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उत्तर प्रदेश बचाओ अभियान- कदाचार, भ्रष्टाचार, सामाजिक अन्याय का करें विरोध

उत्तर प्रदेश अपने सबसे बुरे दिनों के दौर से गुजर रहा है। चारों तरफ आशंका, भय, जुल्म और अराजकता का माहौल व्याप्त है। महिलाओं के साथ गैंगरेप और उनकी हत्या, बेकारी की आग में झुलस रहे नौजवानों की आत्महत्या, किसानों व गरीबों की मौत तथा पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों की हत्या यहां आम बात हो गयी है। प्रदेश में दंगा-फसाद की घटनाओं का चेहरा बेहद डरावना होता है। मौसम विभाग के अनुसार देश में उत्तर प्रदेश सूखे से सबसे अधिक प्रभावित है। उत्तर प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित किया जाना चाहिए, सभी किसानों के कर्जे माफ होने चाहिए और उनसे सभी किस्म की वसूली पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही आपदा से निपटने के अंग्रेजों के जमाने के जो नियम हैं, उन्हें भी बदलने की जरूरत है और किसानों को नुकसान हुई फसलों, मवेशियों और मकानों का पूरा मुआवजा देने की जरूरत है।
         लोकतंत्र की सभी संस्थाओं को बर्बाद कर दिया गया है, विरोध और अभिव्यक्ति की आजादी सरकार को कतई पसंद नहीं है। उच्च न्यायालय ने भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में गजब हालत है, ‘यहां शिक्षक प्रधानाचार्य की नियुक्ति कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अध्यक्ष तक विवादित लोग बनाए गए हैं, जिनके कदाचार के खिलाफ उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। यहां सर्वोच्च न्यायालय तक को यह कहना पड़ता है कि अगर किसी के भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीबीआई जांच चल रही है, तो सरकार इतना परेशान क्यों है? बाद में पता चलता है कि एक परिवार, जिसने पूरे प्रदेश पर कब्जा कर रखा है, भ्रष्टाचारी की कम्पनी में शेयर होल्डर है। प्रदेश में न तो पूंजी बन रही है, न बाहर से आ रही है। हां, विज्ञापन पर खूब पैसा खर्च हो रहा है। लखनऊ से लेकर मुम्बई तक बड़े-बड़े होटलों में ‘इन्वेस्टर कानक्लेव‘ बुलाए जा रहे हैं। अलीगढ़ का ताला, मेरठ की कैंची, मुरादाबाद का पीतल, फिरोजाबाद की चूड़ी, बनारस की साड़ी, भदोही का कालीन, मिर्जापुर का खिलौना जैसे उद्योग बर्बाद हो गए हैं। बेकारी का आलम यह है कि सचिवालय में निकली चपरासी की 368 नियुक्तियों के लिए 23 लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किए हैं, जिसमें पीएचडी, बीटेक, एमटेक से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त लाखों लोग हैं। मानकों के अनुसार नियुक्ति न होने की वजह से उच्च न्यायालय ने एक ही झटके में 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को नौकरी से निकाल दिया, जिसका परिणाम बेहद भयावह होगा। सरकार को तत्काल इन नौजवानों की जीविका की गारंटी करनी चाहिए। पिछले बीस सालों में जो भी प्रदेश में पब्लिक सम्पत्ति सीमेन्ट, सूत, चीनी जैसी मिलें थी, उन्हें कमीशनखोरी में  निजी लोगों के हवाले कर दिया गया। किसान जो पैदा कर रहा है, उसे खरीदने और यदि खरीद भी ले तो कोई पैसा भुगतान करने वाला नहीं है।
        लोकतंत्र का बुनियादी उसूल है कि जिस वर्ग की जितनी आबादी हो, उसी अनुपात में राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिणिक क्षेत्रों में उसकी हिस्सेदारी हो। मौजूदा समय में छोटे से अभिजात्य वर्ग में राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिणिक सुविधाएं सीमित हो गयी हैं। उसके नतीजे में देहाती क्षेत्रों, गरीबों, कम शिक्षित, अनुसूचित जातियों-जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्ग, महिलाओं और मुसलमानों आदि की नुमाइंदगी बेहद कम है। इसलिए जरूरी है कि वंचित लोगों के लिए सामाजिक न्याय की गारंटी हो। प्रदेश की राजनीति को बदलना होगा, परिवारवाद, भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिक जुनून की राजनीति की मार से इसे बचाने का संकल्प लेना होगा!
एजेण्डा उत्तर प्रदेश
1. प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्रों, सरकारी सेवाओं व सभी स्तर की शिक्षण संस्थाओं में 10 लाख रिक्त पदों को अभियान चलाकर तत्काल भरा जाए।
2. बेरोजगारों को रोजगार या बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
3. महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं भागीदारी की गारंटी की जाए। महिला हिंसा व बलात्कार जैसे संवेदनशील मामलों की फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा सुनवाई की जाए। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए और उसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत व एस-एसटी को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
4. अन्य पिछड़े वर्गों के 27 प्रतिशत आरक्षण में उनकी जातियों को आबादी के अनुपात में भागीदारी/आरक्षण दिया जाए।
5. धारा 341 के तहत संविधान (अनुसूचित जाति) आर्डर 1950 के आदेश को वापस लेकर दलित मुसलमानों व ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाए। मुसलमानों की पसमांदा आबादी की भागीदारी हर क्षेत्र में सुनिश्चित की जाए।
6. रबी की फसल में हुई प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को मुआवजा की राशि अविलम्ब वितरित की जाये।
7. गन्ना किसानों का तत्काल भुगतान किया जाए।
8. वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों और वनाश्रितों को जमीन बांटी जाए।
9. सहकारी कृषि को आर्थिक एवं प्रशासनिक मदद दी जाए।
10. सूखे से निपटने के लिए ग्रामीण अंचलों में बड़े पैमाने पर मनरेगा कार्यक्रम को लागू किया जाए।
11. उत्तर प्रदेश की खास परिस्थिति में खाद्य सुरक्षा कानून को लागू किया जाए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को हर हाल में मजबूत किया जाए।
12. भूमि उपयोग नीति के लिए आयोग का गठन किया जाए।
13. वायदे के मुताबिक किसानों को लागत मूल्य का पचास प्रतिशत जोड़कर बुआई के पहले फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए।
14. बंद पड़ी अथवा बंदी के कगार पर खड़ी निजी चीनी मिलों को किसान सहकारी समितियों को सौंपा जाए तथा इनके संचालन के लिए  राज्य सरकार द्वारा पूरी मदद दी जाए।
15. उत्पादन बढ़ाकर 24 घण्टे बिजली का इंतजाम किया जाए और सरकारी दफ्तरों में फिजूल एसी चलाकर की जा रही बिजली की बर्बादी पर रोक लगायी जाए।
16. विभिन्न विभागों/उद्योगों में स्थायी काम में कार्यरत दिहाड़ी व ठेका मजदूरों को विनियमित किया जाए।
17. आंगनबाड़ी समेत स्कीम वर्कर्स को वेतनमान दिया जाए। न्यूनतम मजदूरी 15,000 रुपए प्रति माह निर्धारित की जाए।
18. बुनकरों और दस्तकारों के धंधों को बढावा देने के लिए बाजार, कच्चे माल की आपूर्ति, विविधीकरण और तकनीकी सुधार के लिए प्रशासनिक और आर्थिक सहायता दी जाए। सरकारी विभागों के लिए खरीदी जाने वाले वर्दी के कपड़े, फर्नीचर, टेªनों और अस्पतालों के लिए तौलिया, दरी, बैन्डेज आदि की खरीदारी बुनकरों व दस्तकारों से की जाए। उनके कर्ज माफ किये जाएं और उन्हें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की तरह अन्य सभी सुविधायें मुहैया करायी जाएं। बुनकरी समेत लघु व कुटीर उद्योगों को मुफ्त में बिजली दी जाए।
19. कृषि, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत जनहित के मदों में बजट व्यय को बढ़ाया जाए। स्वास्थ्य और शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) का 10 प्रतिशत खर्च किया जाए।
20. केन्द्र व राज्य सरकारें अन्य पिछड़े वर्ग के लिए प्लान बजट में 27 प्रतिशत का स्पेशल कम्पोनेंट प्लान बनाएं।
21. निजी क्षेत्र में भी वंचित वर्गों को आरक्षण दिया जाए।
22. प्रदेश की कोल जैसी आदिवासी जातियों को जनजाति का दर्जा दिया जाए।
23. एससी/एसटी को पदोन्नति में आरक्षण को बहाल करनेे के लिए प्रदेश सरकार कमेटी बनाकर तत्काल पिछड़ेपन का सर्वे कराकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल करे और इस सम्बंध में लोकसभा में लम्बित संविधान संशोधन विधेयक केन्द्र सरकार तत्काल पास करे।

(उत्तर प्रदेश बचाओ अभियान प्रदेश में सपा, भाजपा, बसपा, कांग्रेस से हटकर सामाजिक न्याय आंदोलन, किसान आंदोलन समेत सभी जनपक्षधर ताकतों व नागरिकों का साझा मंच है जो बदलाव की राजनीति को प्रभावी विकल्प में परिवर्तित करने के लिए प्रयासरत है। इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में सम्मेलन, गोष्ठी, बैठकें, सभाएं आयोजित हो रही है। इसी कड़ी में लखनऊ में 28 अक्टूबर को ‘रोजगार सम्मेलन‘ किया जायेगा।)

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