ब्रिटेन: ब्रिटेन के मौसम विभाग द्वारा एक नई रिसर्च के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि प्रशान्त महासागर में अल-नीनो की बड़ी गतिविधि से विश्व में गर्मी बढ़ सकती है। इस अनुमान को पर्यावरण पर ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते असर के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि दुनिया भर में जहां गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा वहीं यूरोप में गर्मी से थोड़ी राहत मिल सकती है।
वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि 2015 में पृथ्वी की सतह का औसत तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। यह 1961 से 1990 के औसत तापमान से 0.68 डिग्री ज़्यादा है। ब्रिटेन के मौसम विभाग के हेली सेंटर के निर्देशक प्रोफेसर स्टीफन बेलचर ने अनुसार प्राकृतिक बदलावों से हर साल के तापमान पर असर पड़ता है लेकिन इस साल बढ़े हुए तापमान से ग्रीनहाउस गैसों के असर का संकेत मिलता है। अगले साल के भी इसी तरह गर्म रहने की संभावना से लगता है कि पर्यावरण में लगातार बदलाव आ रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रोफेसर रोवैन सटन ने इस चेतावनी की पुष्टि की करते हुए कहा अगर कोई बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट नहीं होता तो पूरी संभावना है कि 2014, 2015 और 2016 अब तक के रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल होंगे।