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इस्‍लाम और मुसलमान को गाली देने के लिए बना है यह ब्‍लॉग

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल कर ली। हजारों और लाखों की संख्या में वेबसाइटस बन गई और लोग इस से लाभ उठाने लगे और उस पर लिखने लगे। चूंकि वेबसाइट चलाते रखने का कुछ खर्च भी आता है इसलिए नेट पर भी हर किसी के लिए लिखना आसान नहीं रहा। ऐसे लोग जिन्हें लिखने का शौक है मगर न तो वह अखबार में लिख सकते हैं और न ही उनका लेख इस लायक होता है कि वह किसी वेबसाइट पर प्रकाशित हो सके। ऐसे लोगों के लिए “ब्लॉग” एक ऐसा वरदान बन कर आया जिस पर जो जैसा चाहे मुफ्त में लिख सकता है।

<p style="text-align: justify;"><img src="http://bhadas4media.com/images/img/0000000anshibali.jpg" border="0" align="left" />अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल कर ली। हजारों और लाखों की संख्या में वेबसाइटस बन गई और लोग इस से लाभ उठाने लगे और उस पर लिखने लगे। चूंकि वेबसाइट चलाते रखने का कुछ खर्च भी आता है इसलिए नेट पर भी हर किसी के लिए लिखना आसान नहीं रहा। ऐसे लोग जिन्हें लिखने का शौक है मगर न तो वह अखबार में लिख सकते हैं और न ही उनका लेख इस लायक होता है कि वह किसी वेबसाइट पर प्रकाशित हो सके। ऐसे लोगों के लिए "ब्लॉग" एक ऐसा वरदान बन कर आया जिस पर जो जैसा चाहे मुफ्त में लिख सकता है।</p> <p style="text-align: justify;" />

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल कर ली। हजारों और लाखों की संख्या में वेबसाइटस बन गई और लोग इस से लाभ उठाने लगे और उस पर लिखने लगे। चूंकि वेबसाइट चलाते रखने का कुछ खर्च भी आता है इसलिए नेट पर भी हर किसी के लिए लिखना आसान नहीं रहा। ऐसे लोग जिन्हें लिखने का शौक है मगर न तो वह अखबार में लिख सकते हैं और न ही उनका लेख इस लायक होता है कि वह किसी वेबसाइट पर प्रकाशित हो सके। ऐसे लोगों के लिए “ब्लॉग” एक ऐसा वरदान बन कर आया जिस पर जो जैसा चाहे मुफ्त में लिख सकता है।

ब्लॉग एक बहुत ही अच्छी शुरुआत थी और इससे लोगों को फायदा भी हुआ और जो लोग अच्छा लिख कर भी कहीं नहीं प्रकाशित हो पा रहे थे उन्होंने ब्लॉग बना लिया और जो चाहा लिखने लगे। बड़े अफसोस की बात यह है कि कुछ लोगों ने इस सुविधा का दुरुपयोग शुरू कर दिया और ब्लॉग में वह सब चीजें भी लिखनी शुरू कर दी, जो उन्हें नहीं लिखनी चाहिए।  ब्लॉग में गंदी बातें लिखना आम बात है, मगर मेरा हाल ही में एक ऐसे ब्लॉग से वास्ता पड़ा जिसमें केवल इस्लाम और मुसलमानों को गालियां दी गईं हैं। हुआ यूँ की हाल ही में दिल्ली में आयोजित सलट वॉक के बाद मैं ने नवभारत टाइम्स के ब्लॉग सेक्शन में “इतनी बेशर्मी भी ठीक नहीं” शीर्षक से एक लेख लिखा। इस लेख पर कई लोगों ने अपनी राय दी।

एक साहब ने अपनी राय में मुझे तो बुरा भला कहा ही हमारे रसूल (सल्ल) और इस्लाम को भी बुरा भला कहा। जब मैंने बीएन शर्मा नाम के इस व्यक्ति के ब्लॉग (http://bhandafodu.blogspot.com/) को देखा तो यह देख कर मेरी आंख फटी की फटी रह गई। इस ब्लॉगर का उद्देश्य केवल इस्लाम, मुसलमान और उसके रसूल (सल्ल) को गालियां देना है। इस ब्लॉग में अब तक जो भी पोस्ट डाली गयी है उसमें इस्लाम के खिलाफ ही लिखा गया है। पता नहीं इस ब्लॉगर ने अपना सही नाम लिखा है कि नहीं मगर ब्लॉग पर जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक़ इस ब्लॉगर का नाम बीएन शर्मा है और उसने अपने परिचय में लिखा है कि उसे अरबी और फ़ारसी समेत भारत की सभी भाषाएं आती है। एक मुसलमान के लिए इस्लाम और उसके रसूल के बारे में कुछ भी गलत विचार करना पाप है, इसलिए इस ब्लॉग में लिखी गई पूरी बातें यहाँ नहीं लिख सकता और मुझसे इतना कुछ लिखते हुये भी गुनाह का डर भी लग रहा है, लेकिन चूंकि पाठकों को ऐसे लोगों के बारे में बताना ज़रूरी है इसलिए मैं यहाँ इस ब्लॉग के कुछ पोस्ट का केवल शीर्षक लिख रहा हूँ, जिस से  इस बात बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि लेख के अंदर कितनी बेहूदा बातें लिखी गई होंगी। ब्लॉग के कुछ पोस्ट की हेडिंग निम्नलिखित है:

* इस्लाम के दुश्चरित्र
* आयशा मुहम्मद को झूठा मानती थी
* सहबियों की नजर मुहम्मद की पत्नी पर
* पत्नी से गुदामैथुन (Sodomy) हलाल है
* वेश्यावृति हलाल है
* माँ के साथ सम्भोग जायज है
* आयशा सहबियों को सेक्स सिखाती थी
* आयशा सेक्स गुरु थी
* आपको मालूम है कि जन्नत की हकीकत क्या है?
* इस्लाम और कुरआन : शराब का गुणगान
* कुरआन में दोगलापन : और अंतर्विरोध
* क्या अल्लाह भी मुहम्मद की तरह अनपढ़ है?

यहाँ तो सिर्फ कुछ पोस्ट की हेडिंग दी गयी है। इस ब्लॉग में सिर्फ और सिर्फ इस्लाम को ग़लत ढंग से पेश किया गया है। हद तो यह है की ब्लॉग के शुरू में ही दुनिया को धोखा देने के लिए यह भी लिख दिया गया है कि इस्लाम सम्बंधित सभी लेख कुरआन और हदीसों पर आधारित हैं। भारत में हर किसी को अपने धर्म के प्रचार प्रसार कि अनुमति है, मगर किसी के धर्म को गाली देने की अनुमति नहीं है। अब देखना यह है बीएन शर्मा नाम के इस ब्लॉगर के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने वाले संगठन और उनके कर्ता-धर्ता इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और इस पर उनकी प्रतिक्रिया किया होती है।

लेखक ए एन शिबली हिन्‍दुस्‍तान एक्‍सप्रेस के ब्‍यूरो चीफ हैं. उनसे मोबाइल नम्‍बर 9891088102 या [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है।

2 Comments

2 Comments

  1. डॉ कुलदीप कुमार नाग

    May 25, 2020 at 4:01 pm

    23 भाषाओं के ज्ञाता श्री बी एन शर्मा की हर बात तर्क तथ्य कुरान और और प्रमाणिक हदीसों से आधारित और प्रमाणित हैं ! उनकी चुनौती संसार के सब मौलानाओं और इस्लामी स्कालर्स को है कि उनकी बातों को झूठ साबित कर दें ! अन्यथा निराधार विरोध का कोई औचित्य नहीं !

  2. Ashish Srivastava

    May 25, 2020 at 4:20 pm

    क्या आपके पास कोई प्रमाण है कि जो कुछ भण्डाफोड़ू ब्लॉग लिखा है उसमें कुछ भी असत्य हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत में इतनी मुल्ले मौलवी सनातन धर्म को गाली देते रहते हैं उन पर तो केस करने की आप लोगों की औकात नहीं हुई पर यदि किसी लेखक ने इस्लाम के विरुद्ध कुछ प्रामाणिक भी लिख दिया तो उस पर अपनी भड़ास निकालने चले आए

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