज की चालें चली जा रही है। शह और मात का खेल लंबा चलेगा।  ललित मोदी जिस अंदाज में बता रहे हैं और संबंधों के नाम पर वसुंधरा राजे सहित कई नामों पर मुहर लगा रहे हैं उससे सुषमा स्वराज की मुश्किलें कितनी कम होंगी नहीं मालूम, हां संसद का अगला सत्र फिर बड़े हंगामें की भेंट जरूर चढ़ेगा।</p>

सवाल नीयत का नहीं मकसद का है और बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ही। सुषमा स्वराज जैसी तेज, तर्रार, कद्दावर, स्पष्टवादी और राजनीति की नब्ज को बखूबी जानने वाली इस नेता से क्यों और कहां चूक हुई यह जरूर खुद में एक बड़ा सवाल है। लेकिन ललित मोदी ने जिस तरह से काफी इंतजार के बाद खामोशी तोड़ी है उससे लगता है अभी तो प्याज के छिलके उतरने शुरू हुए हैं, देखना होगा आगे – आगे होता है क्या ! पहली बार एक निजी चैनल पर खुशनुमा माहौल में बेहद तरोताजा लग रहे ललित मोदी का दिया ताजा इण्टरव्यू बता रहा है कि खेल तो अब शुरू हुआ है। वो अपनी 16 सदस्यीय पूरी टीम को ही लपेटे रहे हैं जिसमें मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली भी एक सदस्य रहे। ऐसा लगता है कि बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत अब शतरंज की चालें चली जा रही है। शह और मात का खेल लंबा चलेगा।  ललित मोदी जिस अंदाज में बता रहे हैं और संबंधों के नाम पर वसुंधरा राजे सहित कई नामों पर मुहर लगा रहे हैं उससे सुषमा स्वराज की मुश्किलें कितनी कम होंगी नहीं मालूम, हां संसद का अगला सत्र फिर बड़े हंगामें की भेंट जरूर चढ़ेगा।

सुषमा स्वराज के इस तरह घिर जाने से जहां उनके प्रशंसक और समर्थक सकते में हैं वहीं उनकी खामोशी कह रही है कि कहीं न कहीं उनमें अपराध बोध का भाव है। राजनीति के हर दांव पेंच को बारीकी से समझने, जानने और आजमाने वाली सुषमा स्वराज को यह नहीं पता था कि वो जो करने जा रही हैं उसका नतीजा क्या होगा ?  कहते हैं “खैर, खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीत, मधुपान दाबे से भी नहीं दबे जाने सकल जहान ” । ललित मोदी अब खुलासे दर खुलासे कर चाहे जितनों को लपेटे, सच्चाई का पर्दाफाश करें या पूरा झूठ ही बोलें लेकिन उन्होंने अब तक क्यों खामोशी ओढ़ रखी थी ?

कांग्रेस भी बड़े मुद्दे की तलाश में थी। भूमि अधिग्रहण बिल और अब यह मुद्दा प्राण वायु जैसा प्रतीत हो रहा है। बीजेपी के अंदर भी जो कुछ हो रहा है वह पहली बार पूर्ण बहुमत से नरेन्द्र मोदी के दम पर आई सरकार के लिए भी ठीक नहीं कहा जाएगा। कीर्ति आजाद का बयान शायद इसी ओर इशारा कर रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह सुषमा स्वराज के पर कतरने जैसा कुछ हो या फिर अडवाणी गुट की माने जाने वाली सुषमा की मोदी के प्रति बढ़ती निष्ठा का नतीजा है ? वजह जो भी हो लेकिन इतना तो साफ है कि एक मंजी हुई राजनेता के रूप में सुषमा स्वराज ने ऐसा क्यों किया ये अबूझ पहेली है। अगर बात मानवीय आधारों की है तो यह आधार केवल नामचीन लोगों के लिए ही क्यों ? यदि बात पारिवारिक संबंधों की है तो मदद करते समय ही इस बारे में क्यों नहीं बताया गया। यह भी ठीक है कि सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल और ललित मोदी में पुरानी मित्रता है, वो उनके कानूनी सलाहकार भी हैं। सुषमा की बेटी बांसुरी बीते 7 साल मे कई बार ललित मोदी की वकील के तौर पर पेश हुई हैं। बकौल हाफिंगटन पोस्ट सुषमा की मदद के बाद पुर्तगाल में सर्जरी वाली तारीख को ललित मोदी हालीवुड सेलेब्रिटीज ना ओमी कैंपबेल और पेरिस हिल्टन के साथ पार्टी कर रहे थे। यानी सरसरी तौर पर विवादों से घिरे ललित मोदी की मदद भी विवादित है। ललित मोदी के द्वारा इंस्टाग्राम में पोस्ट की हुई कुछ तस्वीरें भी मीडिया में खूब सुर्खियों में रही। कुल मिलाकर मामला उतना सुलझा नहीं लगता है जितना की बीजेपी खुद कह रही है। सुषमा के साथ सरकार खड़ी है इसका इशारा भी साफ है। कहीं न कहीं मामला वर्चस्व और कद का तो है लेकिन उससे बड़ा अन्दरूनी खलबलहाट और किसी बड़े कलह का संकेत तो नहीं ?

सुषमा चुप्पी क्यों नहीं तोड़ रही हैं ये वो ही जाने सच यह है कि ललित मोदी ने हाईकोर्ट के निर्देश के पहले ही पुर्तगाल जाने के परमिट का इंतजाम कर लिया था । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मंत्रियों की हर एक गतिविधियों पर पैनी निगाह रखते हैं, यहां तक कि उनके पहनावे तक की जानकारी रखते है। मंत्रियों और सांसदों के बड़बोलेपन पर भी उनका तल्ख तेवर दिखा। ऐसे में वित्त मंत्रालय से जुड़े कथित विदेशी मुद्रा अपराध मामले में चिन्हत व्यक्ति को उसी सरकार का विदेश मंत्री मानवीय आधार पर मदद करे बात यहीं आकर फंस गई है। आक्रामक और तेज, तर्रार सुषमा स्वराज ने 2004 में एनडीए की हार के बाद सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं पर कड़ा विरोध किया था और यहां तक कह दिया कि अगर ऐसा हुआ तो वो सिर मुंडा लेंगी, साधारण कपड़े पहनेंगी, जमीन पर सोएंगी, सादा भोजन करेंगी। वही ऐसे विवादों में इसका नतीजा जानते हुए भी कैसे फंस गई ?  क्या यह एक बड़ी राजनीतिक भूल थी या अति आत्मविश्वास या फिर निजी, पारिवारिक संबंधों आगे राजनीति की तिलांजलि ! जो भी हो चुप्पी के मायने कुछ भी निकाले जा सकते हैं !

ऋतुपर्ण दवे
[email protected]
08989446288

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