झांसी: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में प्रवेश- परीक्षा, वार्षिक-परीक्षा, मूल्यांकन और अभिलेखों के अनुरक्षण के लिए अपनाई गई ऑनलाइन पारदर्शी प्रक्रियाओं को, मॉडल मानकर अब उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में अपनाया जाएगा। गौरतलब है कि ये सारी प्रक्रियाएं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अविनाशचंद्र पाण्डेय की वैज्ञानिक सोच के आधार पर ही ऑनलाइन की गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इनसे जहां समय की बचत हुई, वहीं भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी नहीं रह गई है।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अविनाश चंद्र पाण्डेय देश ही नहीं वरन पूरी दुनिया में नैनो तकनीकीविद के रूप में मशहूर हैं। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में प्रवेश की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने और उसे पारदर्शी बनाने में उनकी भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। इससे पहले इस विश्वविद्यालय में प्रवेश में मनमानी की शिकायतें आम थीं। साथ ही विद्यार्थियों को उनकी फीस भी यूनिवर्सिटी के खाते में सुनिश्चित रूप से जाएगी इसका भरोसा न था। प्रवेश की प्रक्रिया ऑनलाइन करने से विश्वविद्यालय में प्रवेश की प्रक्रिया जहां पारदर्शी हुई है। वहीं निर्धारित फीस का भी यूनिवर्सिटी के खाते में पहुंचना सुनिश्चित हुआ है। प्रो पाण्डेय ने परीक्षा और उनके मूल्यांकन की प्रक्रियाओं में भी अनेक सुधार किए जिससे इन कार्यों को गुणवत्तापूर्ण ढंग से संपादित करना आसान हुआ है। उनका यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “डिजिटल इंडिया” के नारे को प्रभावी बनाने की दिशा में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इन प्रक्रियाओं के अमल में ज्यादा बड़ी धनराशि भी खर्च नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार इन प्रक्रियाओं की विशेषताओं को देखते हुए ही राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को प्रो. अविनाश चंद्र पाण्डेय के मॉडल का अनुसरण करने का निर्देश दिया है। जिसके बाद सभी विश्वविद्यालयों में उक्त मॉडल पर अमल की दिशा में जरूरी कवायद शुरू कर दी गई है। प्रो. पाण्डेय के नेतृत्व की बदौलत ही बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा शासकीय विश्वविद्यालय बन गया है जिसे आईएसओ.9001.2008 प्रमाणपत्र हासिल है।