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जबलपुर में टीआई ने पत्रकार को उठाया, की मारपीट

आरपीएफ टीआई जबलपुर की हैवानियत रिकार्ड करना एक पत्रकार को भारी पड़ गया। उक्त घटना के बाद प्रभारी निरीक्षक मनीष कुमार ने उस पत्रकार को ही उठवा लिया और जमकर मारपीट की। इसके बाद उसका मोबाइल भी छीन कर जब्त कर लिया। आरपीएफ टीआई की गुंडागर्दी यही नहीं रूकी उसने जबरन उस पत्रकार पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का फर्जी केस तक बना डाला।  दरअसल 31 अगस्त की रात 8.40 के आसपास टीआई मनीष कुमार अपनी टीम के साथ प्लेटफार्म 6 से भिखारियों को स्टेशन से हटाने पहुंचे लेकिन इस दौरान वे एक महिला को जानवरों के समान पीटने लगे। यह कृत्य वहां मौजूद एक दैनिक अखबार के पत्रकार एमपी मिश्रा को अशोभनीय लगा और उन्होंने मोबाइल पर इसकी रिकार्डिंग बनाने की कोशिश की, लेकिन तभी आरपीएफ के जवान उनपर टूट पड़े और रिकार्डिंग क्यों कर रहे हो कहकर सभी ने घेर लिया। फिर उसके बाद जबरन आरपीएफ थाने खींचते हुए ले गए। जहां टीआई मनीष कुमार ने यह कहकर पत्रकार के साथ जमकर मारपीट की कि तुझे समाज सेवा का ज्यादा शौक चढ़ा है। बड़ा पत्रकार बनता है मैं तेरी पत्रकारिता की औकात दिखाता हूं।

<p>आरपीएफ टीआई जबलपुर की हैवानियत रिकार्ड करना एक पत्रकार को भारी पड़ गया। उक्त घटना के बाद प्रभारी निरीक्षक मनीष कुमार ने उस पत्रकार को ही उठवा लिया और जमकर मारपीट की। इसके बाद उसका मोबाइल भी छीन कर जब्त कर लिया। आरपीएफ टीआई की गुंडागर्दी यही नहीं रूकी उसने जबरन उस पत्रकार पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का फर्जी केस तक बना डाला।  दरअसल 31 अगस्त की रात 8.40 के आसपास टीआई मनीष कुमार अपनी टीम के साथ प्लेटफार्म 6 से भिखारियों को स्टेशन से हटाने पहुंचे लेकिन इस दौरान वे एक महिला को जानवरों के समान पीटने लगे। यह कृत्य वहां मौजूद एक दैनिक अखबार के पत्रकार एमपी मिश्रा को अशोभनीय लगा और उन्होंने मोबाइल पर इसकी रिकार्डिंग बनाने की कोशिश की, लेकिन तभी आरपीएफ के जवान उनपर टूट पड़े और रिकार्डिंग क्यों कर रहे हो कहकर सभी ने घेर लिया। फिर उसके बाद जबरन आरपीएफ थाने खींचते हुए ले गए। जहां टीआई मनीष कुमार ने यह कहकर पत्रकार के साथ जमकर मारपीट की कि तुझे समाज सेवा का ज्यादा शौक चढ़ा है। बड़ा पत्रकार बनता है मैं तेरी पत्रकारिता की औकात दिखाता हूं।</p>

आरपीएफ टीआई जबलपुर की हैवानियत रिकार्ड करना एक पत्रकार को भारी पड़ गया। उक्त घटना के बाद प्रभारी निरीक्षक मनीष कुमार ने उस पत्रकार को ही उठवा लिया और जमकर मारपीट की। इसके बाद उसका मोबाइल भी छीन कर जब्त कर लिया। आरपीएफ टीआई की गुंडागर्दी यही नहीं रूकी उसने जबरन उस पत्रकार पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का फर्जी केस तक बना डाला।  दरअसल 31 अगस्त की रात 8.40 के आसपास टीआई मनीष कुमार अपनी टीम के साथ प्लेटफार्म 6 से भिखारियों को स्टेशन से हटाने पहुंचे लेकिन इस दौरान वे एक महिला को जानवरों के समान पीटने लगे। यह कृत्य वहां मौजूद एक दैनिक अखबार के पत्रकार एमपी मिश्रा को अशोभनीय लगा और उन्होंने मोबाइल पर इसकी रिकार्डिंग बनाने की कोशिश की, लेकिन तभी आरपीएफ के जवान उनपर टूट पड़े और रिकार्डिंग क्यों कर रहे हो कहकर सभी ने घेर लिया। फिर उसके बाद जबरन आरपीएफ थाने खींचते हुए ले गए। जहां टीआई मनीष कुमार ने यह कहकर पत्रकार के साथ जमकर मारपीट की कि तुझे समाज सेवा का ज्यादा शौक चढ़ा है। बड़ा पत्रकार बनता है मैं तेरी पत्रकारिता की औकात दिखाता हूं।

फर्जी केस बनाया
इस दौरान पत्रकार को विभिन्न केस में फंसाने की धमकी देते हुए मनीष कुमार ने फर्जी केस दर्ज कराया जिसमें लिखा गया कि आरपीएफ के जवान प्लेटफार्म 6 से भिखारियों को हटा रहे थे और पत्रकार के नाते मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की, इस तरह मेरे द्वारा अनजाने में सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई गई। इस केस को 1 सितंबर को कोर्ट में पेश कर उक्त पत्रकार पर 700 का जुर्माना लगा दिया गया। और कार्बन आक्ट प्लस का मोबाइल छीनकर जब्त कर लिया गया। एमपी मिश्रा ने बताया कि आरपीएफ पुलिस ने जबरन हर जगह साइन कर लिया और साइन ना करने की स्थिति में मारपीट करने व जेल में बंद करने की धमकी। जिस समय यह घटना हुई उस समय एमपी मिश्रा अमरकंटक एक्सप्रेस से बिलासपुर जा रहे थे। जिसका टिकट नंबर सी 67563156 है। लेकिन आरपीएफ ने उन्हें गिरफ्तार कर एक दिन जबरन थाने में बैठाए रखा।

क्या हम अब भी गुलाम है
इस घटना से दुखी पत्रकार एमपी मिश्रा ने शासन से पूछा है कि क्या हम अब भी गुलाम है। पुलिस या सरकारी कर्मचारी के अनुचित कृत्य का विरोध नहीं कर सकते। इस घटना के समय प्लेटफार्म पर सैकड़ों लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने पुलिस के दुव्र्यवहार का विरोध इसलिए नहीं किया कि विरोध करने पर उनके साथ भी यही हाल होगा। पुलिस का यह कृत्य प्लेटफार्म 6 पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो रहा था लेकिन सरकार हम ही है कोई क्या कर लेगा कि तर्ज पर आरपीएफ टीआई मनीष कुमार बेखौफ थे।

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